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कृषि कानूनों के रद्द होने तक आंदोलन खत्म नहीं होगा : राकेश टिकैत

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि केंद्र सरकार जब तक तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती किसान आंदोलन खत्म नहीं होगा. उन्होंने नागपुर में एक प्रेस वार्ता में सवाल पूछा कि जब दिल्ली की सीमा पर लाखों किसान कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, तो ऐसे में केंद्र इन कानूनों को रद्द क्यों नहीं करता ?

राकेश टिकैत
राकेश टिकैत
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Published : Jan 17, 2021, 3:04 PM IST

Updated : Jan 17, 2021, 3:55 PM IST

नागपुर : भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि पिछले लगभग दो महीनों से जारी किसान आंदोलन खत्म नहीं होगा. उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार जब तक तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती, दिल्ली की सीमा पर डटे किसानों का आंदोलन चलता रहेगा.

महाराष्ट्र के नागपुर में एक प्रेस वार्ता में टिकैत ने कहा, 'अगर लाखों किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं, तो सरकार कृषि कानूनों को रद्द क्यों नहीं कर रही है?.

राकेश टिकैत का बयान.

उन्होंने कहा कि क्लॉज पर चर्चा वो करेगा, जिसे कानून में संशोधन कराना हो, ये हमारा सवाल है ही नहीं. सरकार को ये तीनों कानून खत्म करने पड़ेंगे.

उन्होंने कहा कि यह एक वैचारिक क्रांति है और यह क्रांति कभी फेल नहीं होगी, क्योंकि इससे गांव के लोग जुड़े हैं.

उन्होंने सरकार पूर्णरूप से अड़ियल रुख अपनाए हुए है. ये आंदोलन लंबा चलने वाला है.

कृषि और संबद्ध क्षेत्र में सुधार लाने के मकसद से केंद्र सरकार ने कोरोना काल में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 लाए.

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इन कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है और मसले के समाधान के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन कर दिया, लेकिन सरकार ने किसान यूनियनों के साथ बातचीत का मार्ग खुला रखा है.

सरकार की तरफ से वार्ता की अगुवाई कर रहे केंद्रीय कृषि मंत्री बार-बार दोहरा चुके हैं कि देश के किसानों के हितों में जो भी प्रावधान उचित होंगे सरकार उन्हें नए कानून में शामिल करने पर विचार करेगी. मगर, किसान यूनियनों के नेता कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हुए हैं.

सरकार ने कहा है कि वह किसानों की समस्याओं का समाधान तलाशने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के सामने भी अपना पक्ष रखने को तैयार है, जबकि प्रदर्शनकारी किसान यूनियन सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के पास जाने को तैयार नहीं है.

आंदोलनरत किसान तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग पर अड़े हुए हैं, जबकि बिजली अनुदान और पराली दहन से संबंधित दो अन्य मांगों को सरकार पहले ही स्वीकार कर चुकी है.

नए कृषि कानूनों पर किसानों की आपत्तियों का समाधान करने को लेकर पहली बार पिछले साल 14 अक्टूबर को कृषि सचिव ने किसान नेताओं से बातचीत की. इसके बाद शुरू हुआ मंत्रि-स्तरीय वार्ता का दौर और अब तक नौ दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही हैं. मंत्रि-स्तरीय वार्ताओं में तोमर के अलावा रेलमंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश भी मौजूद रहे.

नागपुर : भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि पिछले लगभग दो महीनों से जारी किसान आंदोलन खत्म नहीं होगा. उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार जब तक तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती, दिल्ली की सीमा पर डटे किसानों का आंदोलन चलता रहेगा.

महाराष्ट्र के नागपुर में एक प्रेस वार्ता में टिकैत ने कहा, 'अगर लाखों किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं, तो सरकार कृषि कानूनों को रद्द क्यों नहीं कर रही है?.

राकेश टिकैत का बयान.

उन्होंने कहा कि क्लॉज पर चर्चा वो करेगा, जिसे कानून में संशोधन कराना हो, ये हमारा सवाल है ही नहीं. सरकार को ये तीनों कानून खत्म करने पड़ेंगे.

उन्होंने कहा कि यह एक वैचारिक क्रांति है और यह क्रांति कभी फेल नहीं होगी, क्योंकि इससे गांव के लोग जुड़े हैं.

उन्होंने सरकार पूर्णरूप से अड़ियल रुख अपनाए हुए है. ये आंदोलन लंबा चलने वाला है.

कृषि और संबद्ध क्षेत्र में सुधार लाने के मकसद से केंद्र सरकार ने कोरोना काल में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 लाए.

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इन कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है और मसले के समाधान के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन कर दिया, लेकिन सरकार ने किसान यूनियनों के साथ बातचीत का मार्ग खुला रखा है.

सरकार की तरफ से वार्ता की अगुवाई कर रहे केंद्रीय कृषि मंत्री बार-बार दोहरा चुके हैं कि देश के किसानों के हितों में जो भी प्रावधान उचित होंगे सरकार उन्हें नए कानून में शामिल करने पर विचार करेगी. मगर, किसान यूनियनों के नेता कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हुए हैं.

सरकार ने कहा है कि वह किसानों की समस्याओं का समाधान तलाशने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के सामने भी अपना पक्ष रखने को तैयार है, जबकि प्रदर्शनकारी किसान यूनियन सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के पास जाने को तैयार नहीं है.

आंदोलनरत किसान तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग पर अड़े हुए हैं, जबकि बिजली अनुदान और पराली दहन से संबंधित दो अन्य मांगों को सरकार पहले ही स्वीकार कर चुकी है.

नए कृषि कानूनों पर किसानों की आपत्तियों का समाधान करने को लेकर पहली बार पिछले साल 14 अक्टूबर को कृषि सचिव ने किसान नेताओं से बातचीत की. इसके बाद शुरू हुआ मंत्रि-स्तरीय वार्ता का दौर और अब तक नौ दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही हैं. मंत्रि-स्तरीय वार्ताओं में तोमर के अलावा रेलमंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश भी मौजूद रहे.

Last Updated : Jan 17, 2021, 3:55 PM IST
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