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तमिलनाडु के दो हस्तशिल्प उत्पादों को मिला जीआई टैग

तमिलनाडु के दो हस्तशिल्प उत्पादों को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग मंगलवार को प्राप्त हुआ है. तंजावुर और अरुंबावुर में प्रसिद्ध और मुलायम हस्तशिल्प उत्पादों का निर्माण होता है. जानें विस्तार से...

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हस्तशिल्प उत्पादों को मिला जीआई टैग
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Published : May 12, 2020, 4:32 PM IST

चेन्नई : तमिलनाडु के तंजावुर और अरुंबावुर में प्रसिद्ध और मुलायम हस्तशिल्प उत्पादों का निर्माण होता है. इन दोनों उत्पादों को भौगोलिक संकेत (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग मंगलवार को प्राप्त हुआ है.

दरअसल टैग प्राप्त करने के लिए तमिलनाडु हस्तशिल्प विकास निगम (पूमपुहर) ने आवेदन दायर किया था. अरुमावुर की लकड़ी की नक्काशी के लिए अर्बुवुर वुड कार्वर्स हैंडीक्राफ्ट्स इंडस्ट्रियल को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और अरुमाबुर टेंपल कार एंड वुडकार्विंग आर्टिसंस वेलफेयर सोसाइटी के सहयोग से आवेदन दायर किया गया था. सात साल के लंबे इंतजार के बाद दोनों को जीआई टैग प्रदान किया गया है.

आपको बता दें कि भारत के जियोग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री ने 30 अप्रैल, 2020 को कोविलपट्टी के प्रसिद्ध मूंगफली चिक्की कैंडी को भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्रदान किया था.

चेन्नई : तमिलनाडु के तंजावुर और अरुंबावुर में प्रसिद्ध और मुलायम हस्तशिल्प उत्पादों का निर्माण होता है. इन दोनों उत्पादों को भौगोलिक संकेत (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग मंगलवार को प्राप्त हुआ है.

दरअसल टैग प्राप्त करने के लिए तमिलनाडु हस्तशिल्प विकास निगम (पूमपुहर) ने आवेदन दायर किया था. अरुमावुर की लकड़ी की नक्काशी के लिए अर्बुवुर वुड कार्वर्स हैंडीक्राफ्ट्स इंडस्ट्रियल को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और अरुमाबुर टेंपल कार एंड वुडकार्विंग आर्टिसंस वेलफेयर सोसाइटी के सहयोग से आवेदन दायर किया गया था. सात साल के लंबे इंतजार के बाद दोनों को जीआई टैग प्रदान किया गया है.

आपको बता दें कि भारत के जियोग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री ने 30 अप्रैल, 2020 को कोविलपट्टी के प्रसिद्ध मूंगफली चिक्की कैंडी को भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्रदान किया था.

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