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मांग पूरी न होने तक कृषि बिल का विरोध जारी रहेगा : कांग्रेस - farm bills protest

विपक्षी दलों ने शुक्रवार को कृषि विधेयकों के विरोध में भारत बंद का समर्थन किया. कांग्रेस ने हमलावर होते हुए कहा कि जब तक इन विधेयकों को वापस नहीं लिया जाता, वह विरोध जारी रखेंगे.

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत
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Published : Sep 25, 2020, 6:12 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को किसान संगठनों द्वारा भारत बंद के आह्वान का समर्थन किया. विपक्षी दल ने यह भी कहा कि वह किसानों के साथ एकजुटता से खड़ी रहेगी. जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा, तब तक वह कृषि बिल का विरोध जारी रखेंगे.

ईटीवी भारत से बात करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि यह विरोध पूरी तरह सही है. किसानों के अधिकार को देने से सरकार इनकार कर रही है. केंद्र ने किसानों का शोषण करने के लिए इस बिल के माध्यम से रास्ता खोल दिया है. सभी भारतीय किसानों की सुरक्षा को हटा दिया है, जिसके कारण हम इन बिलों के खिलाफ हैं.

कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि कृषि बिल में विभिन्न प्रावधान हैं, जो भारतीय किसानों को कॉर्पोरेट खिलाड़ियों की दया पर छोड़ देंगे.

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि यदि आप कानून में प्रावधान नहीं बताने जा रहे हैं, क्या एमएसपी होना है, तो किसानों को शोषण होने से यह बिल कैसे रोक सकता है. एक भारतीय किसान की औसत जोत-भूमि दो एकड़ से कम है. क्या आपको लगता है कि ऐसे किसानों के पास भारतीय उद्योग के बड़े पहलुओं के साथ बातचीत करने की शक्तियां हैं.

विपक्षी दलों ने संसद से पारित तीनों कृषि विधेयकों का विरोध किया है. जिसमें व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक 2020 और किसानों (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौते और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक शामिल हैं.

विवाद समाधान पर इन विधेयकों में कोई प्रावधान नहीं होने के बारे में भी कांग्रेस चिंता जता रही है, जिसमें कहा गया है कि किसान कॉर्पोरेट्स के समक्ष बातचीत नहीं कर पाएंगे.

श्रीनेत ने कहा कि विवाद के मामले में अपील करने के लिए किसानों को 30 दिन का समय और कॉर्पोरेट्स के लिए 60 दिन का समय, यह कितना सही है. अपील करने के लिए सबसे उच्च न्यायालय एसडीएम है. क्या आप वास्तव में सोचते हैं कि वह एसडीएम को वास्तविक रूप देने में सक्षम होंगे.

उन्होंने आगे कहा कि इन बिलों में ऐसे प्रावधान हैं, जो बिल्कुल किसानों के खिलाफ हैं और देश के अमीर उद्योगपतियों के पक्षधर हैं, लेकिन मुझे कोई आश्चर्य नहीं है क्योंकि यह इस सरकार के असली रंग हैं.

केंद्र सरकार से कांग्रेस पार्टी की मांगों पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इन बिलों को वापस लेने की आवश्यकता है. जो कुछ भी भारतीय किसानों के अनाज और अधिकारों के खिलाफ है, उन्हें वापस करना होगा. यदि सरकार कृषि में सुधार के लिए वास्तव में गंभीर है तो उनके पास कई और छोटे बाजार होने चाहिए, जो हमारे घोषणा पत्र में कहा गया है.

यह भी पढ़ें- आरोप पत्र में आईएसआई व खालिस्तान समर्थकों की संलिप्तता का खुलासा

श्रीनेत ने कहा कि केंद्र ने फसलों के लिए मंडियों का प्रावधान और एमएसपी भी तय नहीं किया है, जिसके कारण किसानों को उनकी उपज बेचते समय शोषण किया जाएगा. जब तक इस बिल को वापस नहीं लिया जाएगा तब तक कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी.

भाजपा के कांग्रेस द्वारा किसानों को बरगलाने के आरोप पर सुप्रिया ने कहा कि वह सभी कहते हैं कि पीएम ने उल्लेख किया है कि एमएसपी होगा, लेकिन पीएम ने यह भी कहा था कि हमारे खातों में 15 लाख रुपये आएंगे, हर साल दो करोड़ नौकरियां पैदा होंगी, हम 21 दिनों में कोरोना के खिलाफ युद्ध जीत लेंगे, नोटबंदी हमारे सकल घरेलू उत्पाद में एक बड़ी वृद्धि देगा, हालांकि इसने जीडीपी को कम कर दिया. बेरोजगारी की उच्चतम दर पीएम मोदी की निगरानी में है. कितने वादे अब तक पूरे हुए.

उन्होंने यह भी कहा कि क्या हम भारतीय किसानों को प्रधानमंत्री के झूठे वादों के लिए छोड़ सकते हैं. यह वादों का पूर्ण विश्वासघात है और हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे.

नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को किसान संगठनों द्वारा भारत बंद के आह्वान का समर्थन किया. विपक्षी दल ने यह भी कहा कि वह किसानों के साथ एकजुटता से खड़ी रहेगी. जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा, तब तक वह कृषि बिल का विरोध जारी रखेंगे.

ईटीवी भारत से बात करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि यह विरोध पूरी तरह सही है. किसानों के अधिकार को देने से सरकार इनकार कर रही है. केंद्र ने किसानों का शोषण करने के लिए इस बिल के माध्यम से रास्ता खोल दिया है. सभी भारतीय किसानों की सुरक्षा को हटा दिया है, जिसके कारण हम इन बिलों के खिलाफ हैं.

कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि कृषि बिल में विभिन्न प्रावधान हैं, जो भारतीय किसानों को कॉर्पोरेट खिलाड़ियों की दया पर छोड़ देंगे.

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि यदि आप कानून में प्रावधान नहीं बताने जा रहे हैं, क्या एमएसपी होना है, तो किसानों को शोषण होने से यह बिल कैसे रोक सकता है. एक भारतीय किसान की औसत जोत-भूमि दो एकड़ से कम है. क्या आपको लगता है कि ऐसे किसानों के पास भारतीय उद्योग के बड़े पहलुओं के साथ बातचीत करने की शक्तियां हैं.

विपक्षी दलों ने संसद से पारित तीनों कृषि विधेयकों का विरोध किया है. जिसमें व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक 2020 और किसानों (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौते और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक शामिल हैं.

विवाद समाधान पर इन विधेयकों में कोई प्रावधान नहीं होने के बारे में भी कांग्रेस चिंता जता रही है, जिसमें कहा गया है कि किसान कॉर्पोरेट्स के समक्ष बातचीत नहीं कर पाएंगे.

श्रीनेत ने कहा कि विवाद के मामले में अपील करने के लिए किसानों को 30 दिन का समय और कॉर्पोरेट्स के लिए 60 दिन का समय, यह कितना सही है. अपील करने के लिए सबसे उच्च न्यायालय एसडीएम है. क्या आप वास्तव में सोचते हैं कि वह एसडीएम को वास्तविक रूप देने में सक्षम होंगे.

उन्होंने आगे कहा कि इन बिलों में ऐसे प्रावधान हैं, जो बिल्कुल किसानों के खिलाफ हैं और देश के अमीर उद्योगपतियों के पक्षधर हैं, लेकिन मुझे कोई आश्चर्य नहीं है क्योंकि यह इस सरकार के असली रंग हैं.

केंद्र सरकार से कांग्रेस पार्टी की मांगों पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इन बिलों को वापस लेने की आवश्यकता है. जो कुछ भी भारतीय किसानों के अनाज और अधिकारों के खिलाफ है, उन्हें वापस करना होगा. यदि सरकार कृषि में सुधार के लिए वास्तव में गंभीर है तो उनके पास कई और छोटे बाजार होने चाहिए, जो हमारे घोषणा पत्र में कहा गया है.

यह भी पढ़ें- आरोप पत्र में आईएसआई व खालिस्तान समर्थकों की संलिप्तता का खुलासा

श्रीनेत ने कहा कि केंद्र ने फसलों के लिए मंडियों का प्रावधान और एमएसपी भी तय नहीं किया है, जिसके कारण किसानों को उनकी उपज बेचते समय शोषण किया जाएगा. जब तक इस बिल को वापस नहीं लिया जाएगा तब तक कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी.

भाजपा के कांग्रेस द्वारा किसानों को बरगलाने के आरोप पर सुप्रिया ने कहा कि वह सभी कहते हैं कि पीएम ने उल्लेख किया है कि एमएसपी होगा, लेकिन पीएम ने यह भी कहा था कि हमारे खातों में 15 लाख रुपये आएंगे, हर साल दो करोड़ नौकरियां पैदा होंगी, हम 21 दिनों में कोरोना के खिलाफ युद्ध जीत लेंगे, नोटबंदी हमारे सकल घरेलू उत्पाद में एक बड़ी वृद्धि देगा, हालांकि इसने जीडीपी को कम कर दिया. बेरोजगारी की उच्चतम दर पीएम मोदी की निगरानी में है. कितने वादे अब तक पूरे हुए.

उन्होंने यह भी कहा कि क्या हम भारतीय किसानों को प्रधानमंत्री के झूठे वादों के लिए छोड़ सकते हैं. यह वादों का पूर्ण विश्वासघात है और हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे.

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