ETV Bharat / bharat

छत्तीसगढ़ : राम वन गमन पथ को सरकार करेगी विकसित, जानिए कहां-कहां पड़े थे श्रीराम के चरण - भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सार्वजनिक मंच से भगवान श्रीराम के जयघोष के साथ ही उनके ननिहाल यानी छत्तीसगढ़ में राम वनगमन पथ को विकसित करने का एलान किया है. भूपेश बघेल ने कहा है कि हमारी परंपरा और संस्कृति में राम हैं. छत्तीसगढ़ में जितने भी राम वनगमन के रास्ते हैं, उसको चिन्हित कर विकसित करेंगे. जानें विस्तार से...

राम वन गमन पथ को छत्तीसगढ़ सरकार करेगी विकसित
author img

By

Published : Oct 16, 2019, 2:16 PM IST

Updated : Oct 16, 2019, 2:23 PM IST

रायपुर: राम... जिनके नाम के बिन संसार न चले, राम... जिनका नाम जन्म से लेकर मृत्यु तक लिया जाता है... राम, जिन्हें पालनहार कहा जाता है... वही राम आज सियासत के राम हो गए हैं. छत्तीसगढ़ भगवान राम का ननिहाल माना जाता है.

दरअसल, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कई कार्यक्रमों में इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि छत्तीसगढ़ की गलियों-गलियों में राम हैं. सीएम ने ये भी कहा कि छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य वाले उन अंचलों का विकास होगा, जहां-जहां भगवान राम के पग पड़े थे.

माना जाता है कि भगवान राम ने छत्तीसगढ़ में वनवास का सबसे लम्बा समय काटा. कोसल भूमि माने जाने में चलते छत्तीसगढ़ को भगवान राम का ननिहाल भी कहा जाता है. छत्तीसगढ़ राम वनगमन पथ में पड़ने वाले अंचलों का विकास होने जा रहा है. प्रदेश सरकार धर्मस्व और पर्यटन विभाग राम वनगमन पथ अंचलों का विकास इस तरह से करेगा, जिससे पर्यटक उन क्षेत्रों में आसानी से पहुंच सकें. पर्यटकों के लिए राह सुगम होगी और उन्हें अंचलों में सुविधाएं मिलेंगी, तो पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. इससे सरकार की पर्यटन से आय भी बढ़ेगी.

राम वन गमन पथ को छत्तीसगढ़ सरकार करेगी विकसित...

भूपेश बघेल ने कहा है कि हमारी परंपरा और संस्कृति में राम हैं
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार सार्वजनिक मंचो में भगवान श्रीराम के जयघोष में साथ ही उनके ननिहाल यानी छत्तीसगढ़ में राम वनगमन पथ को विकसित करने का एलान कर रहे है. भूपेश बघेल ने कहा है कि हमारी परंपरा और संस्कृति में राम हैं. छत्तीसगढ़ में जितने भी राम वनगमन कर रास्ते हैं, उसको चिन्हित करके डेवलपमेंट करेंगे. साथ ही छत्तीसगढ़ में पिछ्ले 15 साल से सत्ता पर रहे भाजपा सरकार को भी कटघरे में खड़ा कर रहे हैं.

सीएम बघेल अपने अलग अलग बयानों में बार-बार कह चुके हैं कि राम गमन मार्ग को सरकार विकसित करेगी लेकिन साथ ही राम के नाम पर सियासत करने वाली पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के राम प्रेम पर भी सवाल उठा रहे हैं. ऐसे में लाजिमी है कि भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह पर सवालिया निशान उठने लगे हैं.

पूर्व सीएम रमन का आरोप- आखिरी समय में राम की याद आई
पूर्व सीएम रमन सिंह ने कहा है कि राम वनगमन के पथ को भारत सरकार ने गंभीरता से लिया है. अगर इनके पास कोई प्रस्ताव है तो दिल्ली में बात करना चाहिए. यही नहीं उन्होंने कहा है कि कांग्रेस ने राम को बांट दिया है. यही राजनीति की गिरावट की पराकाष्ठा है. रमन ने कहा कि भगवान राम कभी बीजेपी, कभी कांग्रेस के राम हो गए हैं. कांग्रेस ने तो रामसेतु के बारे में एफिडेविट दिया था और राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया था. ये रामसेतु को तोड़ने और उसके अस्तित्व को नकारने वाले आज राम-राम कर रहे हैं, चलो आखिरी समय में उन्हें राम की याद तो आई.

छत्तीसगढ़ में राम वन गमन -
वहीं छत्तीसगढ़ में भगवान श्रीराम के वन गमन पथ को लेकर शोध संस्थान के माध्यम से काम कर रहे श्याम बैस कहते हैं कि ये हमारे लिए गौरव की बात है. वे कहेत हैं कि सरकार इस मामले में काम कर रही है. श्री रामगमन संस्थान की ओर से हम लोगों ने जनश्रोतीयो से काफी रिसर्च किया है. हम भी मानते है कि दक्षिण कोसल का इतिहास लोग जानें.

  • श्रीराम बैकुंठपुर सरगुजा से छत्तीसगढ़ में प्रवेश करते हैं, वहां रेड़ नदी जो रेणुका नदी का ही नाम है.
  • जमदग्नि यानी परशुराम जी के पिता जी आश्रम है वहां पहुंचे.
  • इसके बाद रामगढ़ विश्रामपुर, मैनपाट, धरमजयगढ़, लक्ष्मण पादुका, चंद्रहासिनी चंद्रपुर, शिवरीनारायण, कसडोल होते हुए तुरतुरिया में वाल्मिकी आश्रम पहुंचे.
  • इसके बाद सिरपुर, फिंगेश्वर, राजिम, पंचकोशी, मधुबन, रुद्री होते हुए सिहावा श्रृंगी ऋषि सप्तऋषि आश्रम पहुंचे.
  • इसके बाद नारायणपुर राकसहाड़ा, चित्रकोट, बारसूर, गीदम होते हुए कुटुमसर पहुंचे.
  • फिर शबरीनदी के किनारे सुकमा रामारम होते हुए कोंटा इंजरम सबरी नदी भद्राचलम के किनारे पर्ण कुटी में रहे हैं. भगवान श्रीराम की ज्यादातर यात्राएं नदियों के जरिए ही हुई हैं.

इसे भी देखें- गांधी की हत्या की साजिश में शामिल थे सावरकर : CM भूपेश बघेल

इतिहासकारों की मानें तो छत्तीसगढ़ प्रदेश से भगवान श्री राम का संबंध यहां तक बताया जा रहा है कि उन्हें मिले 14 वर्ष के वनवास में तय किया गया वन भी दण्डक वन ही था. वे 14 वर्ष का वनवास काटने दण्डकारण्य यानी बस्तर पहुंचे थे. वाल्मीकि रामायण का अध्ययन हमें ऐसी अनेक जानकारियां प्रदान करता है, जो प्रभु राम ने 14 वर्ष के वनवास के दौरान पत्नी सीता एवं भाई लक्ष्मण के साथ अध्योया से समुद्री मार्ग एवं वनों से गुजर कर अनेक ग्रामों और शहरों को अपनी शरण स्थली बनाई है.

फिलहाल इससे राज्य में कांग्रेस की सरकार ने श्रीराम के वनगमन को विकसित करने के दावों ने सियासत तेज कर दी है.

रायपुर: राम... जिनके नाम के बिन संसार न चले, राम... जिनका नाम जन्म से लेकर मृत्यु तक लिया जाता है... राम, जिन्हें पालनहार कहा जाता है... वही राम आज सियासत के राम हो गए हैं. छत्तीसगढ़ भगवान राम का ननिहाल माना जाता है.

दरअसल, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कई कार्यक्रमों में इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि छत्तीसगढ़ की गलियों-गलियों में राम हैं. सीएम ने ये भी कहा कि छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य वाले उन अंचलों का विकास होगा, जहां-जहां भगवान राम के पग पड़े थे.

माना जाता है कि भगवान राम ने छत्तीसगढ़ में वनवास का सबसे लम्बा समय काटा. कोसल भूमि माने जाने में चलते छत्तीसगढ़ को भगवान राम का ननिहाल भी कहा जाता है. छत्तीसगढ़ राम वनगमन पथ में पड़ने वाले अंचलों का विकास होने जा रहा है. प्रदेश सरकार धर्मस्व और पर्यटन विभाग राम वनगमन पथ अंचलों का विकास इस तरह से करेगा, जिससे पर्यटक उन क्षेत्रों में आसानी से पहुंच सकें. पर्यटकों के लिए राह सुगम होगी और उन्हें अंचलों में सुविधाएं मिलेंगी, तो पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. इससे सरकार की पर्यटन से आय भी बढ़ेगी.

राम वन गमन पथ को छत्तीसगढ़ सरकार करेगी विकसित...

भूपेश बघेल ने कहा है कि हमारी परंपरा और संस्कृति में राम हैं
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार सार्वजनिक मंचो में भगवान श्रीराम के जयघोष में साथ ही उनके ननिहाल यानी छत्तीसगढ़ में राम वनगमन पथ को विकसित करने का एलान कर रहे है. भूपेश बघेल ने कहा है कि हमारी परंपरा और संस्कृति में राम हैं. छत्तीसगढ़ में जितने भी राम वनगमन कर रास्ते हैं, उसको चिन्हित करके डेवलपमेंट करेंगे. साथ ही छत्तीसगढ़ में पिछ्ले 15 साल से सत्ता पर रहे भाजपा सरकार को भी कटघरे में खड़ा कर रहे हैं.

सीएम बघेल अपने अलग अलग बयानों में बार-बार कह चुके हैं कि राम गमन मार्ग को सरकार विकसित करेगी लेकिन साथ ही राम के नाम पर सियासत करने वाली पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के राम प्रेम पर भी सवाल उठा रहे हैं. ऐसे में लाजिमी है कि भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह पर सवालिया निशान उठने लगे हैं.

पूर्व सीएम रमन का आरोप- आखिरी समय में राम की याद आई
पूर्व सीएम रमन सिंह ने कहा है कि राम वनगमन के पथ को भारत सरकार ने गंभीरता से लिया है. अगर इनके पास कोई प्रस्ताव है तो दिल्ली में बात करना चाहिए. यही नहीं उन्होंने कहा है कि कांग्रेस ने राम को बांट दिया है. यही राजनीति की गिरावट की पराकाष्ठा है. रमन ने कहा कि भगवान राम कभी बीजेपी, कभी कांग्रेस के राम हो गए हैं. कांग्रेस ने तो रामसेतु के बारे में एफिडेविट दिया था और राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया था. ये रामसेतु को तोड़ने और उसके अस्तित्व को नकारने वाले आज राम-राम कर रहे हैं, चलो आखिरी समय में उन्हें राम की याद तो आई.

छत्तीसगढ़ में राम वन गमन -
वहीं छत्तीसगढ़ में भगवान श्रीराम के वन गमन पथ को लेकर शोध संस्थान के माध्यम से काम कर रहे श्याम बैस कहते हैं कि ये हमारे लिए गौरव की बात है. वे कहेत हैं कि सरकार इस मामले में काम कर रही है. श्री रामगमन संस्थान की ओर से हम लोगों ने जनश्रोतीयो से काफी रिसर्च किया है. हम भी मानते है कि दक्षिण कोसल का इतिहास लोग जानें.

  • श्रीराम बैकुंठपुर सरगुजा से छत्तीसगढ़ में प्रवेश करते हैं, वहां रेड़ नदी जो रेणुका नदी का ही नाम है.
  • जमदग्नि यानी परशुराम जी के पिता जी आश्रम है वहां पहुंचे.
  • इसके बाद रामगढ़ विश्रामपुर, मैनपाट, धरमजयगढ़, लक्ष्मण पादुका, चंद्रहासिनी चंद्रपुर, शिवरीनारायण, कसडोल होते हुए तुरतुरिया में वाल्मिकी आश्रम पहुंचे.
  • इसके बाद सिरपुर, फिंगेश्वर, राजिम, पंचकोशी, मधुबन, रुद्री होते हुए सिहावा श्रृंगी ऋषि सप्तऋषि आश्रम पहुंचे.
  • इसके बाद नारायणपुर राकसहाड़ा, चित्रकोट, बारसूर, गीदम होते हुए कुटुमसर पहुंचे.
  • फिर शबरीनदी के किनारे सुकमा रामारम होते हुए कोंटा इंजरम सबरी नदी भद्राचलम के किनारे पर्ण कुटी में रहे हैं. भगवान श्रीराम की ज्यादातर यात्राएं नदियों के जरिए ही हुई हैं.

इसे भी देखें- गांधी की हत्या की साजिश में शामिल थे सावरकर : CM भूपेश बघेल

इतिहासकारों की मानें तो छत्तीसगढ़ प्रदेश से भगवान श्री राम का संबंध यहां तक बताया जा रहा है कि उन्हें मिले 14 वर्ष के वनवास में तय किया गया वन भी दण्डक वन ही था. वे 14 वर्ष का वनवास काटने दण्डकारण्य यानी बस्तर पहुंचे थे. वाल्मीकि रामायण का अध्ययन हमें ऐसी अनेक जानकारियां प्रदान करता है, जो प्रभु राम ने 14 वर्ष के वनवास के दौरान पत्नी सीता एवं भाई लक्ष्मण के साथ अध्योया से समुद्री मार्ग एवं वनों से गुजर कर अनेक ग्रामों और शहरों को अपनी शरण स्थली बनाई है.

फिलहाल इससे राज्य में कांग्रेस की सरकार ने श्रीराम के वनगमन को विकसित करने के दावों ने सियासत तेज कर दी है.

Intro:cg_rpr_04_cg_ram_vangaman_special_pkg_7203517

छत्तीसगढ़ में इन दिनों राम राम के नाम पर राजनीतिक गलियारे गूंज रहे है। छत्तीसगढ़ सरकार तो बकायदा छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य वाले उन अंचलों का विकास होगा, जहां-जहां भगवान राम के पग पड़े थे। वहां राम वनगमन पथ क्षेत्रों के विकास के लिए राज्य सरकार अलग से नीति बनाएगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसका ऐलान भी कर दिया है वही भाजपा अब राम के नाम पर राजनीति को लेकर कांग्रेस पर निशाना साध रही है। Body:Vo1

माना जाता है कि भगवान राम ने छत्तीसगढ़ में वनवास का सबसे लम्बा समय काटा । कोसल भूमि माने जाने में चलते छत्तीसगढ़ को भगवान राम का ननिहाल भी कहा जाता है। छत्तीसगढ़ राम वनगमन पथ में पड़ने वाले अंचलों का विकास होने जा रहा है। प्रदेश सरकार धर्मस्व और पर्यटन विभाग राम वनगमन पथ अंचलों का विकास इस तरह से करेगा, जिससे पर्यटक उन क्षेत्रों में आसानी से पहुंच सकें। पर्यटकों के लिए राह सुगम होगी और उन्हें अंचलों में सुविधाएं मिलेंगी, तो पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इससे सरकार की पर्यटन से आय भी बढ़ेगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार सार्वजनिक मंचो में भगवान श्रीराम के जयघोष में साथ ही उनके ननिहाल यानी छत्तीसगढ़ में राम वनगमन पथ को डेवलप करने का एलान कर रहे है। भूपेश बघेल ने कहा है कि हमारी परंपरा और संस्कृति में राम है। छत्तीसगढ़ में जितने भी राम वनगमन कर रास्ते है उसको चिन्हित करके डेवलपमेंट करेंगे। साथ ही छत्तीसगढ़ में पिछ्ले 15 साल से सत्ता पर रहे भाजपा सरकार को भी कटघरे में खड़ा कर रहे है।

बाईट- भूपेश बघेल, मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़

सीएम बघेल अपने अलग अलग बयानों में बार बार कह चुके है कि राम गमन मार्ग को सरकार विकसित करेगी , लेकिन साथ ही राम के नाम पर सियासत करने वाली पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के राम प्रेम पर भी सवाल उठा रहे है। ऐसे में लाजिमी है कि भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री रहे डॉ रमन सिंह पर सवालिया निशान उठने लगे है। डॉ रमन सिंह ने कहा है कि राम वनगमन के पथ को गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने गम्भीरता से लिया है। अगर इनके पास कोई प्रपोजल है तो दिल्ली में बात करना चाहिए। यही नही उन्होंने कहा है कि कांग्रेस ने राम को बांट दिया है यही राजनीति की गिरावट की पराकाष्ठा है। भगवान राम कभी बीजेपी कभी कांग्रेस के राम हो गए हैं. कांग्रेस ने तो रामसेतु के बारे में एफिडेविट दिया था और राम के अस्तित्व पर सवाल उठाया था। ये रामसेतु को तोड़ने और उसके अस्तित्व को नकारने वाले आज राम-राम कर रहे हैं चलो आखरी समय में उन्हें राम की याद तो आई।

बाईट- डॉ रमन सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़

वीओ- 3

छत्तीसगढ़ में रामवनगमन -

वही छत्तीसगढ़ में भगवान श्रीराम के वनगमन पथ को लेकर शोध संस्थान के माध्यम से काम कर रहे श्याम बैस कहते है कि ये हमारे लिए गौरव की बात है सरकार इस मामले में काम कर रही है। श्री रामगमन संस्थान की ओर से हम लोगों ने जनश्रोतीयो से काफी रिसर्च किया है। हम भी मानते है कि दक्षिण कोसल का इतिहास लोग जाने। श्रीराम बैकुंठपुर सरगुजा से छत्तीसगढ़ में प्रवेश करते है, वहां रेड़ नदी जो रेणुका नदी का ही नाम है। जमदग्नि यानी परशुराम जी के पिता जी आश्रम है वहां पहुँचे। इसके बाद रामगढ़ विश्रामपुर, मैनपाट, धरमजयगढ़, लक्ष्मण पादुका, चंद्रहासिनी चंद्रपुर, शिवरीनारायण, कसडोल होते हुए तुरतुरिया में वाल्मिकी आश्रम पहुँचे। इसके बाद सिरपुर, फिंगेश्वर, राजिम, पंचकोशी, मधुबन, रुद्री होते हुए सिहावा श्रृंगी ऋषि सप्तऋषि आश्रम पहुँचे। इसके बाद नारायणपुर राकसहाड़ा, चित्रकोट, बारसूर, गीदम होते हुए कुटुमसर पहुँचे। फिर शबरीनदी के किनारे सुकमा रामारम होते हुए कोंटा इंजरम सबरी नदी भद्राचलम के किनारे पर्ण कुटी में रहे है। भगवान श्रीराम की ज्यादातर यात्राएँ नदियों के जरिए ही हुई है।

बाईट- श्याम बैस, अध्यक्ष, श्री रामवनगमन शोध संस्थान

Conclusion:फाइनल वीओ

इतिहासकारों की माने तो छत्तीसगढ़ प्रदेश से भगवान श्री राम का संबंध यहां तक बताया जा रहा है कि उन्हें मिले 14 वर्ष के वनवास में तय किया गया वन भी दण्डक वन ही था। वे 14 वर्ष का वनवास काटने दण्डकारण्य यानि बस्तर पहुंचे थे। वाल्मीकि रामायण का अध्ययन हमें ऐसी अनेक जानकारियां प्रदान करता है, जो प्रभु राम ने 14 वर्ष के वनवास के दौरान पत्नी सीता एवं भाई लक्ष्मण के साथ अध्योया से समुद्री मार्ग एवं वनों से गुजर कर अनेक ग्रामों और शहरों को अपनी शरण स्थली बनायी है। लेकिन अब राज्य में कांग्रेस की सरकार ने श्रीराम के वनगमन को डेवलपमेंट करने के दावों ने सियासत तेज कर दी है।


रिपोर्टर ptc

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुर
Last Updated : Oct 16, 2019, 2:23 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.