नई दिल्ली : अपने बयानों को लेकर अक्सर विवादों में रहने वाली भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा एक बार फिर चर्चा में हैं. इस बार साध्वी ने संसद में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया. हालांकि विवाद बढ़ने पर भाजपा ने सख्ती बरती तो साध्वी को सदन में ही माफी मांगनी पड़ी.
आइए एक नजर डालते हैं साध्वी द्वारा दिए गए कुछ विवादित बयानों पर..
मालेगांव ब्लास्ट केस की आरोपी साध्वी प्रज्ञा को भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में भोपाल से टिकट दिया था. उसी दौरान साध्वी ने 19 अप्रैल 2019 को कहा था कि मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमले में पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे की मौत इसलिए हो गई कि उन्होंने (साध्वी ने ) करकरे को श्राप दिया था. भाजपा को इस बयान पर काफी असहज होना पड़ा था.
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतने के बाद प्रज्ञा ठाकुर ने 16 मई 2019 को एक और विवादित बयान दिया. इस बार उन्होंने अपने बयान में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को राष्ट्रपुत्र बताया. साध्वी ने कहा, 'महात्मा गांधी राष्ट्रपुत्र हैं और हमारे लिए आदरणीय हैं.'
साध्वी ने एक चुनावी रैली में अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने को लेकर बयान दिया. साध्वी ने कहा कि उन्हें बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराने का अफसोस नहीं है. ढांचा गिराने पर तो हम गर्व करते हैं. हमारे प्रभु रामजी के मंदिर पर अपशिष्ट पदार्थ थे, उनको हमने हटा दिया. आयोग ने इस बयान के बाद साध्वी के चुनाव प्रचार पर 72 घंटे की रोक लगा दी थी.
मक्कल निधि मय्यम पार्टी के संस्थापक कमल हासन ने गोडसे को देश का पहला हिन्दू आतंकी बताया था. इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए साध्वी प्रज्ञा ने नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहा था. उन्होंने कहा था, 'गोडसे देशभक्त थे, हैं और रहेंगे.' उन्होंने यह भी कहा कि गोडसे को आतंकवादी कहने वाले स्वयं के गिरेबां में झांककर देखें.
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भोपाल की भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने 21 जुलाई 2019 को भी यह कहते हुए विवाद पैदा कर दिया कि वह नालियों या शौचालयों को साफ करने के लिए सांसद नहीं बनी हैं. उनके इस बयान से पीएम मोदी के 'स्वच्छ भारत' अभियान को एक बड़ा झटका लगा.
इसी क्रम में सीहोर में चुनाव प्रचार कार्यालय का उद्घाटन करते हुए साध्वी ने कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को आतंकवादी बताया था.
इतने विवादास्पद बयानों के बावजूद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर अब तक भाजपा में अनुशासनात्मक कार्रवाई से बचती रही हैं. अब यह देखना दिलचस्प रहेगा कि आखिर भाजपा कब तक साध्वी प्रज्ञा पर अंकुश लगाने के लिए उपयुक्त कदम नहीं उठाती.