चेन्नई (तमिलनाडु) : द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने शनिवार को कहा कि उनकी पार्टी तब तक विरोध प्रदर्शन करती रहेगी, जब तक कि राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित तमिलनाडु में मेडिकल कॉलेज में सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए आरक्षण देने वाले विधेयक को मंजूरी नहीं दे देते.
विधेयक को मंजूरी के लिए करीब 40 दिन से राज्यपाल के पास भेजा गया है और डीएमके इसे मंजूरी देने के लिए बड़े स्तर पर मांग कर रही है. स्टालिन ने कहा कि सत्ता में आने के बाद पार्टी राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) से राज्य को छूट दिलाने के लिए सभी कानूनी प्रयास करेगी.
छात्रों को 7.5 प्रतिशत का आरक्षण
तमिलनाडु गवर्नमेंट स्कूल्स बिल, 2020 छात्रों को मेडिसिन, डेंटिस्ट्री, इंडियन मेडिसिन और होम्योपैथी के अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में एडमिशन पाने के लिए राज्य के सरकारी स्कूलों से पास हुए छात्रों को 7.5 प्रतिशत का आरक्षण देता है.
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सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक सरकार की निंदा करते हुए स्टालिन ने सवाल उठाया कि मुख्यमंत्री के.पलानीस्वामी राज्यपाल से विधेयक पर अपनी सहमति देने का आग्रह क्यों नहीं कर रहे हैं.
नीट से छूट की मांग करने वाले विधेयक
विधानसभा में विपक्ष के नेता स्टालिन ने कहा कि नीट से छूट की मांग करने वाले दो विधेयकों को 2017 में विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित किया गया था और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास उनकी सहमति के लिए भेजा गया था. हालांकि, बिलों को सात महीने बाद तमिलनाडु वापस भेज दिया गया था. अब यह मामला 23 महीने बाद एक कोर्ट केस के कारण सार्वजनिक तौर पर सामने आया है.
300 छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश
स्टालिन ने कहा कि नीट के नतीजे आ चुके हैं और जल्द काउंसलिंग शुरू होनी चाहिए. अगर राज्यपाल विधेयक को मंजूरी देते हैं, तो सरकारी स्कूलों के 300 छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश मिलेगा, नहीं तो केवल आठ छात्रों को प्रवेश मिलेगा.
बिल पर निर्णय लेने के लिए समय की जरूरत
गुरुवार को स्टालिन ने कहा था कि उनकी पार्टी पुरोहित के पत्र का जवाब मिलने तक राजभवन के बाहर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन जारी रखेगी. वहीं पुरोहित ने कहा है कि उन्हें तमिलनाडु के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को मेडिकल कॉलेज में 7.5 प्रतिशत का आरक्षण देने वाले बिल पर निर्णय लेने के लिए तीन से चार सप्ताह का समय चाहिए.