नई दिल्ली: कांग्रेस के कई सीनियर नेताओं ने बृहस्पतिवार को मोदी सरकार से आग्रह किया कि वह आयुध कारखानों के प्रस्तावित निजीकरण और रक्षा क्षेत्र में एफडीआई नीति में बदलावों से जुड़े अपने फैसलों को बदले. राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, शशि थरूर और सांसद विवेक तन्खा ने एक साझा बयान में कहा कि सरकार के इन फैसलों से भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी हितों के साथ समझौता होगा.
भारत की रक्षा तैयारियों पर पड़ेगा दीर्घकालिक प्रभाव
गौरतलब है कि, ये नेता उन 23 कांग्रेस नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने कुछ महीने पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में आमूलचूल परिवर्तन की मांग की थी. इन नेताओं ने आरोप लगाया कि रक्षा संबंधी ऑफसेट नीति का भारत की रक्षा तैयारियों पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा और यह सरकार के मेक इन इंडिया एवं आत्मनिर्भर भारत अभियानों के भी विरोधाभासी हैं. कांग्रेस नेताओं के अनुसार, केंद्र की भाजपा नीत राजग सरकार के रक्षा क्षेत्र से संबंधित हालिया फैसले, खासकर 41 आयुध कारखानों के प्रस्तावित निजीकरण और रक्षा ऑफसेट नीति को हल्का करना परेशान करने वाला है.
पढ़ें: मोदी राज में 12 हजार करोड़ का लौह अयस्क निर्यात घोटाला : कांग्रेस
राष्ट्रीय हित में की जाए इन फैसलों की समीक्षा
उन्होंने कहा कि हम सरकार से आग्रह करते हैं कि राष्ट्रीय हित में इन फैसलों की समीक्षा की जाए और इनको बदला जाए. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इन 41 आयुध कारखानों के करीब 70 हजार कर्मचारी आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) के निगमीकरण के विरोध में एक महीने की हड़ताल पर हैं. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में रॉयल आर्डनेंस फैक्टरीज (आरओएफ) के निगमीकरण/निजीकरण के बाद इनका बुरा हाल हुआ. यह तुलना इसलिए की जा रही, क्योंकि भारतीय आयुध कारखाने भी आरओएफ से अस्तित्व में आए थे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक, ओएफबी संसद के माध्यम से देश की जनता एवं कैग के प्रति जवाबदेह है तथा आयुध कारखानों का रक्षा मंत्रालय एवं संसद की स्थायी समिति द्वारा समय-समय पर समीक्षा की जाती है.
परिवहन विमानों को किराये पर लेने की राजनाथ ने दी थी अनुमति
गौरतलब है कि, एक बड़े कदम के तहत सशस्त्र बलों के लिये हथियार और सैन्य प्लेटफॉर्म की खरीद के लिये जारी नई नीति के मुताबिक भारत सरकार ने रक्षा सौदों और एकल-विक्रेता अनुबंधों के लिए ऑफसेट आवश्यकताओं को खत्म कर दिया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा हाल में जारी रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीएपी) में तीन सैन्य बलों को उनकी अभियानगत जरूरतों के अनुसार सैन्य उपकरण, हार्डवेयर और प्लेटफॉर्म जैसे हेलीकॉप्टर, सिमुलेटर और परिवहन विमानों को किराये पर लेने की अनुमति प्रदान की गई है, क्योंकि यह उनकी खरीद के मुकाबले सस्ता विकल्प होगा. अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी दी थी.