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हिंदुओं को भी अल्पसंख्यक दर्जे का मिले लाभ- विहिप

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Published : Jun 13, 2019, 1:33 PM IST

जिन राज्यों में हिदुओं की आबादी कम है, उन्हें अल्पसंख्यक का दर्ज मिले. यह मांग विश्व हिंदू परिषद ने की है.

ईटीवी भारत से बात करते डॉ. सुरेन्द्र जैन

नई दिल्ली: जिन राज्यों में हिंदुओं की आबादी कम है, वहां उन्हें अल्पसंख्यक समुदाय की तरह लाभ दिया जाए. यह मांग विश्व हिंदू परिषद ने की है.

विहिप के संयुक्त महासचिव डॉ सुरेन्द्र जैन ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में कहा कि हिंदुओं के साथ कोई भेदभाव ना हो. जहां पर उनकी संख्या कम है, उन्हें पूरा लाभ मिलना चाहिए. उनके अनुसार अभी सरकार ने पांच करोड़ अल्पसंख्यक छात्रों के लिए स्कॉलरशिप देने का फैसला किया है, इसमें भी हिंदुओं को लाभ मिले.

उन्होंने कहा जम्मू कश्मीर में जहां हिंदुओं का सबसे अधिक शोषण होता है. वहां हिंदुओं को संरक्षण की सबसे ज्यादा जरूरत है. वहां अल्पसंख्यकों को मिलने वाले लाभों की सबसे अधिक आवश्यकता है.

इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 में जो लाभ अल्पसंख्यकों के हैं, वो भी उन्हें मिलने चाहिए. इससे देश में समानता का माहौल बनेगा. उन्होंने कहा कि हमारा संविधान समतामूलक है. लेकिन इसमें यह बहुत बड़ा विरोधाभास है, जिसको दूर करने की जरूरत है.

विहिप महासचिव ने कहा कि संविधान के विशेषज्ञों को इस पर चर्चा करनी चाहिए. इसपर सबकी राय लेकर सर्वसम्मति के साथ इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए. इससे अल्पसंख्यकों को कोई दिक्कत नहीं होगी.

ईटीवी भारत से बात करते डॉ. सुरेन्द्र जैन

उन्हेंने कहा कि यह अधिकार अल्पसंख्यकों को इसीलिए दिए गए थे ताकि वो अपनी परंपराओं के अनुसार अपनी शिक्षा और अपने धर्म का पालन कर सकें और वो अधिकार सभी को मिलने चाहिए.

सरकार द्वारा मदरसों के आधुनिक बनाने के फैसले का विरोध करने वालों से सुरेन्द्र जैन ने कहा है कि यह स्वागत योग्य कदम है. इसका विरोध नहीं होना चाहिए. ऐसा नहीं है कि हिंदू वहां पर पूजा शुरू कर देंगे.

पढ़ें- केन्द्र ने आदिवासी छात्रों को छात्रवृत्ति सुचारू ढंग से जारी करने के लिए वेबसाइट शुरू की

उन्होंने कहा कि वो लोग सिर्फ विरोध के लिए विरोध कर रहे हैं. उन्हें स्वागत करना चाहिए कि देश के संसाधनों का एक बड़ा हिस्सा उनके समाज के लोगों के विकास के लिए उपयोग में आ रहा है.

नई दिल्ली: जिन राज्यों में हिंदुओं की आबादी कम है, वहां उन्हें अल्पसंख्यक समुदाय की तरह लाभ दिया जाए. यह मांग विश्व हिंदू परिषद ने की है.

विहिप के संयुक्त महासचिव डॉ सुरेन्द्र जैन ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में कहा कि हिंदुओं के साथ कोई भेदभाव ना हो. जहां पर उनकी संख्या कम है, उन्हें पूरा लाभ मिलना चाहिए. उनके अनुसार अभी सरकार ने पांच करोड़ अल्पसंख्यक छात्रों के लिए स्कॉलरशिप देने का फैसला किया है, इसमें भी हिंदुओं को लाभ मिले.

उन्होंने कहा जम्मू कश्मीर में जहां हिंदुओं का सबसे अधिक शोषण होता है. वहां हिंदुओं को संरक्षण की सबसे ज्यादा जरूरत है. वहां अल्पसंख्यकों को मिलने वाले लाभों की सबसे अधिक आवश्यकता है.

इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 में जो लाभ अल्पसंख्यकों के हैं, वो भी उन्हें मिलने चाहिए. इससे देश में समानता का माहौल बनेगा. उन्होंने कहा कि हमारा संविधान समतामूलक है. लेकिन इसमें यह बहुत बड़ा विरोधाभास है, जिसको दूर करने की जरूरत है.

विहिप महासचिव ने कहा कि संविधान के विशेषज्ञों को इस पर चर्चा करनी चाहिए. इसपर सबकी राय लेकर सर्वसम्मति के साथ इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए. इससे अल्पसंख्यकों को कोई दिक्कत नहीं होगी.

ईटीवी भारत से बात करते डॉ. सुरेन्द्र जैन

उन्हेंने कहा कि यह अधिकार अल्पसंख्यकों को इसीलिए दिए गए थे ताकि वो अपनी परंपराओं के अनुसार अपनी शिक्षा और अपने धर्म का पालन कर सकें और वो अधिकार सभी को मिलने चाहिए.

सरकार द्वारा मदरसों के आधुनिक बनाने के फैसले का विरोध करने वालों से सुरेन्द्र जैन ने कहा है कि यह स्वागत योग्य कदम है. इसका विरोध नहीं होना चाहिए. ऐसा नहीं है कि हिंदू वहां पर पूजा शुरू कर देंगे.

पढ़ें- केन्द्र ने आदिवासी छात्रों को छात्रवृत्ति सुचारू ढंग से जारी करने के लिए वेबसाइट शुरू की

उन्होंने कहा कि वो लोग सिर्फ विरोध के लिए विरोध कर रहे हैं. उन्हें स्वागत करना चाहिए कि देश के संसाधनों का एक बड़ा हिस्सा उनके समाज के लोगों के विकास के लिए उपयोग में आ रहा है.

Intro:एनडीए सरकार के दूसरी पारी की शुरुआत में ही प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि अबकी बार वो अल्पसंख्यकों और उनके बीच खड़ी दीवार को भी छेदने का काम करेंगे और महज एक माह के भीतर ही मोदी सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय ने ये घोषणा कर दी कि देश भर के कुल पाँच करोड़ मुस्लिम छात्र छात्राओं को अब सरकारी छात्रवृति का लाभ मिल सकेगा । साथ ही मदरसों के आधुनिकीकरण की बात भी कही गई है ।
इस घोषणा के बाद देश भर के हिन्दू सामुदाय की मुखालफत करने वाले संत समुदाय की तरफ से ये मांग आनी शुरू हो गई कि अगर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को सरकार विशेष योजनाओं के तहत सुविधाएँ दे रही है तो देश के आठ राज्यों में जहाँ हिन्दू समुदाय अल्पसंख्यक है वहाँ उन्हें भी इस श्रेणी में मान कर उनको अतिरिक्त लाभ दिया जाए ।


Body:संत समाज की इस मांग के समर्थन में अब विश्व हिन्दू परिषद भी उतर आया है । विहिप के संयुक्त महासचिव डॉ. सुरेन्द्र जैन ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए कहा की सबसे।पहले देश मे अल्पसंख्यक शब्द को फिर से परिभाषित करने की आवश्यकता है ।
साथ ही विहिप नेता ने ये मांग भी रखी कि अगर देश भर में समता का वातावरण स्थापित करना है तो अल्पसंख्यक की श्रेणी में जो भी जहाँ जहाँ है उसको एक समान लाभ मिलना चाहिये ।
इस तरह से संत समाज के नेताओं की मांग में विश्व हिन्दू परिषद ने भी अपनी सहमति जता दी है ।
वहीं दूसरी तरफ सरकार के इस कदम को कुछ मुस्लिम समुदाय के नेताओं ने ही राजनीति से प्रेडित बताया और इसकी आलोचना भी की ।
इस सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए विहिप के संयुक्त महासचिव ने कहा कि ऐसे मुस्लिम नेता सरकार के इस कदम का सिर्फ विरोध करने मात्र के लिये विरोध जता रहे हैं ।


Conclusion:विहिप के सामने जब ये सवाल खड़ा किया गया कि क्या वो मोदी सरकार के इस कदम का स्वागत करते हैं तो उनका यही जवाब था कि जनकल्याण के लिये जो भी कदम सरकार उठाती है वो उसका स्वागत करेंगे, हालांकि सरकार को भी ये देखना होगा कि जहाँ हिन्दू अल्पसंख्यक हैं वहाँ उनके लिये भी इस तरह की योजनाएँ लाई जाए ।
कुल मिलाकर संत समाज की मांग को विश्व हिन्दू परिषद ने जायज ठहराया है, ऐसे में देखने वाली बात होगी कि संत समाज और विहिप की आवाज को मोदी सरकार के दूसरे भाग में कितनी जगह मिलती है ।
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