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किसानों का साथ बैठक विफल होने पर, सरकार पर हमलावर हुई कांग्रेस

किसानों के साथ आठवें दौर की वार्ता के खत्म होने के बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि क्षेत्रीय आधार पर किसानों बांट रही है. कांग्रेस का कहना है कि सरकार किसानों तारीख पर तारीख देकर उनकी मांगों को मानने में देरी कर रही है.

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Published : Jan 8, 2021, 10:41 PM IST

नई दिल्ली : किसानों के साथ आठवें दौर की वार्ता के खत्म होने के तुरंत साथ ही केंद्र सरकार एक बार फिर तीन विवादास्पद कृषि कानूनों पर कोई समाधान निकालने में विफल रही. बैठक के विफल होने के बाद कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को मोदी सरकार को क्षेत्रीय आधार पर किसानों के पर बांटने आरोप लगाया और उनकी मांगों में देरी करने को सरकार की रणनीति करार दिया.

बैठक के बेनतीजा खत्म होने पर कांग्रेस महसचिव प्रियंका गांधी ने कहा, ' किसान आंदोलन को लेकर किसानों और सरकार के बीच बातचीत का आज आठवां दौर खत्म हो गया. किसानों को आशा थी कि भाजपा सरकार अपनी कथनी के अनुसार किसानों का कुछ तो सम्मान करेगी, लेकिन हुआ इसके ठीक उलट. वार्तालाप करने वाले मंत्री मीटिंग में देर से पहुंचे और बिल वापस न लेने की बात करते रहे.'

सरकार के रुख से नाराज हैं किसान

इससे पहले प्रियंका दोपहर में पंजाब के सांसदों और विधायकों से बात की. इस संबंध में प्रियंका ने कहा, ' मैं किसानों के समर्थन में धरने पर बैठे पंजाब के सांसदों से मिली. पूरे दिन भर मैं भारत के हर कोने से इस किसान आंदोलन के समर्थन की आवाज सुनती रहती हूं.'

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि 26 जनवरी 2020 को हम अपने गणतंत्र दिवस को मनाएंगे. जब भी हम इस देश के जन गण मन की बात करते हैं. उसमें किसान का जिक्र आना जरूरी हो जाता है. पूरे भारत के सांस्कृतिक, सामाजिक एवं राजनैतिक ताने - बाने का जिक्र किसान के बिना अधूरा है.

उन्होंने कहा भाजपा सरकार आज जिस आत्मनिर्भर के नारे का झूठा ढोल पीट रही है, उस नारे को अपनाते हुए किसानों ने हरित क्रांति में हिस्सा लिया और खाद्यान्न के मामले में बहुत पहले भारत को आत्मनिर्भर बना दिया था. किसानों के बिना इस देश की कल्पना भी नहीं की जा सकती.

कांग्रेस नेता ने कहा कि इस पूरे आन्दोलन में लगभग 60 किसानों की जान जा चुकी है. किसानों ने लाठियां खाईं, आंसू गैस के गोलों का सामना किया, वाटर कैनन को झेला, सरकारी तंत्र व पापी मीडिया के हिस्से द्वारा फैलाई गई गलत सूचनाओं का जवाब दिया, ठंड झेली, बारिश में भी डटे रहे.

किसान अपनी सालों की मेहनत का हक लुटने से रोकने के लिए डटे हैं. इस धरती पर मेहनत करके अन्न उगाकर पूरे देश का पेट भरने वाले किसान आज इन कानूनों की सच्चाई बताने सड़कों पर हैं.

किसानों के खिलाफ है कानून

उन्होंने कहा कि आज इस देश को ये सोचना है कि किसान कानून किसानों के खेत से बनेंगे या भाजपा सरकार के चंद अरबपति मित्रों के ड्रॉइंग रूम में. इस देश के किसानों ने, इस देश का कानून बनाने वाले कई सारे सांसदों व विधायकों ने व करोड़ों आमजनों ने किसानों पर थोपे जा रहे इन कानूनों को अलोकतांत्रिक व किसानों के खिलाफ बताया है.

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार का व्यवहार देखकर पूरा देश हैरान है. कल यूपी से आए एक वीडियो में एक पुलिस वाला एक किसान को धमकाते हुए कह रहा था, 'तुम्हारा छज्जा गिरा देंगे.' कल कई जगहों पर किसानों को रोककर उन्हें धमकाया गया. इसके पहले किसानों पर हरियाणा सरकार ने आंसू गैस के गोले बरसाए. यूपी में तो आंदोलनकारी किसानों की पहचान करने के लिए सरकार ने पूरा प्रशासनिक बल लगा दिया है. भाजपा नेता किसानों को बुरा - भला कह रहे हैं, गालियां दे रहे हैं.

प्रियंका गांधी ने आगे कहा कि हमारे प्रथम प्रधानमंत्री नेहरूकहा करते थे कि सब कुछ इंतजार कर सकता है, लेकिन किसान नहीं.

हमारी आज़ादी के नायक महात्मा गांधी , सरदार पटेल, जवाहर लाल नेहरू ने किसानों की आवाज का समर्थन किया और उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए.

इस सरकार ने क्रूरता व निर्दयता की हदें पार कर दी हैं. आज किसानों के समर्थन में धरने पर बैठे पंजाब के सांसदों से मैंने यही कहा कि हम बिल्कुल पीछे नहीं हटेंगे. हम किसानों के साथ हमेशा रहे हैं. बिल्कुल पीछे नहीं हटेंगे.

पढ़ें - किसानों को 'तारीख पे तारीख' देना सरकार की रणनीति: राहुल

उन्होंने कहा कि समाधान यही है कि कानून वापिस लें और कोई समाधान नहीं है. इसी समाधान में किसान और उसकी मेहनत का सम्मान है.

अस्तित्व के लिए सत्यग्रह जरूरी

वहीं दूसरी ओर पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि किसानों का विरोध उनके अस्तित्व के लिए है और सरकार को इसे क्षेत्रीय करार देकर अपनी लड़ाई को कमजोर नहीं करना चाहिए.

सरकार और माननीय सर्वोच्च न्यायालय को यह समझना चाहिए कि किसानों का कोरोना बचना अहम है, लेकिन उनका सत्याग्रह उनके अस्तित्व के लिए जरूरी है. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि हमारे किसान न्याय के लिए लड़ रहे हैं. न कि नियमों के तकनीक को जानने के लिए.

इस दौरान उन्होंने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को भी फटकार लगाते हुए कहा कि कृषि मंत्री का दावा करते हैं कि पंजाब और हरियाणा के ही नहीं, बल्कि देश के किसानों की बात करते हैं.

उनहोंने कहा कि मंत्री को मौलिक प्रश्न का उत्तर देना चाहिए- देश का कौन सा किसान एमएसपी नहीं चाहता है? क्या उनकी उपज का उचित मूल्य हर किसान का अधिकार नहीं है?

उन्होंने खेरा, चंपारण से बारडोली में आजादी की लड़ाई का भी जिक्र किया, जिसने शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य को नीचे ला दिया और कहा कि किसानों को राज्य की तर्ज पर बांटने की सरकार की कोशिश उन्हें नहीं तोड़ेगी.

इससे पहले कांग्रेस को पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि तारीख पर तारीख देना सरकार की रणनीति बन गई है.

नई दिल्ली : किसानों के साथ आठवें दौर की वार्ता के खत्म होने के तुरंत साथ ही केंद्र सरकार एक बार फिर तीन विवादास्पद कृषि कानूनों पर कोई समाधान निकालने में विफल रही. बैठक के विफल होने के बाद कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को मोदी सरकार को क्षेत्रीय आधार पर किसानों के पर बांटने आरोप लगाया और उनकी मांगों में देरी करने को सरकार की रणनीति करार दिया.

बैठक के बेनतीजा खत्म होने पर कांग्रेस महसचिव प्रियंका गांधी ने कहा, ' किसान आंदोलन को लेकर किसानों और सरकार के बीच बातचीत का आज आठवां दौर खत्म हो गया. किसानों को आशा थी कि भाजपा सरकार अपनी कथनी के अनुसार किसानों का कुछ तो सम्मान करेगी, लेकिन हुआ इसके ठीक उलट. वार्तालाप करने वाले मंत्री मीटिंग में देर से पहुंचे और बिल वापस न लेने की बात करते रहे.'

सरकार के रुख से नाराज हैं किसान

इससे पहले प्रियंका दोपहर में पंजाब के सांसदों और विधायकों से बात की. इस संबंध में प्रियंका ने कहा, ' मैं किसानों के समर्थन में धरने पर बैठे पंजाब के सांसदों से मिली. पूरे दिन भर मैं भारत के हर कोने से इस किसान आंदोलन के समर्थन की आवाज सुनती रहती हूं.'

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि 26 जनवरी 2020 को हम अपने गणतंत्र दिवस को मनाएंगे. जब भी हम इस देश के जन गण मन की बात करते हैं. उसमें किसान का जिक्र आना जरूरी हो जाता है. पूरे भारत के सांस्कृतिक, सामाजिक एवं राजनैतिक ताने - बाने का जिक्र किसान के बिना अधूरा है.

उन्होंने कहा भाजपा सरकार आज जिस आत्मनिर्भर के नारे का झूठा ढोल पीट रही है, उस नारे को अपनाते हुए किसानों ने हरित क्रांति में हिस्सा लिया और खाद्यान्न के मामले में बहुत पहले भारत को आत्मनिर्भर बना दिया था. किसानों के बिना इस देश की कल्पना भी नहीं की जा सकती.

कांग्रेस नेता ने कहा कि इस पूरे आन्दोलन में लगभग 60 किसानों की जान जा चुकी है. किसानों ने लाठियां खाईं, आंसू गैस के गोलों का सामना किया, वाटर कैनन को झेला, सरकारी तंत्र व पापी मीडिया के हिस्से द्वारा फैलाई गई गलत सूचनाओं का जवाब दिया, ठंड झेली, बारिश में भी डटे रहे.

किसान अपनी सालों की मेहनत का हक लुटने से रोकने के लिए डटे हैं. इस धरती पर मेहनत करके अन्न उगाकर पूरे देश का पेट भरने वाले किसान आज इन कानूनों की सच्चाई बताने सड़कों पर हैं.

किसानों के खिलाफ है कानून

उन्होंने कहा कि आज इस देश को ये सोचना है कि किसान कानून किसानों के खेत से बनेंगे या भाजपा सरकार के चंद अरबपति मित्रों के ड्रॉइंग रूम में. इस देश के किसानों ने, इस देश का कानून बनाने वाले कई सारे सांसदों व विधायकों ने व करोड़ों आमजनों ने किसानों पर थोपे जा रहे इन कानूनों को अलोकतांत्रिक व किसानों के खिलाफ बताया है.

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार का व्यवहार देखकर पूरा देश हैरान है. कल यूपी से आए एक वीडियो में एक पुलिस वाला एक किसान को धमकाते हुए कह रहा था, 'तुम्हारा छज्जा गिरा देंगे.' कल कई जगहों पर किसानों को रोककर उन्हें धमकाया गया. इसके पहले किसानों पर हरियाणा सरकार ने आंसू गैस के गोले बरसाए. यूपी में तो आंदोलनकारी किसानों की पहचान करने के लिए सरकार ने पूरा प्रशासनिक बल लगा दिया है. भाजपा नेता किसानों को बुरा - भला कह रहे हैं, गालियां दे रहे हैं.

प्रियंका गांधी ने आगे कहा कि हमारे प्रथम प्रधानमंत्री नेहरूकहा करते थे कि सब कुछ इंतजार कर सकता है, लेकिन किसान नहीं.

हमारी आज़ादी के नायक महात्मा गांधी , सरदार पटेल, जवाहर लाल नेहरू ने किसानों की आवाज का समर्थन किया और उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए.

इस सरकार ने क्रूरता व निर्दयता की हदें पार कर दी हैं. आज किसानों के समर्थन में धरने पर बैठे पंजाब के सांसदों से मैंने यही कहा कि हम बिल्कुल पीछे नहीं हटेंगे. हम किसानों के साथ हमेशा रहे हैं. बिल्कुल पीछे नहीं हटेंगे.

पढ़ें - किसानों को 'तारीख पे तारीख' देना सरकार की रणनीति: राहुल

उन्होंने कहा कि समाधान यही है कि कानून वापिस लें और कोई समाधान नहीं है. इसी समाधान में किसान और उसकी मेहनत का सम्मान है.

अस्तित्व के लिए सत्यग्रह जरूरी

वहीं दूसरी ओर पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि किसानों का विरोध उनके अस्तित्व के लिए है और सरकार को इसे क्षेत्रीय करार देकर अपनी लड़ाई को कमजोर नहीं करना चाहिए.

सरकार और माननीय सर्वोच्च न्यायालय को यह समझना चाहिए कि किसानों का कोरोना बचना अहम है, लेकिन उनका सत्याग्रह उनके अस्तित्व के लिए जरूरी है. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि हमारे किसान न्याय के लिए लड़ रहे हैं. न कि नियमों के तकनीक को जानने के लिए.

इस दौरान उन्होंने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को भी फटकार लगाते हुए कहा कि कृषि मंत्री का दावा करते हैं कि पंजाब और हरियाणा के ही नहीं, बल्कि देश के किसानों की बात करते हैं.

उनहोंने कहा कि मंत्री को मौलिक प्रश्न का उत्तर देना चाहिए- देश का कौन सा किसान एमएसपी नहीं चाहता है? क्या उनकी उपज का उचित मूल्य हर किसान का अधिकार नहीं है?

उन्होंने खेरा, चंपारण से बारडोली में आजादी की लड़ाई का भी जिक्र किया, जिसने शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य को नीचे ला दिया और कहा कि किसानों को राज्य की तर्ज पर बांटने की सरकार की कोशिश उन्हें नहीं तोड़ेगी.

इससे पहले कांग्रेस को पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि तारीख पर तारीख देना सरकार की रणनीति बन गई है.

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