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महिलाओं को छूना और आंख मारना भी यौन उत्पीड़न हैः नंदिता प्रधान

महिलाओं की सुरक्षा के लिए संसद में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न 2013 कानून पर संशोधन करने की बात चल रही है. इस विषय पर ईटीवी भारत ने मार्था फैरेल फाउंडेशन की निदेशिका नंदिता प्रधान से बात की.

यौन उत्पीड़न अपराध है
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Published : Jul 27, 2019, 8:58 PM IST

दिल्लीः महिलाओं की सुरक्षा को लेकर देश के दोनों सदनों में लगातार चर्चाएं चल रही है. इस समय सदन में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013 में सशोंधन को लेकर बहस तेज हो गई है. नंदिता प्रधान ने कहा कि केंद्र के साथ राज्यों को भी महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून बनाना चाहिए.

इस कानून पर मार्था फैरेल फाउंडेशन (एनजीओ) की निदेशिका नंदिता प्रधान ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि कार्यस्थल की परिभाषा को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन(ILO) कन्वेंशन 190 के साथ देखने और उस तक विस्तार करने की जरूरत है.

नंदिता प्रधान ने कार्यस्थल पर कार्यस्थल पर महिला यौन उत्पीड़न को परिभाषित करते हुए बताया कि इसमें कोई व्यक्ति महिला को कार्यस्थल पर फायदा पहुंचाने के लिये उससे निजी फायदे यौन संबध बनाने की कोशिश करता है. महिला को छूना, आंख मारना, किसी महिला से मौखिक या अमौखिक तरीके से यौन प्रकृति का अशालीन व्यव्हार करना भी यौन उत्पीड़न है.

पढ़ेंः कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न : मंत्री समूह का हुआ पुनर्गठन, अमित शाह होंगे अध्यक्ष

बता दें कि 18 जुलाई को केंद्र सरकार ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न पर रोकने लिए मंत्रियों के एक समूह का दोबारा गठन किया है. जिसकी अध्यक्षता गृहमंत्री अमित शाह करेंगे. समूह में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी है.

दिल्लीः महिलाओं की सुरक्षा को लेकर देश के दोनों सदनों में लगातार चर्चाएं चल रही है. इस समय सदन में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013 में सशोंधन को लेकर बहस तेज हो गई है. नंदिता प्रधान ने कहा कि केंद्र के साथ राज्यों को भी महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून बनाना चाहिए.

इस कानून पर मार्था फैरेल फाउंडेशन (एनजीओ) की निदेशिका नंदिता प्रधान ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि कार्यस्थल की परिभाषा को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन(ILO) कन्वेंशन 190 के साथ देखने और उस तक विस्तार करने की जरूरत है.

नंदिता प्रधान ने कार्यस्थल पर कार्यस्थल पर महिला यौन उत्पीड़न को परिभाषित करते हुए बताया कि इसमें कोई व्यक्ति महिला को कार्यस्थल पर फायदा पहुंचाने के लिये उससे निजी फायदे यौन संबध बनाने की कोशिश करता है. महिला को छूना, आंख मारना, किसी महिला से मौखिक या अमौखिक तरीके से यौन प्रकृति का अशालीन व्यव्हार करना भी यौन उत्पीड़न है.

पढ़ेंः कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न : मंत्री समूह का हुआ पुनर्गठन, अमित शाह होंगे अध्यक्ष

बता दें कि 18 जुलाई को केंद्र सरकार ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न पर रोकने लिए मंत्रियों के एक समूह का दोबारा गठन किया है. जिसकी अध्यक्षता गृहमंत्री अमित शाह करेंगे. समूह में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी है.

Intro:नई दिल्ली। कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013 में संशोधन को लेकर बहस तेज़ हो गई है और अब इसमें नागर समाज, नीतिकारों, निजी सेक्टर में कार्यरत लोग और भारत के नागरिकों को घरेलू कामगारों के लिए एक सुरक्षित कार्यस्थल बनाने की मांग हो रही है।


मार्था फैरेल फाउंडेशन (एनजीओ) की निदेशक नंदिता प्रधान ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि कार्यस्थल की परिभाषा को ILO कन्वेंशन 190 (कार्य की दुनिया) के साथ देखने और उसतक विस्तार करने की ज़रूरत है।

बता दें कि इस कानून में सरकार किसी तरह का बदलाव करने के मूड में नहीं दिख रही है क्योंकि महिला एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा में यह बयान दिया था की यह कानून महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ने के लिए काफी है। उन्होंने सदन में बताया था की महिलाओं की सुरक्षा केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में है और इस कानून के लिये जागरूकता अभियान चलाएगी जिससे इस तरह की घटनाओं को घटित होने से पहले ही रोक दिया जाए।


Body:ईटीवी भारत से बात करते हुए नंदिता प्रधान ने कार्यस्थल पर महिला के यौन उत्पीड़न को परिभाषित करते हुए बताया कि इसमें कोई व्यक्ति महिला को कार्यस्थल पर फ़ायदा पहुंचाने के लिये उनसे दूसरे निजी फायदे उठाने की कोशिश करता है। इसके अलावा किसी महिला को छूना, उसे आंख मारना, किसी महिला से मौखिक या अमौखिक तरीके से यौन प्रकृति का अशालीन व्यव्हार करना भी यौन उत्पीड़न है।


Conclusion:नंदिता प्रधान ने कहा कि यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013 में संशोधन इसलिये जरूरी है क्योंकि असंगठित छेत्र में कार्य कर रहे लोगों के लिये उनके उत्पीड़न की समस्या का निवारण करने की प्रक्रिया अलग है जबकि घरेलू कामगारों को यदि शिकायत दर्ज करानी हो तो यह प्रक्रिया अलग हो जाती है और उनकी समस्या का निवारण नियमित समय में नहीं हो पाता।

उन्होंने कहा कि इस कानून में लोकल समिति के साथ ब्लॉक तालुका या तहसील के स्तर पर सब समिति का गठन हो और असंगठित क्षेत्र के किसी प्रतिनिधि को लोकल समिति और सब समितियों में नियुक्त किया जाना चाहिए।


बता दें कि 18 जुलाई को सरकार ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकने के मुद्दे पर केंद्र मंत्रियों के समूह का दोबारा गठन किया है जिसकी अध्यक्षता गृहमंत्री अमित शाह करेंगे। पैनल के अन्य सदस्य वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी हैं।
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