ETV Bharat / bharat

जर्मन दूतावास करेगा अरब की सराय बावड़ी का पुननिर्माण - Martin Ney

जर्मन दूतावास ने भारत की प्राचीन अरब की सराय बावड़ी को संवारने का बीड़ा उठाया है. जर्मन राजदूत मार्टिन नेय और आगा खान ट्रस्ट ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है.

जर्मन राजदूत मार्टिन नेय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करते हुए.
author img

By

Published : Mar 26, 2019, 11:15 PM IST

नई दिल्ली: भारत में जर्मन राजदूत मार्टिन नेय और आगा खान ट्रस्ट ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया. इस समझौता ज्ञापन में अरब की सराय बावड़ी, जो हुमायूं का मकबरे में स्थित है, वहां की संस्कृती के जीर्णोद्धार के लिए हस्ताक्षर किया गया है.

इस समझौते के अंतर्गत जर्मन दूतावास ने 41.5 लाख रुपय की राशी अरब की सराय बावड़ी के जीर्णोद्धार के लिए दिया है.

मार्टिन नेय ने कहा कि मानव द्वारा बनाए गए जलाशय का भारत के इतिहास में बहुत महत्व है. अरब की सराय बावड़ी इस समय बुरी स्थिति में है.

मुख्य कारीगर इसको बचाने का काम करेंगे. नक्काशीकार और मिस्त्री, जो बहुत जरूरी हैं वे परंपरागत उरकरणों का इस्तेमाल कर इसको संवारेगे. साथ ही इसके लिए जरूरी सामान और कलात्मक चीजों का प्रयोग करेंगे.

जर्मन राजदूत मार्टिन नेय ने किया समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर.

जर्मन राजदूत ने कहा कि सांस्कृतिक विरासत को बचाने और संभालने से पर्यटन पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा. इसके साथ ही मैं समझता हूं यदि इस जलाश्य को हम पहले जैसा स्वरूप दें तो ये क्षेत्रीय और विदेशी लोगों के लिए एक सुंदर पर्यटन स्थल होगा.

अरब की सराय बावड़ी, हुमांयू मकबरे के परिसर के अंदर ही स्थित है. इसके बगीचे में अफसारवाला मकबरा और ईदगाह मौजूद है.

बता दें कि इंडियन नेशनल ट्रस्ट, जो कला और सांस्कृतिक विरासत के क्षेत्र में काम करता है, उसने दिल्ली में स्थित भारत की प्राचीन ईमारतों की सूची जारी की थी. इस सूची के अनुसार बताया गया कि अरब की सराय बावड़ी 1560 ईसवी में हामिद बानो बेगम द्वारा बनाया गया था. ये मुगल बादशाह हुमांयू की मुख्य सलाहकार थी. 300 अरबी लोग, जिन्हे मक्का से लाया गया था उन्हे सहुलियत प्रदान करने के लिए इसका निर्माण किया गया था.

यह दो चतुर्भुजाओं में विभाजित है. साथ ही कोशिकाओं की श्रृंखला इसके केंद्र में स्थित प्रवेश द्वार तक ले जाती हैं. इसके उत्तर पूर्वी प्रवेश द्वार के बाहर पूर्व से एक प्रवेश द्वार के माध्यम से संपर्क किया जाता है. दूसरा चतुर्भुज है, जो मूल रूप से धनुषाकार कोशिकाओं से घिरा है. जिसे मंडी (बाजार) नाम दिया गया है.

नई दिल्ली: भारत में जर्मन राजदूत मार्टिन नेय और आगा खान ट्रस्ट ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया. इस समझौता ज्ञापन में अरब की सराय बावड़ी, जो हुमायूं का मकबरे में स्थित है, वहां की संस्कृती के जीर्णोद्धार के लिए हस्ताक्षर किया गया है.

इस समझौते के अंतर्गत जर्मन दूतावास ने 41.5 लाख रुपय की राशी अरब की सराय बावड़ी के जीर्णोद्धार के लिए दिया है.

मार्टिन नेय ने कहा कि मानव द्वारा बनाए गए जलाशय का भारत के इतिहास में बहुत महत्व है. अरब की सराय बावड़ी इस समय बुरी स्थिति में है.

मुख्य कारीगर इसको बचाने का काम करेंगे. नक्काशीकार और मिस्त्री, जो बहुत जरूरी हैं वे परंपरागत उरकरणों का इस्तेमाल कर इसको संवारेगे. साथ ही इसके लिए जरूरी सामान और कलात्मक चीजों का प्रयोग करेंगे.

जर्मन राजदूत मार्टिन नेय ने किया समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर.

जर्मन राजदूत ने कहा कि सांस्कृतिक विरासत को बचाने और संभालने से पर्यटन पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा. इसके साथ ही मैं समझता हूं यदि इस जलाश्य को हम पहले जैसा स्वरूप दें तो ये क्षेत्रीय और विदेशी लोगों के लिए एक सुंदर पर्यटन स्थल होगा.

अरब की सराय बावड़ी, हुमांयू मकबरे के परिसर के अंदर ही स्थित है. इसके बगीचे में अफसारवाला मकबरा और ईदगाह मौजूद है.

बता दें कि इंडियन नेशनल ट्रस्ट, जो कला और सांस्कृतिक विरासत के क्षेत्र में काम करता है, उसने दिल्ली में स्थित भारत की प्राचीन ईमारतों की सूची जारी की थी. इस सूची के अनुसार बताया गया कि अरब की सराय बावड़ी 1560 ईसवी में हामिद बानो बेगम द्वारा बनाया गया था. ये मुगल बादशाह हुमांयू की मुख्य सलाहकार थी. 300 अरबी लोग, जिन्हे मक्का से लाया गया था उन्हे सहुलियत प्रदान करने के लिए इसका निर्माण किया गया था.

यह दो चतुर्भुजाओं में विभाजित है. साथ ही कोशिकाओं की श्रृंखला इसके केंद्र में स्थित प्रवेश द्वार तक ले जाती हैं. इसके उत्तर पूर्वी प्रवेश द्वार के बाहर पूर्व से एक प्रवेश द्वार के माध्यम से संपर्क किया जाता है. दूसरा चतुर्भुज है, जो मूल रूप से धनुषाकार कोशिकाओं से घिरा है. जिसे मंडी (बाजार) नाम दिया गया है.

Intro:New Delhi: German Ambassador to India Martin Ney today signed an MoU with the Agha Khan Trust for Culture for restoration of Arab Ki Sarai baoli in the Humayun Tomb complex.


The German Embassy contributed Rs 41.5 lakh for the restoration of Arab Ki Sarai baoli.


Martin Ney said the man-made ponds (baolis)  were of great importance in India’s history. The Arab Ki Sarai Baoli, is currently in deteriorating condition.


"Master craftsmen will undertake the conservation works – stone carvers and masons, who – very importantly– will be using traditional tools, building crafts and materials," he added.


German Ambassador said the restoration of cultural heritage sites has a positive impact on tourism and I am quite sure that after the Baoli has been restored to its original appearance, it will be a great place for local and foreign tourists.



Body:Arab Ki Sarai is situated within the premise of Humayun's Tomb Complex and its lawns contain the Afsarwala Tomb and Mosque. 


According to the Indian National Trust for Art and Cultural Heritage (INTACH) listing of ancient structures in New Delhi, Arab Sarai was built in 1560 AD by Hamida Banu Begum, who was the chief consort of Mughal emperor Humayan, to accommodate 300 Arabs she had brought back from Mecca.


Conclusion:It is divided into two quadrangles by series of cells provided with a gateway in the centre. Immediately outside its lofty eastern entrance, approached by a gateway from the east, is the second quadrangle, originally bounded by arched cells, known as mandi (market).
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.