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छतीसगढ़ : यहां किसानों की आर्थिक सेहत बना रहा ड्रैगन फ्रूट

रायगढ़ में किसान पारंपरिक खेती के साथ ड्रैगन फ्रूट की खेती कर लाभ कमा रहे हैं. कम लागत और कम पानी लगने के कारण किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती के साथ-साथ दूसरी फसलें भी लगा रहे हैं. पढ़ें विस्तार से...

dragon fruit farming in chhattisgarh
ड्रैगन फ्रूट
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Published : Jun 1, 2020, 1:46 PM IST

रायगढ़ : पारंपरिक खेती के साथ ही रायगढ़ जिले के किसान अब ड्रैगन फ्रूट की आधुनिक खेती कर रहे हैं. विदेशी नस्ल का यह फल नागफनी (कैक्टस) परिवार का सदस्य है. भारतीय बाजार में इस फल की कीमत 300 से 500 रुपये प्रति किलो है. सैकड़ों लाभकारी गुणों के साथ इसका सेवन दर्जनों रोगों में फायदेमंद माना जाता है. यही वजह है लोग इस फल का सेवन करने लगे हैं. कटीला पौधा और चटकदार रंग की वजह से इसको ड्रैगन फ्रूट कहा जाता है.

कम खर्च से होती है ड्रैगन फ्रूट की खेती
रायगढ़ जिले के खरसिया विधानसभा क्षेत्र के कोतरा गांव के रहने वाले प्रताप बहादुर सिंह पिछले तीन सालों से ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. उनका कहना है कि सिर्फ पहली बार पौधे लगाने और उसकी देखरेख में ही खर्च आता है, जिसके बाद यह पौधा 20 से 25 सालों तक फल देता है. इस पौधे को न ही ज्यादा पानी की और न ही ज्यादा खाद की जरूरत होती है. केवल मामूली देखरेख कर इस पौधे से लंबे समय तक फल लिया जा सकता है. ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि पारंपरिक खेती के साथ ड्रैगन फ्रूट की खेती करना भी बेहद आसान है क्योंकि ड्रैगन फ्रूट के साथ अन्य फसल जैसे बैगन, मिर्ची आदि भी ली जा सकती है.

यहां किसानों की आर्थिक सेहत बना रहा है ड्रैगन फ्रूट

उद्यानिकी विभाग से मिल रही मदद
इस फसल की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि ड्रैगन फ्रूट का पौधा लगाने की जानकारी उद्यानिकी विभाग से मिली जिसके लिए उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया गया और लगभग आधा एकड़ में उन्होंने खेती की है. खेती के लिए उन्हें पौधे भी उद्यानिकी विभाग से ही मिले हैं. जो लागत आई है वह खंभे और पानी सिंचाई के लिए पाइप बिछाने की है.

ड्रैगन फ्रूट की खेती का तरीका
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए एक साथ चार पौधे को जोड़कर उगाया जाता है, चारों पौधों को कंक्रीट के खंभे के सहारे ऊपर उठाते हैं और पौधे की गोलाई के लिए सरिया और टायर से गोलाकर संरचना बनाकर उसमें पौधे को सहारा दिया जाता है. किसान प्रताप बहादुर सिंह ने 140 कंक्रीट के खंभे लगाए हैं जिसमें हर खंभे में चार पौधे लगाए हैं. एक खंभे से दूसरे खंबे की दूरी लगभग दो मीटर की है जिसमें ड्रिप पद्धति से सिंचाई की जाती है. साल भर में पौधों में फूल लगने शुरू हो जाते है.ड्रैगन फ्रूट के पौधों में सालभर फूल लगते है और फूल से महीने भर के अंदर ही फल तैयार हो जाते है. एक फल का वजन 200 से 300 ग्राम तक होता है. इसके फूल की खासियत होती है कि यह केवल रात में ही खिलता है और सुबह तक मुरझा जाता है. पौधे में अच्छे फूल और फल आने के लिए कम से कम 3 साल का वक्त लगता है और उसके बाद 20 से 25 साल तक इससे फसल ली जा सकताी है. ड्रैगन फ्रूट सामान्यतः कम वर्षा वाले देशों के लिए होते हैं क्योंकि ड्रैगन फ्रूट की जड़े ज्यादा पानी में फफूंद के कारण खराब हो जाती हैं.

पढ़ें : मुंबई और गुजरात के तटीय इलाकों में चक्रवाती तूफान की आशंका, मौसम विभाग ने दी चेतावनी

सेहत के लिए फायदेमंद है ड्रैगन फ्रूट

  • विशेषज्ञों के अनुसार ड्रैगन फ्रूट सेहत के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है.
  • इसमें काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट के गुण होते हैं.
  • ड्रैगन फ्रूट में विटामिन, प्रोटीन और कैल्शियम भरपूर मात्रा में रहता है.
  • इस फल का प्रयोग कई बीमारियों में लाभदायक माना जाता है.

रायगढ़ : पारंपरिक खेती के साथ ही रायगढ़ जिले के किसान अब ड्रैगन फ्रूट की आधुनिक खेती कर रहे हैं. विदेशी नस्ल का यह फल नागफनी (कैक्टस) परिवार का सदस्य है. भारतीय बाजार में इस फल की कीमत 300 से 500 रुपये प्रति किलो है. सैकड़ों लाभकारी गुणों के साथ इसका सेवन दर्जनों रोगों में फायदेमंद माना जाता है. यही वजह है लोग इस फल का सेवन करने लगे हैं. कटीला पौधा और चटकदार रंग की वजह से इसको ड्रैगन फ्रूट कहा जाता है.

कम खर्च से होती है ड्रैगन फ्रूट की खेती
रायगढ़ जिले के खरसिया विधानसभा क्षेत्र के कोतरा गांव के रहने वाले प्रताप बहादुर सिंह पिछले तीन सालों से ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. उनका कहना है कि सिर्फ पहली बार पौधे लगाने और उसकी देखरेख में ही खर्च आता है, जिसके बाद यह पौधा 20 से 25 सालों तक फल देता है. इस पौधे को न ही ज्यादा पानी की और न ही ज्यादा खाद की जरूरत होती है. केवल मामूली देखरेख कर इस पौधे से लंबे समय तक फल लिया जा सकता है. ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि पारंपरिक खेती के साथ ड्रैगन फ्रूट की खेती करना भी बेहद आसान है क्योंकि ड्रैगन फ्रूट के साथ अन्य फसल जैसे बैगन, मिर्ची आदि भी ली जा सकती है.

यहां किसानों की आर्थिक सेहत बना रहा है ड्रैगन फ्रूट

उद्यानिकी विभाग से मिल रही मदद
इस फसल की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि ड्रैगन फ्रूट का पौधा लगाने की जानकारी उद्यानिकी विभाग से मिली जिसके लिए उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया गया और लगभग आधा एकड़ में उन्होंने खेती की है. खेती के लिए उन्हें पौधे भी उद्यानिकी विभाग से ही मिले हैं. जो लागत आई है वह खंभे और पानी सिंचाई के लिए पाइप बिछाने की है.

ड्रैगन फ्रूट की खेती का तरीका
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए एक साथ चार पौधे को जोड़कर उगाया जाता है, चारों पौधों को कंक्रीट के खंभे के सहारे ऊपर उठाते हैं और पौधे की गोलाई के लिए सरिया और टायर से गोलाकर संरचना बनाकर उसमें पौधे को सहारा दिया जाता है. किसान प्रताप बहादुर सिंह ने 140 कंक्रीट के खंभे लगाए हैं जिसमें हर खंभे में चार पौधे लगाए हैं. एक खंभे से दूसरे खंबे की दूरी लगभग दो मीटर की है जिसमें ड्रिप पद्धति से सिंचाई की जाती है. साल भर में पौधों में फूल लगने शुरू हो जाते है.ड्रैगन फ्रूट के पौधों में सालभर फूल लगते है और फूल से महीने भर के अंदर ही फल तैयार हो जाते है. एक फल का वजन 200 से 300 ग्राम तक होता है. इसके फूल की खासियत होती है कि यह केवल रात में ही खिलता है और सुबह तक मुरझा जाता है. पौधे में अच्छे फूल और फल आने के लिए कम से कम 3 साल का वक्त लगता है और उसके बाद 20 से 25 साल तक इससे फसल ली जा सकताी है. ड्रैगन फ्रूट सामान्यतः कम वर्षा वाले देशों के लिए होते हैं क्योंकि ड्रैगन फ्रूट की जड़े ज्यादा पानी में फफूंद के कारण खराब हो जाती हैं.

पढ़ें : मुंबई और गुजरात के तटीय इलाकों में चक्रवाती तूफान की आशंका, मौसम विभाग ने दी चेतावनी

सेहत के लिए फायदेमंद है ड्रैगन फ्रूट

  • विशेषज्ञों के अनुसार ड्रैगन फ्रूट सेहत के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है.
  • इसमें काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट के गुण होते हैं.
  • ड्रैगन फ्रूट में विटामिन, प्रोटीन और कैल्शियम भरपूर मात्रा में रहता है.
  • इस फल का प्रयोग कई बीमारियों में लाभदायक माना जाता है.
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