ETV Bharat / bharat

सीएए पर प्रदर्शन के बीच लागू रासुका के खिलाफ याचिका पर SC में सुनवाई आज

author img

By

Published : Jan 24, 2020, 12:06 AM IST

Updated : Feb 18, 2020, 4:52 AM IST

उच्चतम न्यायालय सीएए, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान लागू रासुका के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई करेगा. याचिका में दावा किया गया है कि रासुका प्रदर्शन कर रहे लोगों पर दबाव बनाने के लिए लागू किया गया है. इस याचिका पर न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ सुनवाई करेगी. पढ़ें पूरी खबर..

protest against caa
फाइल फोटो

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय शुक्रवार को उन नई याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जिसमें कुछ राज्यों और राष्ट्रीय राजधानी की पुलिस को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत लोगों को बिना सुनवाई 12 महीने तक हिरासत में रखने के लिए अधिकृत किया गया है.

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ वकील एमएल शर्मा की ओर से दायर याचिका पर संभवत: सुनवाई करेगी, जिसमें रासुका को लागू करने पर सवाल उठाया गया है. याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि यह सीएए, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर दबाव बनाने के लिए लागू किया गया है.

उल्लेखनीय है कि दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने 10 जनवरी को दिल्ली पुलिस को रासुका लगाने के लिए अधिकृत करने की अवधि तीन महीने बढ़ा दी थी, जिसकी मियाद 19 जनवरी से शुरू हुई.

शर्मा ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, दिल्ली सरकार, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और मणिपुर को याचिका में पक्षकार बनाया है.

याचिकाकर्ता ने पुलिस को रासुका लगाने के लिए अधिकृत करने के लिए जारी अधिसूचना को अंसवैधानिक और संविधान के अनुच्छेद 19(1) (भाषण देने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद-21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन बताया है.

पढ़ें-फिलहाल सीएए पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, चार सप्ताह बाद होगी सुनवाई

शर्मा ने अधिसूचना को खारिज करने और यह निर्देश देने की मांग की है कि इस कानून का इस्तेमाल प्रदर्शनकारियों के खिलाफ नहीं किया जाएगा. साथ ही अब तक इस कानून के तहत हिरासत में लिए गए लोगों को हुई मानसिक परेशानी और समाज में मानहानि के लिए 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की गई है.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय शुक्रवार को उन नई याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जिसमें कुछ राज्यों और राष्ट्रीय राजधानी की पुलिस को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत लोगों को बिना सुनवाई 12 महीने तक हिरासत में रखने के लिए अधिकृत किया गया है.

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ वकील एमएल शर्मा की ओर से दायर याचिका पर संभवत: सुनवाई करेगी, जिसमें रासुका को लागू करने पर सवाल उठाया गया है. याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि यह सीएए, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर दबाव बनाने के लिए लागू किया गया है.

उल्लेखनीय है कि दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने 10 जनवरी को दिल्ली पुलिस को रासुका लगाने के लिए अधिकृत करने की अवधि तीन महीने बढ़ा दी थी, जिसकी मियाद 19 जनवरी से शुरू हुई.

शर्मा ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, दिल्ली सरकार, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और मणिपुर को याचिका में पक्षकार बनाया है.

याचिकाकर्ता ने पुलिस को रासुका लगाने के लिए अधिकृत करने के लिए जारी अधिसूचना को अंसवैधानिक और संविधान के अनुच्छेद 19(1) (भाषण देने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद-21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन बताया है.

पढ़ें-फिलहाल सीएए पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, चार सप्ताह बाद होगी सुनवाई

शर्मा ने अधिसूचना को खारिज करने और यह निर्देश देने की मांग की है कि इस कानून का इस्तेमाल प्रदर्शनकारियों के खिलाफ नहीं किया जाएगा. साथ ही अब तक इस कानून के तहत हिरासत में लिए गए लोगों को हुई मानसिक परेशानी और समाज में मानहानि के लिए 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की गई है.

Intro:Body:

न्यायालय सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के बीच रासुका लगाने के खिलाफ सुनवाई करेगा



नयी दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय शुक्रवार को उन नयी याचिकाओं पर सुनवाई करेगा जिसमें कुछ राज्यों और राष्ट्रीय राजधानी की पुलिस को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत लोगों को बिना सुनवाई 12 महीने तक हिरासत में रखने के लिए अधिकृत किया गया है.



न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ वकील एमएल शर्मा की ओर से दायर याचिका पर संभवत: सुनवाई करेगी जिसमें रासुका को लागू करने पर सवाल उठाया गया है. याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि यह सीएए, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर दबाव बनाने के लिए लागू किया गया है.



उल्लेखनीय है कि दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने 10 जनवरी को दिल्ली पुलिस को रासुका लगाने के लिए अधिकृत करने की अवधि तीन महीने बढ़ा दी थी जिसकी मियाद 19 जनवरी से शुरू हुई.



शर्मा ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, दिल्ली सरकार, उत्तरप्रदेश, आंध्र प्रदेश और मणिपुर को याचिका में पक्षकार बनाया है.



याचिकाकर्ता ने पुलिस को रासुका लगाने के लिए अधिकृत करने के लिए जारी अधिसूचना को अंसवैधानिक और संविधान के अनुच्छेद 19(1) (भाषण देने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद-21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन बताया है.



शर्मा ने अधिसूचना को खारिज करने और यह निर्देश देने की मांग की है कि इस कानून का इस्तेमाल प्रदर्शनकारियों के खिलाफ नहीं किया जाएगा. साथ ही अब तक इस कानून के तहत हिरासत में लिए गए लोगों को हुई मानसिक परेशानी और समाज में मानहानि के लिए 50,00,000 रुपये का मुआवजा देने की मांग की गई है.


Conclusion:
Last Updated : Feb 18, 2020, 4:52 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.