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केरल : लॉकडाउन के दौरान अपराधों में आई कमी

कोरोना वायरस फैलने के खतरे को देखते हुए 24 मार्च को किए गए लॉकडाउन के बाद केरल में अपराध की दर में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Apr 11, 2020, 10:03 PM IST

तिरुवनंतपुरम : कोरोना वायरस फैलने के खतरे को देखते हुए 24 मार्च को किए गए लॉकडाउन के बाद केरल में अपराध की दर में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है. राज्य पुलिस की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई.

राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एससीआरबी) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल के मुकाबले मार्च 2020 में बंद के दौरान अपराध की दर में कमी देखी गई.

रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में 25 से 31 मार्च के बीच डकैती के 12 मामले सामने आए थे लेकिन इस वर्ष उसी अवधि में डकैती के केवल दो मामले दर्ज हुए.

रिपोर्ट के अनुसार, इस साल 25 से 31 मार्च के बीच छेड़छाड़ के 18 मामले दर्ज किए गए जबकि इसी अवधि में पिछले साल छेड़छाड़ के 92 मामले सामने आए थे. हालांकि, रिपोर्ट में हत्या के मामलों में कोई उल्लेखनीय कमी नहीं देखी गई.

एससीआरबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हत्या जैसे अपराधों पर लगाम लगाना कठिन है क्योंकि हत्या कई प्रकार के व्यक्तिगत कारणों से भी की जाती है. लेकिन चोरी, दंगे, बलात्कार, अपहरण और धोखाधड़ी के मामलों में उल्लेखनीय कमी देखी गई है.'

तिरुवनंतपुरम : कोरोना वायरस फैलने के खतरे को देखते हुए 24 मार्च को किए गए लॉकडाउन के बाद केरल में अपराध की दर में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है. राज्य पुलिस की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई.

राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एससीआरबी) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल के मुकाबले मार्च 2020 में बंद के दौरान अपराध की दर में कमी देखी गई.

रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में 25 से 31 मार्च के बीच डकैती के 12 मामले सामने आए थे लेकिन इस वर्ष उसी अवधि में डकैती के केवल दो मामले दर्ज हुए.

रिपोर्ट के अनुसार, इस साल 25 से 31 मार्च के बीच छेड़छाड़ के 18 मामले दर्ज किए गए जबकि इसी अवधि में पिछले साल छेड़छाड़ के 92 मामले सामने आए थे. हालांकि, रिपोर्ट में हत्या के मामलों में कोई उल्लेखनीय कमी नहीं देखी गई.

एससीआरबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हत्या जैसे अपराधों पर लगाम लगाना कठिन है क्योंकि हत्या कई प्रकार के व्यक्तिगत कारणों से भी की जाती है. लेकिन चोरी, दंगे, बलात्कार, अपहरण और धोखाधड़ी के मामलों में उल्लेखनीय कमी देखी गई है.'

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