देहरादून : इस समय पूरा देश कोरोना से 'जंग' लड़ रहा है और उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के मामले 15 हजार के पार हो गए हैं. ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार भी इस संकट की घड़ी में लोगों को बेहतर सुविधाएं देने के प्रयास में जुटी हुई है. वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो लोगों की जिंदगी और सरकार की मंशा पर पलीता लगा रहे हैं. ईटीवी भारत ने कई चुनौतियों के बीच जो ऑपरेशन एंबुलेंस किया है, वो आपकी आंखें खोल देगा. ईटीवी भारत के ऑपरेशन एंबुलेंस की तफ्तीश आपको ये सोचने पर मजबूर कर देगी कि पैसे के लिए कुछ लोग कहां तक गिर सकते हैं.
दून अस्पताल
ईटीवी भारत की पड़ताल में सामने आया कि राजधानी देहरादून में एंबुलेंस ऑपरेटर्स मरीजों को अस्पताल ले जाने के लिए मोटी कीमत वसूल रहे हैं. सच्चाई का पता लगाने के लिए ईटीवी भारत की अंडरकवर टीम देहरादून के इंद्रेश अस्पताल, दून अस्पताल और सिनर्जी अस्पताल का जायजा लिया. दून अस्पताल के बाहर खड़े एंबुलेंस संचालक ने दून अस्पताल से सिनर्जी अस्पताल तक जाने के लिए 6,000 रुपए की मांग की. जबकि, दून अस्पताल से सिनर्जी अस्पताल की दूरी महज 5 किलोमीटर है.
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इंद्रेश अस्पताल
कैमरे पर एंबुलेंस ड्राइवर की बात से यह तो साफ हो गया कि लोगों की परेशानियों का एंबुलेंस संचालक गलत फायदा उठा रहे हैं और मोटी रकम वसूल रहे हैं. इन सबके बीच ईटीवी भारत की टीम ने देहरादून के जाने-माने इंद्रेश अस्पताल का रुख किया. अस्पताल के बाहर खड़े एंबुलेंस ड्राइवरों से जब ईटीवी भारत की टीम ने ऋषिकेश एम्स तक मरीज ले जाने की बात पूछी, तो ड्राइवर ने 8 हजार रुपए की मांग की.
बता दें कि, देहरादून के इंद्रेश अस्पताल से ऋषिकेश एम्स की दूरी लगभग 50 किलोमीटर है. लेकिन हर कोई अपने मनमाफिक पैसे मरीजों से वसूल रहा है. ऐसे में यह साफ हो गया था कि स्वास्थ्य विभाग के अधीन आने वाले एंबुलेंस संचालक किसी की मजबूरी को नहीं समझ रहे हैं.
दून महिला अस्पताल
ईटीवी भारत की टीम ने अपनी तफ्तीश बढ़ाते हुए दून महिला अस्पताल का रुख किया. यहां पर एंबुलेंस संचालक से हमने मरीज को मैक्स अस्पताल और एम्स ले जाने की बात कही तो एंबुलेंस ड्राइवरों ने सभी नियमों के ताक पर रखते हुए 4500 रुपए मांग लिए.
ईटीवी भारत के ऑपरेशन एंबुलेंस ने देहरादून में एंबुलेंस संचालकों के चेहरे को बेनकाब कर दिया है. हरिद्वार से देहरादून आने में एंबुलेंस को करीब 55 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ रहा है. लेकिन हरिद्वार के अमित जैसे लोगों को अपनी मजबूरियों के चलते 12 से 15 हजार रुपए एंबुलेंस संचालकों को देना पड़ रहा है. वो भी तब, जब ना तो इन एंबुलेंस में ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की सुविधा है और ना ही कोई डॉक्टर उपलब्ध होता है. कोरोना वायरस का संकट इस समय सभी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है. यह समय जहां एक-दूसरे की मदद करने का है. वहीं, दूसरी तरफ शहर में एंबुलेंस संचालक मनमाने दाम वसूलते हुए लूट मचा रहे हैं.