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पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने से किसानों पर पड़ी दोहरी मार

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि सरकार ने धान की एमएसपी पर पिछले साल के मुकाबले मात्र 53 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़तोरी की है. किसान इससे पहले ही निराश था और अब डीजल की महंगाई से धान की लागत मूल्य और बढ़ जाएगी. इस समय में कीमत बढ़ाना किसान पर दोहरी मार की तरह है क्योंकि पहले ही किसान कोरोना महामारी और लॉकडाउन की मार से उबर नहीं सका है. सरकार को इस पर तुरंत विचार करना चाहिये नहीं तो देशभर में किसान सड़कों पर उतरेंगे और सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे.

किसानों पर पड़ी दोहरी मार
किसानों पर पड़ी दोहरी मार
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Published : Jun 27, 2020, 10:04 PM IST

हैदराबाद : देश में लगातार डीजल पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से जहां जनता परेशान हैं वहीं खरीफ मौसम के फसल की बुआई का समय होने के कारण किसानों को भी महंगा डीजल खरीदना पड़ रहा है. किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि सरकार जल्द बढ़ती कीमत पर नियंत्रण लाये नहीं तो किसान आंदोलन करने पर मजबूर होगा. भारतीय किसान यूनियन ने तो आगामी 30 जून को जिला और तहसील स्तर पर विरोध प्रदर्शन का ऐलान भी कर दिया है.

खरीफ मौसम की फसल में सबसे प्रमुख धान और गन्ना हैं जिनकी बुआई का काम देश के ज्यादातर राज्यों में चल रहा है. धान की बुआई में सबसे ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती है और गन्ने की सिंचाई में भी पानी भरपूर लगता है. अब डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण किसान पम्पसेट चलाने के लिये महंगा डीजल खरीदेगा और ऐसे में फसल की लागत मूल्य बढ़ेगी.

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि सरकार ने धान की एमएसपी पर पिछले साल के मुकाबले मात्र 53 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़तोरी की है. किसान इससे पहले ही निराश था और अब डीजल की महंगाई से धान की लागत मूल्य और बढ़ जाएगी. इस समय में कीमत बढ़ाना किसान पर दोहरी मार की तरह है क्योंकि पहले ही किसान कोरोना महामारी और लॉकडाउन की मार से उबर नहीं सका है. सरकार को इस पर तुरंत विचार करना चाहिये नहीं तो देशभर में किसान सड़कों पर उतरेंगे और सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे.

राकेश टिकैत ने आगे बताया कि कृषि की लागत मूल्य केवल पंप सेट से खेतों में पानी पटवन और ट्रैक्टर से जुताई तक ही सीमित नहीं है. किसान मोटरसाइकिल भी चलाता है, अपनी फसल को बेचने के लिये या खाद बीज लाने के लिये ट्रैक्टर ट्रॉली और अन्य वाहन भी लाता है. डीजल की कीमत बढ़ने से बाकी चीजों की कीमतें भी बढ़ेंगी और इन सबका प्रभाव खेती पर पड़ेगा. सरकार अब दोबारा एमएसपी बढ़ाए ऐसी तो उम्मीद किसानों को नहीं है लेकिन क्या सरकार घोषित एमएसपी पर खरीद की गारंटी दे सकती है?

गौरतलब है कि सरकार द्वारा खरीफ फसलों में धान की एमएसपी वर्ष 2020-21 के लिये 1868 रुपये घोषित की गई है जो वर्ष 2019-20 में ₹ 1815 थी. इस तरह से मौजूदा वर्ष के लिये धान की एमएसपी में 53 पैसे प्रति किलो की मामूली बढ़त की गई है.

किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह पहले से ही किसानों के लिये डीजल की अनुदानित कीमत तय करने की मांग करते रहे हैं लेकिन सरकार द्वारा किसानों को राहत देने की बजाय अब जून महीने में डीजल की कीमत 20 दिन से लगातार बढ़ रही है. मार्च महीने से जून तक कि बात करें तो डीजल की कीमत में लगभग 18 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हो चुकी है.

ईटीवी भारत से बातचीत में किसान नेता चौधरी पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि कीमतें बढ़ने से सबसे ज्यादा मार किसानों को झेलना पड़ रहा है. सरकार को कृषि कार्य के लिये डीजल की कीमत 50 रुपये प्रति लीटर तय कर देनी चाहिये नहीं तो खेती की लागत मूल्य और बढ़ती जाएगी. गन्ने के एमएसपी में दो साल से कोई बढ़ोतरी नहीं कि गई है जबकि धान में मामूली बढ़त की गई. इन दोनों फसलों में पानी की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है. ऐसे में अगर सरकार तुरंत कुछ नहीं करती है तो किसानों के पास आंदोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं रह जाएगा.

डीजल पेट्रोल की बढ़ती कीमतों पर देशभर के अन्य किसान संगठनों ने भी आपत्ति जताई है और कई जगह विरोध प्रदर्शन भी देखे गए हैं. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि 30 जून से पहले सरकार किसान संगठनों की चेतावनी पर कितना गौर करती है.

हैदराबाद : देश में लगातार डीजल पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से जहां जनता परेशान हैं वहीं खरीफ मौसम के फसल की बुआई का समय होने के कारण किसानों को भी महंगा डीजल खरीदना पड़ रहा है. किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि सरकार जल्द बढ़ती कीमत पर नियंत्रण लाये नहीं तो किसान आंदोलन करने पर मजबूर होगा. भारतीय किसान यूनियन ने तो आगामी 30 जून को जिला और तहसील स्तर पर विरोध प्रदर्शन का ऐलान भी कर दिया है.

खरीफ मौसम की फसल में सबसे प्रमुख धान और गन्ना हैं जिनकी बुआई का काम देश के ज्यादातर राज्यों में चल रहा है. धान की बुआई में सबसे ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती है और गन्ने की सिंचाई में भी पानी भरपूर लगता है. अब डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण किसान पम्पसेट चलाने के लिये महंगा डीजल खरीदेगा और ऐसे में फसल की लागत मूल्य बढ़ेगी.

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि सरकार ने धान की एमएसपी पर पिछले साल के मुकाबले मात्र 53 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़तोरी की है. किसान इससे पहले ही निराश था और अब डीजल की महंगाई से धान की लागत मूल्य और बढ़ जाएगी. इस समय में कीमत बढ़ाना किसान पर दोहरी मार की तरह है क्योंकि पहले ही किसान कोरोना महामारी और लॉकडाउन की मार से उबर नहीं सका है. सरकार को इस पर तुरंत विचार करना चाहिये नहीं तो देशभर में किसान सड़कों पर उतरेंगे और सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे.

राकेश टिकैत ने आगे बताया कि कृषि की लागत मूल्य केवल पंप सेट से खेतों में पानी पटवन और ट्रैक्टर से जुताई तक ही सीमित नहीं है. किसान मोटरसाइकिल भी चलाता है, अपनी फसल को बेचने के लिये या खाद बीज लाने के लिये ट्रैक्टर ट्रॉली और अन्य वाहन भी लाता है. डीजल की कीमत बढ़ने से बाकी चीजों की कीमतें भी बढ़ेंगी और इन सबका प्रभाव खेती पर पड़ेगा. सरकार अब दोबारा एमएसपी बढ़ाए ऐसी तो उम्मीद किसानों को नहीं है लेकिन क्या सरकार घोषित एमएसपी पर खरीद की गारंटी दे सकती है?

गौरतलब है कि सरकार द्वारा खरीफ फसलों में धान की एमएसपी वर्ष 2020-21 के लिये 1868 रुपये घोषित की गई है जो वर्ष 2019-20 में ₹ 1815 थी. इस तरह से मौजूदा वर्ष के लिये धान की एमएसपी में 53 पैसे प्रति किलो की मामूली बढ़त की गई है.

किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह पहले से ही किसानों के लिये डीजल की अनुदानित कीमत तय करने की मांग करते रहे हैं लेकिन सरकार द्वारा किसानों को राहत देने की बजाय अब जून महीने में डीजल की कीमत 20 दिन से लगातार बढ़ रही है. मार्च महीने से जून तक कि बात करें तो डीजल की कीमत में लगभग 18 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हो चुकी है.

ईटीवी भारत से बातचीत में किसान नेता चौधरी पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि कीमतें बढ़ने से सबसे ज्यादा मार किसानों को झेलना पड़ रहा है. सरकार को कृषि कार्य के लिये डीजल की कीमत 50 रुपये प्रति लीटर तय कर देनी चाहिये नहीं तो खेती की लागत मूल्य और बढ़ती जाएगी. गन्ने के एमएसपी में दो साल से कोई बढ़ोतरी नहीं कि गई है जबकि धान में मामूली बढ़त की गई. इन दोनों फसलों में पानी की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है. ऐसे में अगर सरकार तुरंत कुछ नहीं करती है तो किसानों के पास आंदोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं रह जाएगा.

डीजल पेट्रोल की बढ़ती कीमतों पर देशभर के अन्य किसान संगठनों ने भी आपत्ति जताई है और कई जगह विरोध प्रदर्शन भी देखे गए हैं. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि 30 जून से पहले सरकार किसान संगठनों की चेतावनी पर कितना गौर करती है.

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