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अनुच्छेद 370: केंद्र के फैसले की संवैधानिक वैधता पर 14 नवंबर से होगी सुनवाई

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Published : Oct 1, 2019, 7:42 AM IST

Updated : Oct 2, 2019, 5:08 PM IST

सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त करने वाले केंद्र के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 14 नवंबर से सुनवाई करेगी.

फाइल फोटो.

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त करने वाले केंद्र के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 14 नवंबर से सुनवाई की जायेगी.

न्यायमूर्ति एन वी रमण की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को अपना जवाबी हलफनामा दायर करने की अनुमति दी.

न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं का यह अनुरोध ठुकरा दिया कि केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को जवाबी हलफनामे दायर करने के लिए दो सप्ताह से अधिक समय नहीं दिया जाए.

संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के लिये अब कोई भी नयी याचिका दायर करने पर रोक लगा दी है.

इस मामले पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के सदस्य और लोकसभा सांसद हसनैन मसूदी ने कहा कि आज की सुनवाई में केंद्र सरकार ने कोर्ट को अपना जवाब देने के लिए समय मांगा और कोर्ट ने उन्हें चार सप्ताह का समय दिया है जिसके बाद इस मामले की सुनवाई आगे बढ़ेगी.

मीडिया से बात करते हसनैन मसूदी

अधिवक्ता बरूण सिन्हा ने बताया कि केंद्र ने आज कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का वक्त मांगा था जो कोर्ट ने दे दिया है. उन्होंने कहा कि आज एक पक्ष द्वारा इस मामले पर कोर्ट से स्टे मांगा गिया था जिसको कोर्ट ने देने से इनकार कर दिया.

ईटीवी भारत से बात करते बरुण सिन्हा

इससे पहले सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को इस मामले में चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करना होगा. केन्द्र के जवाब पर प्रत्युत्तर देने के लिये पीठ ने याचिकाकर्ताओं को एक सप्ताह का समय दिया है.

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति सुभाष रेड्डी, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत भी शामिल हैं. पीठ ने कहा, 'हमें केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को जवाबी हलफामा दायर करने की अनुमति देनी होगी, अन्यथा हम इस मामले पर फैसला नहीं कर सकते.'

उल्लेखनीय है कि प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई के लिए शनिवार को एक संविधान पीठ गठित की थी.

पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस: 34वें दिन हिंदू पक्ष ने पेश की दलीलें, 18 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी करने पर जोर

जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र के पांच अगस्त के फैसले को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की गई हैं.

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त करने वाले केंद्र के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 14 नवंबर से सुनवाई की जायेगी.

न्यायमूर्ति एन वी रमण की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को अपना जवाबी हलफनामा दायर करने की अनुमति दी.

न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं का यह अनुरोध ठुकरा दिया कि केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को जवाबी हलफनामे दायर करने के लिए दो सप्ताह से अधिक समय नहीं दिया जाए.

संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के लिये अब कोई भी नयी याचिका दायर करने पर रोक लगा दी है.

इस मामले पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के सदस्य और लोकसभा सांसद हसनैन मसूदी ने कहा कि आज की सुनवाई में केंद्र सरकार ने कोर्ट को अपना जवाब देने के लिए समय मांगा और कोर्ट ने उन्हें चार सप्ताह का समय दिया है जिसके बाद इस मामले की सुनवाई आगे बढ़ेगी.

मीडिया से बात करते हसनैन मसूदी

अधिवक्ता बरूण सिन्हा ने बताया कि केंद्र ने आज कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का वक्त मांगा था जो कोर्ट ने दे दिया है. उन्होंने कहा कि आज एक पक्ष द्वारा इस मामले पर कोर्ट से स्टे मांगा गिया था जिसको कोर्ट ने देने से इनकार कर दिया.

ईटीवी भारत से बात करते बरुण सिन्हा

इससे पहले सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को इस मामले में चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करना होगा. केन्द्र के जवाब पर प्रत्युत्तर देने के लिये पीठ ने याचिकाकर्ताओं को एक सप्ताह का समय दिया है.

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति सुभाष रेड्डी, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत भी शामिल हैं. पीठ ने कहा, 'हमें केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को जवाबी हलफामा दायर करने की अनुमति देनी होगी, अन्यथा हम इस मामले पर फैसला नहीं कर सकते.'

उल्लेखनीय है कि प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई के लिए शनिवार को एक संविधान पीठ गठित की थी.

पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस: 34वें दिन हिंदू पक्ष ने पेश की दलीलें, 18 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी करने पर जोर

जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र के पांच अगस्त के फैसले को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की गई हैं.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 21:54 HRS IST




             
  • अनुच्छेद 370 हटाने का मामला: संविधान पीठ एक अक्टूबर से करेगी सुनवाई



नयी दिल्ली, 30 सितंबर (भाषा) जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले की कानूनी वैधता से जुड़ी चुनौतियों पर उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ मंगलवार से सुनवाई करने वाली है।



प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई के लिए शनिवार को एक संविधान पीठ गठित की थी। पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति एस के कौल, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत शामिल हैं। दरअसल, 28 अगस्त को इस मामले को एक बड़ी पीठ के पास भेजने का फैसला किया गया था।



सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने जम्मू कश्मीर में किये गये संवैधानिक बदलावों के बाद पैदा हुए मुद्दों से संबद्ध अन्य याचिकाओं पर विचार करते हुए सोमवार को कहा कि इस तरह के सभी मामलों पर न्यायमूर्ति रमण की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ अब निर्णय करेगी।



जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र के पांच अगस्त के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गई हैं।



सोमवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि उसने घाटी में नाबालिगों की अवैध हिरासत के बारे में जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय की किशोर न्याय समिति से एक रिपोर्ट प्राप्त की है। पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं।



पीठ ने बाल अधिकार कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से कहा, ‘‘रिपोर्ट आ गई है। हम इस विषय को कश्मीर पीठ (न्यायमूर्ति रमण की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की पीठ) को भेजेंगे। ’’



न्यायालय ने एक चिकित्सक द्वारा दायर एक अलग याचिका भी तीन न्यायाधीशों की पीठ को भेज दी। चिकित्सक ने जम्मू कश्मीर में पाबंदियों के चलते कश्मीर में मेडिकल सुविधाओं की कमी होने का दावा किया है।


Conclusion:
Last Updated : Oct 2, 2019, 5:08 PM IST
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