नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट आज टू-जी स्पेक्ट्रम केस में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और दूसरे आरोपियों को ट्रायल कोर्ट से बरी करने के फैसले के खिलाफ सीबीआई और ईडी की याचिका पर सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई के दौरान आरोपियों की ओर से कहा गया कि सीबीआई ने हाई कोर्ट में अपील दाखिल करते समय तय प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया और न ही उसने केंद्र सरकार से जरूरी अनुमति ली.
केंद्र से जरूरी अनुमति नहीं ली गई
सुनवाई के दौरान ए राजा और दूसरे आरोपियों की ओर से कहा गया कि सीबीआई की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. उन्होंने कहा कि सीबीआई मैन्युअल के मुताबिक हाई कोर्ट में अपील दायर करने के लिए केंद्र सरकार से जरूरी स्वीकृति नहीं ली गई है. आरोपियों में से एक संजय चंद्रा की ओर से वकील विजय अग्रवाल ने कहा कि सीबीआई ने सीबीआई मैन्युअल की धारा 23(20) के मुताबिक अटार्नी जनरल से अपील दायर करने के लिए कोई रेफरेंस नहीं लिया.
अटार्नी जनरल से अनुमति लेनी होती है
वकील विजय अग्रवाल ने कहा कि सीबीआई मैन्युअल की धारा 23(20) के मुताबिक महत्वपूर्ण केसों में अगर आरोपी बरी किए जाते हैं, तो अपील करने के पहले अटार्नी जनरल की अनुमति ली जाती है. महत्वपूर्ण केसों का निर्धारण मामले में धनराशि, अभियुक्तों का कद और केस की संवेदनशीलता के आधार पर तय होता है.
कोर्ट का समय बर्बाद करना चाहते हैं आरोपी
सुनवाई के दौरान एएसजी संजय जैन ने कहा कि कोर्ट को ऐसी याचिकाओं पर अपना न्यायिक समय बर्बाद नहीं करना चाहिए. जैन ने कहा कि किसी मामले में अपील दायर करने का मामला एजेंसी का आंतरिक फैसला होता है, लेकिन अगर जरूरत पड़ेगी तो उस फैसले की प्रति कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में सौंपी जा सकती है. आरोपी छोटे-छोटे बहाने बनाकर समय बर्बाद करना चाहते हैं.
जल्द सुनवाई की अनुमति दी थी
पिछले 29 सितंबर को कोर्ट ने इस मामले पर जल्द सुनवाई की अनुमति दे दी थी. ए राजा समेत दूसरे आरोपियों ने कहा था कि जल्द सुनवाई की मांग का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि हाई कोर्ट के दिशानिर्देश के मुताबिक कोरोना के संकट के दौरान बरी किए जाने के फैसले पर सुनवाई करने में कोई जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए.
ए राजा समेत 19 आरोपी हैं
इस मामले में सीबीआई और ईडी ने ए राजा और कनिमोझी समेत सभी 19 आरोपियों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. 25 मई 2018 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया था. हाई कोर्ट ने इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अपील पर सुनवाई करते हुए सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया है.
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2017 में बरी किया गया था
बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट ने 21 दिसंबर 2017 को फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. जज ओपी सैनी ने कहा था कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा है कि दो पक्षों के बीच पैसे का लेन देन हुआ है.