नई दिल्ली : ट्रैक्टर परेड जिसका मकसद किसानों की मांगों को रेखांकित करना था, वह मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर अराजक हो गई. हजारों की संख्या में उग्र प्रदर्शनकारी किसान अवरोधक तोड़ते हुए लाल किला पहुंच गए और उसकी प्राचीर पर एक धार्मिक झंडा लगा दिया जहां भारत का तिरंगा फहराया जाता है. गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर देश की सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया जाता है. हालांकि इस बार ट्रैक्टरों, मोटरसाइकिलों और कुछ घोड़ों पर सवार किसान उस समय से कम से कम दो घंटे पहले बेरिकेड तोड़ते हुए दिल्ली में प्रवेश कर गए जिसकी अनुमति प्राधिकारियों द्वारा दी गई थी. शहर में कई स्थानों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई जिस दौरान लोहे और कंक्रीट के बैरियर तोड़ दिये गए और वाहनों को पलट दिया गया.
दिल्ली के कुछ हिस्से संघर्षक्षेत्र की तरह दिख रहे थे, आईटीओ में गुस्साये प्रदर्शनकारी एक कार को क्षतिग्रस्त करते दिखे. सड़कों पर ईंट और पत्थर बिखरे पड़े थे. यह इस बात का गवाह था कि जो किसान आंदोलन दो महीने से शांतिपूर्ण चल रहा था अब वह शांतिपूर्ण नहीं रहा. शहर में अन्य स्थानों पर भी तनाव देखा गया.
पुलिसकर्मी घायल
दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में कई स्थानों पर झड़पें हुईं जिससे अराजकता की स्थिति उत्पन्न हुई. इस दौरान पूरे दिन हिंसा हुई. इस दौरान घायल होने वाले किसानों की वास्तविक संख्या की जानकारी नहीं है लेकिन दिल्ली पुलिस अधिकारियों ने कहा कि उनके 300 से अधिक कर्मी घायल हो गए. इनमें से 41 पुलिसकर्मी लाल किले पर घायल हुए.
एक प्रदर्शनकारी की मौत
आईटीओ के पास एक प्रदर्शनकारी की तब मौत हो गई जब उसका ट्रैक्टर पलट गया. आईटीओ झड़प वाले प्रमुख स्थानों में से एक रहा.
लाल किले पहुंचे प्रदर्शनकारी
राजपथ और लालकिले पर दो बिल्कुल अलग-अलग चीजें देखने को मिली. राजपथ पर जहां एक ओर भारतीयों ने गणतंत्र दिवस पर देश की सैन्य क्षमता का प्रदर्शन देखा. वहीं प्रदर्शनकारी तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर मुगलकालीन लाल किला पहुंच गए जो स्वतंत्रता दिवस समारोह का मुख्य स्थल है.
किसानों ने किया शर्तों का उल्लंघन
पुलिस ने एक बयान में कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों ने उन शर्तों का उल्लंघन किया जिस पर उनकी ट्रैक्टर परेड को लेकर सहमति बनी थी.
अर्धसैनिक बलों की तैनाती
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि तनाव के कारण अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों को तैनात किया जाएगा. तैनात किये जाने वाले अतिरिक्त बलों की सही संख्या तुरंत ज्ञात नहीं है, लेकिन अधिकारियों के अनुसार यह लगभग 1,500 से 2,000 कर्मियों (लगभग 15 से 20 कंपनियां) हो सकती है.
इंटरनेट सेवा बंद
हिंसा पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से मंत्रालय ने सिंघू, गाजीपुर और टीकरी और उनके आसपास के इलाकों सहित दिल्ली के कुछ हिस्सों में इंटरनेट सेवाओं को मंगलवार दोपहर से 12 घंटे के लिए अस्थायी रूप से निलंबित करने का फैसला किया.
लाल किले में उत्पात
इस दौरान सड़कों पर अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिले. इनमें से सबसे अभूतपूर्व दृश्य लालकिले पर दिखा जहां प्रदर्शनकारी उस ध्वज-स्तंभ पर चढ़ गए और वहां सिख धर्म का झंडा ‘निशान साहिब’ लगा दिया जहां भारत के स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान तिरंगा फहराया जाता है.
जिम्मेदारी से पीछे हटे किसान नेता
वहीं, कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई करने वाले किसान नेताओं ने उन प्रदर्शनों से खुद को अलग कर लिया जिसने ऐसा अप्रत्याशित मोड़ ले लिया जिससे उनके आंदोलन को अब तक मिली लोगों की सहानुभूति के छिनने का खतरा उत्पन्न हो गया है. 41 किसान यूनियनों के निकाय संयुक्त किसान मोर्चा ने आरोप लगाया कि कुछ 'असामाजिक तत्व' उनके आंदोलन में घुस गए जो अभी तक शांतिपूर्ण था.
योगेंद्र यादव ने ली जिम्मेदारी
स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि उन्हें 'शर्म आती है.' उन्होंने एक टेलीविजन चैनल से कहा, 'विरोध का हिस्सा होने के नाते, मुझे लगता है कि जिस तरह से चीजें आगे बढ़ीं, उससे मुझे शर्म आती है और मैं इसकी जिम्मेदारी लेता हूं.'
पुलिस पर हमला
कुछ वीडियो में गुस्साई भीड़ दिखाई दी, जो लाठी और डंडों से लैस थी. ये लोग पुलिसकर्मियों को दौड़ा रहे थे जो कम संख्या में थे.आईटीओ पर सैकड़ों किसान पुलिसकर्मियों को लाठियां लेकर दौड़ाते और खड़ी बसों को अपने ट्रैक्टरों से टक्कर मारते दिखे.