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हिमाचल प्रदेश : डीएमआर सोलन का शोध, याददाश्त बढ़ाने के लिए इजाद की कोरल मशरूम

दिमाग की नसें खोलने या याददाश्त बढ़ाने के लिए अब दवाओं की जरूरत नहीं है क्योंकि हिमाचल प्रदेश में स्थित खुम्भ अनुसंधान केंद्र सोलन ने कोरल मशरूम नामक नई किस्म पैदा की है. ये किस्म यूरोपियन कंट्रीज में उगाई जाती थी, लगभग तीन सालों की मेहनत के बाद मशरूम की ये किस्म तैयार हुई है.

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Published : Mar 8, 2020, 12:06 AM IST

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कोरल मशरूम

सोलन: देश का इकलौता खुम्भ अनुसंधान केंद्र सोलन ने दिमाग की नसें खोलने और याददाश्त बढ़ाने के लिए मशरूम की कोरल नामक नई किस्म पैदा की है. मशरूम वैज्ञानिकों की ये मेहनत तीन साल बाद रंग लाई है.

बता दें कि कोरल नामक नई किस्म यूरोपियन कंट्रीज में उगाई जाती थी, लगभग तीन सालों की मेहनत के बाद मशरूम की ये किस्म तैयार हुई है. दिमाग की नसें खोलने या याददाश्त बढ़ाने के लिए दवाओं की जरूरत नहीं है क्योंकि ये किस्म औषधि के रूप में काम करेंगी.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

मशरूम वैज्ञानिक डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि हीरेशियम मशरूम की इस प्रजाति को कोरल मशरूम के नाम से भी जाना जाता है, इसको बनाने में तीन साल का समय लगा है. उन्होंने बताया कि यह किस्म यूरोपियन कंट्री में पाई जाती है, जिसमें हीरेशियम तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, जो याददाश्त बढ़ाने में सहायता करते हैं.

सतीश शर्मा ने बताया कि यूरोपियन कंट्री में कोरल मशरूम की किस्म को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था, लेकिन भारत में सबसे पहले इसे डीएमआर सोलन में इजाद किया गया है.

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डीएमआर सोलन के वैज्ञानिक.

किसान आसानी से कर सकते कोरल मशरुम की खेती

सतीश शर्मा ने बताया कि इसे 18 से 20 डिग्री तापमान में रखा जाता है थोड़ी सी ग्रोथ के बाद इसे 30 से 25 डिग्री तापमान में रखा जाता है. यह मशरूम करीब 35 से 40 दिनों में तैयार हो जाती है.

औषधीय गुणों से भरपूर है कोरम मशरूम

हीरेशियम प्रजाति की मशरूम औषधीय गुणों से भरपूर है, क्योंकि इसमें बिटागम , गलॉकन , साइकेन,और हरेशिमॉन तत्व पाया जाता है, जो दिमाग की नसों के लिए फायदेमंद है.

ये भी पढ़ें- महिला दिवस विशेष : मस्कुलर डिस्ट्राफी बीमारी से ग्रसित संजना को मिले कई अवॉर्ड

6 घंटे बिजली की होती है जरूरत

डॉ. सतीश ने बताया कि इस मशरूम को एक बंद कमरे में तैयार किया जाता है और इसके लिए टेंपरेचर के साथ-साथ 5 से 6 घण्टों तक बिजली की जरूरत होती है.

सोलन: देश का इकलौता खुम्भ अनुसंधान केंद्र सोलन ने दिमाग की नसें खोलने और याददाश्त बढ़ाने के लिए मशरूम की कोरल नामक नई किस्म पैदा की है. मशरूम वैज्ञानिकों की ये मेहनत तीन साल बाद रंग लाई है.

बता दें कि कोरल नामक नई किस्म यूरोपियन कंट्रीज में उगाई जाती थी, लगभग तीन सालों की मेहनत के बाद मशरूम की ये किस्म तैयार हुई है. दिमाग की नसें खोलने या याददाश्त बढ़ाने के लिए दवाओं की जरूरत नहीं है क्योंकि ये किस्म औषधि के रूप में काम करेंगी.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

मशरूम वैज्ञानिक डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि हीरेशियम मशरूम की इस प्रजाति को कोरल मशरूम के नाम से भी जाना जाता है, इसको बनाने में तीन साल का समय लगा है. उन्होंने बताया कि यह किस्म यूरोपियन कंट्री में पाई जाती है, जिसमें हीरेशियम तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, जो याददाश्त बढ़ाने में सहायता करते हैं.

सतीश शर्मा ने बताया कि यूरोपियन कंट्री में कोरल मशरूम की किस्म को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था, लेकिन भारत में सबसे पहले इसे डीएमआर सोलन में इजाद किया गया है.

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डीएमआर सोलन के वैज्ञानिक.

किसान आसानी से कर सकते कोरल मशरुम की खेती

सतीश शर्मा ने बताया कि इसे 18 से 20 डिग्री तापमान में रखा जाता है थोड़ी सी ग्रोथ के बाद इसे 30 से 25 डिग्री तापमान में रखा जाता है. यह मशरूम करीब 35 से 40 दिनों में तैयार हो जाती है.

औषधीय गुणों से भरपूर है कोरम मशरूम

हीरेशियम प्रजाति की मशरूम औषधीय गुणों से भरपूर है, क्योंकि इसमें बिटागम , गलॉकन , साइकेन,और हरेशिमॉन तत्व पाया जाता है, जो दिमाग की नसों के लिए फायदेमंद है.

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6 घंटे बिजली की होती है जरूरत

डॉ. सतीश ने बताया कि इस मशरूम को एक बंद कमरे में तैयार किया जाता है और इसके लिए टेंपरेचर के साथ-साथ 5 से 6 घण्टों तक बिजली की जरूरत होती है.

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