देहरादून: राजौरी के नौशेरा सेक्टर में पाकिस्तानी गोलाबारी में शहीद हुए संदीप थापा को रविवार को पौड़वाला राजावाला में अंतिम विदाई दी गई. इस दौरान हजारों लोगों ने भारत माता की जय के नारों के साथ पाकिस्तान मुर्दाबाद के भी नारे लगाए.
श्रद्धांजलि देने पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा सीमा की रक्षा करते हुए शहीद होने वाले युवा संदीप के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा. अंतिम विदाई के समय क्षेत्र के तमाम जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक अधिकारियों समेत आसपास के गांव शहरों से आए हजारों लोग मौजूद रहे.
जम्मू के नौशेरा सेक्टर में दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हुए उत्तराखंड के सपूत लांसनायक संदीप थापा को रविवार को सहसपुर राजावाला में स्थित उनके घर पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ आखिरी विदाई दी गई. इस मौके पर प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रीवेंद्र रावत भी मौजूद रहे तो वहीं लांसनायक की इस शहादत के मौके पर उनकी जयकार के नारों के साथ भारत माता के जयकारे और पाकेस्तान मुर्दाबाद के खूब नारे लगे.
हजारों की भीड़ अपने लाल के अंतिम दर्शन के लिए घंटों रोड पर मौजूद रही, सभी को इंतजार था उस बहादुर शहीद के पार्थिव शरीर का जिसे लोग नमन कर सकें. क्या आम क्या खास हर निगाह देहरादून के राजावाला में शहीद की राह देख रही थी. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने शहीद के पार्थिव शरीर को कंधा देकर विदाई दी.
पढ़ें-'अभिव्यक्ति, समानता और स्वतंत्रता को लेकर बहुत याद आ रहे गांधी'
परिवार के लोग एक तरफ जहां अपने बेटे को खोने से दुखी हैं तो दूसरी ओर देश के लिए शहादत देने पर उनका सिर गर्व से भी ऊंचा है. संदीप के ताऊ आर्मी मैन शमशेर सिंह कहते हैं ये शहादतों का दौर अब रुकना चाहिए.
शहीद संदीप थापा के चाचा आर एस थापा ने कहा कि 2 साल के बाद संदीप थापा आर्मी से रिटायर होकर घर आने वाला था. उससे पहले उसके शहीद की खबर से पूरा परिवार शोकाकुल हैं. आर एस थापा ने बताया कि उनका पूरा परिवार देश की सेवा कर रहा है, जिसमें दोनों भाई, चाचा, ताऊ और पिताजी सभी सेना से ही जुड़े हैं. वहीं शहीद संदीप थापा का छोटी उम्र में चले जाने से पूरा परिवार सदमे में हैं.
बता दें कि संदीप थापा जम्मू-कश्मीर राजौरी के नौशेरा सेक्टर में लांस नायक के पद पर तैनात थे. शनिवार सुबह 6:30 बजे पाक की ओर से राजौरी जिले के नौशेरा सेक्टर में भारी शेलिंग की गई. जिसका जवाब देते हुए लांस नायक संदीप थापा घायल हो गए. घायल जवान को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उपचार के दौरान वे शहीद हो गए.