बुरहानपुर: मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले में कई ऐसी ऐतिहासिक धरोहरे हैं जो देश ही नहीं दुनिया में मशहूर हैं. लेकिन सरकार की अनदेखी ने इस शहर का नक्शा कुछ और ही बना दिया है. जानिए यहां किस तरह से सरकार कर रही है अनदेखी...
कभी दक्षिण का द्वार कहा जाना वाला बुरहानपुर शहर अपनी खूबसूरत ऐतिहासिक धरोहरों के लिए देशभर में जाना जाता था. बुरहानपुर जहां मुमताज महल की खूबसूरत यादों को खुद में समेटे हुए है तो वहीं कुंडी भंडारे जैसी अद्भुत कला इसकी आगोश में समाए हुए है.
कहने को तो केंद्रीय पुरातत्व विभाग और राज्य पुरातत्व विभाग शहर की ऐतिहासिक धरोहरों को संवारने और सहजने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करता है. लेकिन हकीकत ये है कि प्रशासन की अनदेखी के चलते बुरहानपुर की पहचान का अस्तित्व आज खतरे में आ चुका है.
पढ़ें: जल पुरुष EXCLUSIVE: नदियों को मां मानने वाले देश ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा
शहर में ऐसी कई धरोहरें हैं जहां पहुंचना आम आदमी के बस की बात नहीं है. यहां तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है. शहर से पांच किलोमीटर दूर स्थित आहुखाना के नाम से मशहूर इमारत, जिसका निर्माण तीन-तीन मुगल शासकों ने करवाया था, पुरातत्व विभाग की अनदेखी के चलते जर्जर हो रही हैं. कुछ ऐसा ही हाल राजा जयसिंह की छतरी का भी है. जो अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि पर्यटन विभाग की उदासीनता के चलते यहां सभी ऐतिहासिक धरोहरों का अस्तित्व खतरे में है. बुरहानपुर की ऐतिहासिक इमारत अपना अस्तित्व खोने कि कगार पर हैं. ऐसे में पुरातत्व विभाग ने अगर इस ओर ध्यान नहीं दिया तो महज यह एक इतिहास बनकर ही रह जाएगी.