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हाथरस केस के गवाहों की सुरक्षा पर हलफनामा दे यूपी सरकार : सुप्रीम कोर्ट

हाथरस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से उनका मामले से संबंध पूछा. इसके अलावा कोर्ट ने यूपी सरकार को कहा कि वह बताए हाथरस मामले में गवाहों की सुरक्षा कैसे की जा रही है.

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हाथरस केसः सुप्रीम कोर्ट ने कहा
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Published : Oct 6, 2020, 1:57 PM IST

Updated : Oct 6, 2020, 2:28 PM IST

नई दिल्ली : हाथरस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई. उच्चतम उच्चतम न्यायालय ने कुछ याचिकाकर्ताओं से उनका मामले से संबंध पूछा और कहा कि यह काफी महत्वपूर्ण है, इसलिए उनकी सुनवाई की जा रही है. हाथरस मामले में वकीलों से कहा कि यह एक भयानक घटना है और हम अदालत में दलीलों का दोहराव नहीं चाहते.

इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि हाथरस में दलित लड़की से कथित सामूहिक बलात्कार और बाद में अस्पताल में उसकी मृत्यु की घटना से संबंधित गवाहों के संरक्षण के लिए उठाए गए कदमों के बारे में गुरुवार तक विस्तृत जानकारी दी जाए.

शीर्ष अदालत ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने सारे मामले को सीबीआई को सौंपने की इच्छा व्यक्त की क्योंकि राजनीतिक मकसद से इस मामले के बारे में फर्जी बातें की जा रही हैं.

न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को बुधवार तक हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा कि हाथरस मामले में गवाहों की सुरक्षा कैसे की जा रही है.

उच्चतम न्यायालय ने हाथरस मामले में कहा कि हम इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही के दायरे के बारे में सभी से सुझाव चाहते हैं और हम इसका दायरा बढ़ाने के लिए क्या कर सकते हैं.

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस घटना को हृदय विदारक और अभूतपूर्व करार देते हुए कहा कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि इस मामले की जांच सुचारू ढंग से हो.

उप्र सरकार ने कहा कि हाथरस मामले के गवाहों की सुरक्षा के संबंध में गुरुवार को हलफनामा दायर करेगी. न्यायालय ने मामले की सुनवाई अगले हफ्ते के लिए सूचीबद्ध की.

प्रदेश सरकार की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा, 'हाथरस मामले में एक के बाद एक तरह तरह की बातें की जा रही हैं. इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है.'

उन्होंने कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी निहित स्वार्थो के लिये अपने मकसदों के लिए फर्जी कहानियां नही बना सकेगा.

राज्य सरकार ने पीठ से यह भी कहा कि हाथरस मामले में सीबीआई की जांच शीर्ष अदालत की निगरानी में कराई जा सकती है.

पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो सीबीआई जांच : उप्र सरकार

गौरतलब है कि हाथरस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है. हलफनामे में कहा गया कि अदालत को स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई जांच का निर्देश देना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट को सीबीआई जांच की निगरानी करनी चाहिए.

इसके अलावा सरकार ने दलील दी है कि किसी भी प्रकार की हिंसा से बचने के लिए हमने मृतका का अंतिम संस्कार रात में ही कर दिया था.

सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि इस घटना की सच्चाई सामने लाने के लिए सरकार निष्पक्ष जांच के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.

नई दिल्ली : हाथरस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई. उच्चतम उच्चतम न्यायालय ने कुछ याचिकाकर्ताओं से उनका मामले से संबंध पूछा और कहा कि यह काफी महत्वपूर्ण है, इसलिए उनकी सुनवाई की जा रही है. हाथरस मामले में वकीलों से कहा कि यह एक भयानक घटना है और हम अदालत में दलीलों का दोहराव नहीं चाहते.

इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि हाथरस में दलित लड़की से कथित सामूहिक बलात्कार और बाद में अस्पताल में उसकी मृत्यु की घटना से संबंधित गवाहों के संरक्षण के लिए उठाए गए कदमों के बारे में गुरुवार तक विस्तृत जानकारी दी जाए.

शीर्ष अदालत ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने सारे मामले को सीबीआई को सौंपने की इच्छा व्यक्त की क्योंकि राजनीतिक मकसद से इस मामले के बारे में फर्जी बातें की जा रही हैं.

न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को बुधवार तक हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा कि हाथरस मामले में गवाहों की सुरक्षा कैसे की जा रही है.

उच्चतम न्यायालय ने हाथरस मामले में कहा कि हम इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही के दायरे के बारे में सभी से सुझाव चाहते हैं और हम इसका दायरा बढ़ाने के लिए क्या कर सकते हैं.

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस घटना को हृदय विदारक और अभूतपूर्व करार देते हुए कहा कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि इस मामले की जांच सुचारू ढंग से हो.

उप्र सरकार ने कहा कि हाथरस मामले के गवाहों की सुरक्षा के संबंध में गुरुवार को हलफनामा दायर करेगी. न्यायालय ने मामले की सुनवाई अगले हफ्ते के लिए सूचीबद्ध की.

प्रदेश सरकार की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा, 'हाथरस मामले में एक के बाद एक तरह तरह की बातें की जा रही हैं. इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है.'

उन्होंने कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी निहित स्वार्थो के लिये अपने मकसदों के लिए फर्जी कहानियां नही बना सकेगा.

राज्य सरकार ने पीठ से यह भी कहा कि हाथरस मामले में सीबीआई की जांच शीर्ष अदालत की निगरानी में कराई जा सकती है.

पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो सीबीआई जांच : उप्र सरकार

गौरतलब है कि हाथरस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है. हलफनामे में कहा गया कि अदालत को स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई जांच का निर्देश देना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट को सीबीआई जांच की निगरानी करनी चाहिए.

इसके अलावा सरकार ने दलील दी है कि किसी भी प्रकार की हिंसा से बचने के लिए हमने मृतका का अंतिम संस्कार रात में ही कर दिया था.

सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि इस घटना की सच्चाई सामने लाने के लिए सरकार निष्पक्ष जांच के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.

Last Updated : Oct 6, 2020, 2:28 PM IST
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