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'ग्राउंड जीरो के हीरो' SDRF कमांडेंट नवनीत भुल्लर ने बताया कैसे चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन

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Published : Feb 9, 2021, 4:37 PM IST

Updated : Feb 9, 2021, 4:47 PM IST

रेस्क्यू अभियान में एसडीआरएफ की कमान संभाल रहे कमांडेट नवनीत भुल्लर से 'ईटीवी भारत' ने बात की. नवनीत भुल्लर ने बताया कि कैसे वे इन मुश्किल हालातों में 'ऑल इज वेल' की उम्मीद लिए दिन-रात रेस्क्यू अभियान में जुटे हैं.

कमांडेंट नवनीत भुल्लर
कमांडेंट नवनीत भुल्लर

देहरादून/जोशीमठ: चमोली के रैणी गांव में आई जल प्रलय के बाद से यहां लगातार राहत-बचाव कार्य जोरों पर है. सेना, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और आईटीबीपी के जवान दिन-रात हालातों को हराकर रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे हैं.

रैणी गांव में आई जल प्रलय में अब तक 31 लोगों के मरने की पुष्टि हुई है. अभी भी ऋषिगंगा प्रोजेक्ट में काम करने वाले कई मजदूर और अधिकारी टनल के मलबे में फंसे हैं. जिन्हें निकालने की जद्दोजहद जारी है. ग्राउंड जीरो पर राहत बचाव कार्यों और हालात का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत रैणी गांव पहुंचा. हमने रेस्क्यू अभियान में एसडीआरएफ की कमान संभाल रहे कमांडेंट नवनीत भुल्लर से बात की.

सवाल: अभी रेस्क्यू ऑपरेशन का क्या अपडेट है?

नवनीत भुल्लर, कमांडेंट(SDRF) : रैणी गांव में फिलहाल रिलीफ का काम चल रहा है. पल्ली रैणी गांव का एक ब्रिज टूट गया है. जिसके कारण गांव का संपर्क कट गया है. इंजीनियर लगातार इसे बनाने में जुटे हुए हैं. एसडीआरएफ फौरी तौर पर ग्रामीणों को राहत पहुंचाने का काम कर रही है. इमरजेंसी, मेडिकल सेवाओं, खाने-पीने की आपूर्ति के लिए एसडीआरएफ काम कर रही है. इसके लिए यहां एक जिफ लाइन फिक्स की गई है. जिससे ग्रामीणों को एक छोर से दूसरे छोर पहुंचाया जा रहा है. इसके अलावा अन्य तक जरूरी चीजों को भी वहां तक पहुंचाया जा रहा है.

सवाल: जिप लाइन क्या होती है और इससे एसडीआरफ कैसे राहत पहुंचा रहा है?

नवनीत भुल्लर, कमांडेंट(SDRF) : जिप लाइन रिवर को क्रास करने के लिए लगाई जाती है. इसमें नदी या पहाड़ के दोनों छोरों पर एंकर प्वाइंट लगाए जाते हैं. जिसमें रस्सियों के माध्यम से लोगों, राहत सामग्री को एक ओर से दूसरे छोर पहुंचाया जाता है. ये एक तरह की डायनमिक रोप होती है. इसमें हारनेस का इस्तेमाल किया जाता है. जिप लाइन में सुरक्षा मानकों का पूरा ध्यान रखा जाता है. ये पुल टूटने, बाढ़ आने, माउंटेनिंग में खास तौर से प्रयोग किया जाता है. आपदा के दौरान राहत और बचाव कार्यों में जिप लाइन खासी उपयोगी होती है.

सवाल: शवों को लेकर क्या अपडेट है, उनकी जानकारी जुटाई जा रही हैं क्या?

नवनीत भुल्लर, कमांडेंट(SDRF): फिलहाल यहां पर तीन शव बरामद किए गए हैं. जिसमें एक पुलिस के जवान बलवीर गड़िया हैं, जो कि यहां पोस्टेड थे, उनकी शिनाख्त हुई है. बाकी की जानकारी जुटाई जा रही है. अभी यहां पर ब्रिज को बनाने का काम जारी है. उसके लिए मलबा हटाया जा रहा है. जैसे-जैसे मलबा हटाया जा रहा है वैसे-वैसे बॉडीज रिकवर हो रही हैं.

सवाल: जल प्रलय में काम करने का कैसा अनुभव रहा, क्या किया जाए कि ऐसी घटनाओं में जानमाल के नुकसान को कम किया जा सके?

नवनीत भुल्लर, कमांडेंट (SDRF): हर आपदा की प्रकृति और स्वरूप अलग होता है. सभी जगह अलग तरह की चुनौतियां होती हैं. हर जगह हालातों के हिसाब से काम करने की जरूरत होती है. रैणी गांव में मल्टी एजेंसी एप्रोच है.

पढ़ें- तपोवन बैराज में फंसे मजदूरों की आपबीती सुन आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे

यहां पर एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, गढ़वाल स्काउट्स, लोकल पुलिस, डॉग यूनिट लगातार रेस्क्यू अभियान में लगी हुई हैं. यहां पर हर तरह की स्पेशल यूनिट काम कर रही है. जिससे ऑपरेशन में आसानी होती है.

सभी एजेंसियां मिलकर कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं. इस तरह के हालातों में सभी में कोओर्डिनेशन होना बहुत ही जरूरी है. आपदा किसी एक जगह को प्रभावित नहीं करती. इसका क्षेत्र बहुत बड़ा होता है. इसलिए सभी को मिलकर जानकारियां साझा करते हुए काम करने की जरूरत होती है.

पढ़ें- जोशीमठ आपदा का पहला वीडियो दिखाने वाले व्यक्ति से ईटीवी भारत की बातचीत

सवाल: राहत वचाव कार्य में आपके सामने क्या चुनौतियां हैं?

नवनीत भुल्लर, कमांडेंट (SDRF): यहां पर बेसिक चैलेंज मलबा है, जो कि मशीन से ही हटाया जा सकता है. अगर इसे मैन्युअली किया जाता है तो इसमें काफी समय लग जाता है, जिससे जिदंगियों के बचने के आसार कम होते हैं. इसलिए फोर्स को बड़ी ही एहतियात बरतते हुए मलबे को हटाना होता है.

देहरादून/जोशीमठ: चमोली के रैणी गांव में आई जल प्रलय के बाद से यहां लगातार राहत-बचाव कार्य जोरों पर है. सेना, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और आईटीबीपी के जवान दिन-रात हालातों को हराकर रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे हैं.

रैणी गांव में आई जल प्रलय में अब तक 31 लोगों के मरने की पुष्टि हुई है. अभी भी ऋषिगंगा प्रोजेक्ट में काम करने वाले कई मजदूर और अधिकारी टनल के मलबे में फंसे हैं. जिन्हें निकालने की जद्दोजहद जारी है. ग्राउंड जीरो पर राहत बचाव कार्यों और हालात का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत रैणी गांव पहुंचा. हमने रेस्क्यू अभियान में एसडीआरएफ की कमान संभाल रहे कमांडेंट नवनीत भुल्लर से बात की.

सवाल: अभी रेस्क्यू ऑपरेशन का क्या अपडेट है?

नवनीत भुल्लर, कमांडेंट(SDRF) : रैणी गांव में फिलहाल रिलीफ का काम चल रहा है. पल्ली रैणी गांव का एक ब्रिज टूट गया है. जिसके कारण गांव का संपर्क कट गया है. इंजीनियर लगातार इसे बनाने में जुटे हुए हैं. एसडीआरएफ फौरी तौर पर ग्रामीणों को राहत पहुंचाने का काम कर रही है. इमरजेंसी, मेडिकल सेवाओं, खाने-पीने की आपूर्ति के लिए एसडीआरएफ काम कर रही है. इसके लिए यहां एक जिफ लाइन फिक्स की गई है. जिससे ग्रामीणों को एक छोर से दूसरे छोर पहुंचाया जा रहा है. इसके अलावा अन्य तक जरूरी चीजों को भी वहां तक पहुंचाया जा रहा है.

सवाल: जिप लाइन क्या होती है और इससे एसडीआरफ कैसे राहत पहुंचा रहा है?

नवनीत भुल्लर, कमांडेंट(SDRF) : जिप लाइन रिवर को क्रास करने के लिए लगाई जाती है. इसमें नदी या पहाड़ के दोनों छोरों पर एंकर प्वाइंट लगाए जाते हैं. जिसमें रस्सियों के माध्यम से लोगों, राहत सामग्री को एक ओर से दूसरे छोर पहुंचाया जाता है. ये एक तरह की डायनमिक रोप होती है. इसमें हारनेस का इस्तेमाल किया जाता है. जिप लाइन में सुरक्षा मानकों का पूरा ध्यान रखा जाता है. ये पुल टूटने, बाढ़ आने, माउंटेनिंग में खास तौर से प्रयोग किया जाता है. आपदा के दौरान राहत और बचाव कार्यों में जिप लाइन खासी उपयोगी होती है.

सवाल: शवों को लेकर क्या अपडेट है, उनकी जानकारी जुटाई जा रही हैं क्या?

नवनीत भुल्लर, कमांडेंट(SDRF): फिलहाल यहां पर तीन शव बरामद किए गए हैं. जिसमें एक पुलिस के जवान बलवीर गड़िया हैं, जो कि यहां पोस्टेड थे, उनकी शिनाख्त हुई है. बाकी की जानकारी जुटाई जा रही है. अभी यहां पर ब्रिज को बनाने का काम जारी है. उसके लिए मलबा हटाया जा रहा है. जैसे-जैसे मलबा हटाया जा रहा है वैसे-वैसे बॉडीज रिकवर हो रही हैं.

सवाल: जल प्रलय में काम करने का कैसा अनुभव रहा, क्या किया जाए कि ऐसी घटनाओं में जानमाल के नुकसान को कम किया जा सके?

नवनीत भुल्लर, कमांडेंट (SDRF): हर आपदा की प्रकृति और स्वरूप अलग होता है. सभी जगह अलग तरह की चुनौतियां होती हैं. हर जगह हालातों के हिसाब से काम करने की जरूरत होती है. रैणी गांव में मल्टी एजेंसी एप्रोच है.

पढ़ें- तपोवन बैराज में फंसे मजदूरों की आपबीती सुन आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे

यहां पर एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, गढ़वाल स्काउट्स, लोकल पुलिस, डॉग यूनिट लगातार रेस्क्यू अभियान में लगी हुई हैं. यहां पर हर तरह की स्पेशल यूनिट काम कर रही है. जिससे ऑपरेशन में आसानी होती है.

सभी एजेंसियां मिलकर कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं. इस तरह के हालातों में सभी में कोओर्डिनेशन होना बहुत ही जरूरी है. आपदा किसी एक जगह को प्रभावित नहीं करती. इसका क्षेत्र बहुत बड़ा होता है. इसलिए सभी को मिलकर जानकारियां साझा करते हुए काम करने की जरूरत होती है.

पढ़ें- जोशीमठ आपदा का पहला वीडियो दिखाने वाले व्यक्ति से ईटीवी भारत की बातचीत

सवाल: राहत वचाव कार्य में आपके सामने क्या चुनौतियां हैं?

नवनीत भुल्लर, कमांडेंट (SDRF): यहां पर बेसिक चैलेंज मलबा है, जो कि मशीन से ही हटाया जा सकता है. अगर इसे मैन्युअली किया जाता है तो इसमें काफी समय लग जाता है, जिससे जिदंगियों के बचने के आसार कम होते हैं. इसलिए फोर्स को बड़ी ही एहतियात बरतते हुए मलबे को हटाना होता है.

Last Updated : Feb 9, 2021, 4:47 PM IST
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