हैदराबाद : नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने एजिसिलोस डेमेट्रियड्स को मुंबई में गिरफ्तार किया है. एजिसिलोस अभिनेता अर्जुन रामपाल के साथी गैब्रिएला डेमेट्रियड्स के भाई हैं. इन पर मुंबई में संचालित ड्रग सिंडिकेट का हिस्सा होने का आरोप लगा है.
इसी बीच अल्प्राजोलम-ए एस नाम की दवा भी चर्चा में आई है. यह एक जेनेरिक एंटी-एंग्जाइटी दवा है और शहरी भारतीयों के बीच इसकी मांग काफी बढ़ गई है. पेशेवरों से लेकर गृहणियां तक इस दवा का इस्तेमाल कर रही हैं. इस दवा के बेजा इस्तेमाल से जीवन पर दुष्प्रभाव भी पड़ रहे हैं. दरअसल, इस दवा के बिना ठीक मात्रा की जानकारी के प्रयोग करने से लोगों को नशा होता है.
जो लोग अवसाद से पीड़ित हैं वह इस दवा के असर से आत्महत्या तक कर लेते हैं. पिछले साल भारतीय केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अल्प्राजोलम पर प्रतिबंध भी लगा दिया था.
क्या है अल्प्राजोलम?
अल्प्राजोलम दवाओं के एक समूह से संबंधित है जिसे बेंजोडायजेपाइन कहा जाता है. इसका उपयोग एंग्जाइटी और पैनिक डिसऑर्डर के उपचार में किया जाता है. इसे सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर लिया जाता है. ऐसा माना जाता है कि अल्प्राजोलम मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटरों की गतिविधि को बढ़ाकर काम करती है.
पंजीकृत दुकान से न खरीदी गई दवा या बिना डॉक्टर की सलाह के ली गई यह दवा बेहद खतरनाक हो सकती है. अवसाद ग्रस्त लोगों को यह दवा दी जाती है, हालांकि अक्सर लोगों को इसकी लत लग जाती है. खतरा तब और बढ़ जाता है जब दवा लेने वाले को और किसी मादक पदार्थ की भी लत होती है.
क्या हैं इसके साइड इफेक्ट?
अल्प्राजोलम के कई साइड इफेक्ट हो सकते हैं. यदि किसी को अल्प्राजोलम लेने के बाद उनींदापन, हल्कापन, सिरदर्द, थकान, चक्कर आना, चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण महसूस हों तो उन्हें डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
साइड इफेक्ट होने के कुछ और लक्षण
- ध्यान केंद्रित कर पाने में कठिनाई
- सूखापन
- लार में वृद्धि
- कब्ज
- भूख में बदलाव
- वजन में बदलाव
- पेशाब में कठिनाई
- जोड़ों में दर्द
- सांस की तकलीफ
- ऐसी चीजें दिखाई या सुनाई देना जो मौजूद नहीं हैं (मतिभ्रम)
- त्वचा पर लाल चकत्ते
- त्वचा या आंखों का पीला पड़ना
- अवसाद
- स्मृति से जुड़ी समस्याएं
- भ्रम
- बोल पाने के साथ समस्याएं
- व्यवहार या मनोदशा में असामान्य परिवर्तन
- नुकसान पहुंचाने और खुद को मारने के बारे में सोचना
- खुद को नुकसान पहुंचाने या खुदकुशी करने की कोशिश करना
इन सभी में से एक या उससे अधिक लक्षण लंबे समय तक बने रहने या किसी और तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
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हशीश क्या है और यह कैसे बनता है?
हशीश या हैश, कीफ या सूखे राल से बनता है, जो परिपक्व और अप्रभावित मादा भांग के पौधों के फूलों में सबसे ऊपर पाया जाता है. राल ग्रंथियों को ट्राइकोम या क्रिस्टल कहा जाता है.
हैश को बनाने के लिए राल को एकत्र किया जाता है और उसे सुखाया जाता है. इसी से हशीश बनती है. यह नरम या कड़ा हो सकता है. इसका रंग लाल, काला, भूरा, हरा, पीला और सुनहरा हो सकता है. नशेड़ी इससा उपयोग खाने की वस्तुओं में भी करते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, भांग की दुनिया में सबसे अधिक तस्करी और अवैध खेती होती है. मारिजुआना और हैश दोनों कैनबिस सैटिवा या कैनबिस इंडिका ( हाइब्रिड) पौधे से प्राप्त होते हैं. कैनबिस में THC (डेल्टा-9-टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल) होता है, जिसमें दिमाग को बदलने वाले गुण होते हैं.
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मस्तिष्क और शरीर पर मारिजुआना और हशीश के प्रभाव
मारिजुआना और हैश का मस्तिष्क और शरीर पर समान प्रभाव पड़ता है. कैनबिस से शिथिलता, उत्साह, प्रेरणा की कमी, बिगड़ा हुआ मोटर नियंत्रण, भूख में वृद्धि, मेमोरी लैप्स और विकृत संवेदी और समय धारणाएं पैदा होती हैं.
फेफड़े और सांस लेने की समस्या, अनियमित हृदय गति, संज्ञानात्मक गिरावट और मारिजुआना या हैश के संपर्क में आने वाले युवा लोगों में मस्तिष्क के विकास का विघटन, कैनबिस के उपयोग के दीर्घकालिक प्रभाव संभव हैं. धीरे-धीरे इनका इस्तेमाल करने वालों को इन मादक पदार्थों की लत लग जाती है.