नई दिल्ली : एक नए अध्ययन में पता चला है कि कोरोना के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती एक तिहाई से ज्यादा मरीजों में बीमार पड़ने के छह महीनों तक कम से कम एक लक्षण बना रहता है. इसके अलावा जो मरीज कोरोना से ठीक हो जाते हैं. ठीके होने के बाद भी वे लोग छह महीने तक थकान, मांसपेशियों में दर्द, अनिद्रा आदि से परेशान रहते हैं. लांसेट जर्नल में अध्ययन प्रकाशित हुआ है.
अनुसंधानकर्ताओं ने कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आए 1,733 मरीजों में संक्रमण से पड़ने वाले दीर्घकालिक असर का अध्ययन किया. रोगियों की औसत आयु 57 वर्ष थी. इसमें 897 पुरुष थे.
अध्ययन में चीन के जिन यिन तान अस्पताल के अनुसंधानकर्ता शामिल थे और इन लोगों ने मरीजों में लक्षण और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी के लिए एक प्रश्नावली पर आमने सामने बात की.
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार सभी में जो एक सामान्य दिक्कत मौजूद थी वह थी (63 प्रतिशत लोगों में) मांसपेशियों में कमजोरी. इनके अलावा एक और बात सामने आई कि (26 प्रतिशत लोगों को) लोगों को सोने में दिक्कत हो रही है.
उन्होंने कहा कि 23 प्रतिशत लोगों में बेचैनी और अवसाद के लक्षण पाए गए.
अध्ययन में यह भी बात सामने आई कि ऐसे मरीज जो अस्पताल में भर्ती थे और जिनकी हालत गंभीर थी, उनके सीने के चित्रों में फेफड़ों में गड़बड़ी पाई गई. वैज्ञानिकों का मानना है कि लक्षण दिखाई देने के छह माह बाद यह अंग के क्षतिग्रस्त होने का संकेत हो सकता है.
चाइना-जापान फ्रेंडशिप हॉस्पिटल इन चाइना में नेशनल सेंटर फॉर रेस्पिरेटरी मेडिसिन में अध्ययन के सह-लेखक गिन काओ ने कहा कि हमारे विश्लेषण से संकेत मिलता है कि अधिकतर रोगियों में अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद भी संक्रमण के कुछ प्रभाव रहते हैं, और यह अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद काफी देखभाल किए जाने की जरूरत को रेखांकित करता हैं, खासतौर पर उन लोगों को जो काफी बीमार थे.
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निष्कर्षों पर प्रतिक्रिया देते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ( आईएमए) के अध्यक्ष डॉ जेए जयलाल ने कहा कि यह एक प्रत्याशित अध्ययन था.
जयलाल ने कहा कि वायरस एंटीबॉडी को उत्पादित करता है और यह कितने समय तक मौजूद रहता है, यह हम नहीं जानते हैं. इन्फ्लूएंजा वायरस की तरह कुछ संक्रमण उत्परिवर्तित रहते हैं. इसलिए हमें एंटीबॉडी बनाने के लिए टीके की जरूरत है.
जयलाल ने सुझाव दिया कि कोरोना टीका लगावाने और कोरोना को मात देने के बाद भी सामाजिक दूरी पालन करना आवश्यक है.