मुंबई : महाराष्ट्र के गृह मंत्रालय ने पालघर मॉब लिंचिंग मामले में 100 से अधिक लोगों की सूची जारी की है. इन लोगों को तीन लोगों की हत्या के मामले में आरोपी बनाया गया है.
महाराष्ट्र के मंत्री अनिल देशमुख ने मामले पर बुधवार को कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों में से कोई भी मुस्लिम नहीं है. विपक्ष इस घटना को संप्रदायिक रंग देने के लिए इस घटना को मुसलमानों से जोड़ रह है.
इसके अलावा इस मामले पर मानव अधिकार आयोग ने डीजीपी, महाराष्ट्र को नोटिस जारी करते हुए इस मामले पर चार सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है. इस रिपोर्ट में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई और मृतक व्यक्तियों के परिजनों को दी गई राहत को शामिल करने को कहा गया है.
आयोग ने कहा कि घटना स्पष्ट रूप से पुलिस द्वारा लापरवाही के कारण हुई है. लॉकडाउन के दौरान प्रशासन और पुलिस द्वारा अतिरिक्त सतर्कता के बावजूद भीड़ ने लॉकडाउन का उल्लंघन किया और तीन लोगों की पुलिस की मौजूदगी में हत्या कर दी.
क्या है पूरा मामला
महाराष्ट्र के पालघर जिले में ग्रामीणों के एक समूह ने चोर होने के संदेह पर तीन लोगों को कार से बाहर खींच पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी. तीनों किसी व्यक्ति की अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए मुंबई से गुजरात स्थित सूरत जा रहे थे.
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि घटना की जानकारी मिलने पर शुरुआत में पहुंचे पुलिसकर्मी पीड़ितों को बचा नहीं सके क्योंकि हमलावरों की संख्या बहुत अधिक थी और भीड़ ने पुलिस वाहन में भी पीड़ितों की पिटाई की.
कासा पुलिस स्टेशन के निरीक्षक आनंदराव काले ने कहा कि यह वीभत्स घटना गुरुवार (16 अप्रैल) को रात में 9.30 से 10 बजे के बीच हुई.
यह घटना ऐसे समय में हुई जब कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन लागू है.
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि घटना में तीनों मृतक की पहचान... उत्तरी मुंबई के कांधीवली निवासी चिकने महाराज कल्पवृक्षागिरि, सुशीलगिरि महाराज और उनके कार चालक निलेश तेलगाड़े के रूप में हुई है. उन्होंने बताया कि तीनों की पहचान अभी तक नहीं की जा सकी है. उन्होंने कहा कि 100 से अधिक लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है.
काले ने बताया कि तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए पालघर के सरकारी अस्पताल भेज दिया गया है. उन्होंने बताया कि तीनों कार से मुंबई से आए थे और उनके वाहन को स्थानीय लोगों ने गढचिंचाले के पास ढाबाड़ी-खानवेल मार्ग पर रोक दिया.
काले ने बताया कि उन्हें कार से बाहर खींच लिया गया और ग्रामीणों ने इस संदेह पर उन पर पत्थर और अन्य चीजों से हमला कर दिया कि वे चोर हैं.
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विजय सागर ने बताया कि पुलिस की त्वरित कार्रवाई टीम (जिसमें सामान्यत: तीन या चार पुलिस कर्मी होते हैं) घटनास्थल पर पहुंची और पीड़ितों को पुलिस वाहन में बैठाकर बचाने की कोशिश की लेकिन हमलावरों ने पुलिस वाहन में भी उनकी पिटाई की और कम संख्या होने की वजह से पुलिसकर्मी कुछ नहीं कर पाए.
सागर ने बताया कि जिले में डकैतों के घमूने की अफवाह थी.
काले ने बताया कि भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धारा-302 (हत्या) सहित अन्य धाराओं जैसे सशस्त्र दंगा करना, धारा-188 (लोकसेवक के आदेश की आवज्ञा) के तहत मामला दर्ज किया गया है.उन्होंने बताया कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-188 इसलिए लगाई गई है क्योंकि कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन में लोगों की आवाजाही और एकत्र होने पर रोक है.