प्रदर्शनकारी किसान संगठन नये कृषि कानूनों को लेकर 30 दिसंबर को वार्ता के अगले दौर को लेकर सरकार के एक प्रस्ताव पर 'सिद्धांतत:' सहमत हो गए, लेकिन उन्होंने कहा कि केंद्र को अपने निमंत्रण में बैठक के एजेंडे के बारे में बताना चाहिए.
संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि केंद्र द्वारा प्रस्तावित तारीख पर बैठक में भाग लेने के लिए किसान सहमत हो गए हैं. विवादास्पद कानून के खिलाफ 40 संगठनों का यह प्रतिनिधि संगठन है.
कोहाड़ ने कहा, 'सरकार को 26 दिसंबर को भेजे गए अपने पत्र में हमने स्पष्ट रूप से वार्ता के एजेंडे के तौर पर तीन कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी की कानूनी गारंटी का जिक्र किया था, लेकिन इसके बावजूद सरकार ने आज के पत्र में किसी विशिष्ट एजेंडे का जिक्र नहीं किया है.' उन्होंने कहा, 'लेकिन हम सिद्धांत रूप से सरकार के साथ वार्ता करने के लिए सहमत हो गए हैं.'
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने एक बयान में कहा कि प्रदर्शनकारी किसान बैठक में चार विशिष्ट एजेंडों को शामिल करना चाहते हैं जिसमें 'तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने के तौर तरीकों को अपनाना' भी शामिल है.
इसने आरोप लगाया कि सरकार ने 'अस्पष्ट' भाषा का इस्तेमाल किया है, जो दिखाता है कि वह किसानों द्वारा प्रस्तावित पूरे एजेंडे पर चर्चा करना चाहती है.
कोहाड़ ने कहा कि सरकार 30 दिसंबर को वार्ता का प्रस्ताव दे रही है जबकि किसानों ने 29 दिसंबर का सुझाव दिया था. यह दिखाता है कि केंद्र अपना दबदबा बनाकर रखना चाहता है.
(पीटीआई-भाषा)