नई दिल्ली: कांग्रेस ने नई दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह द्वारा नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) पर बुलाई गई बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है.
इस बैठक में सभी हितधारकों द्वारा भाग लेने की संभावना है, जिसमें सभी पूर्वोत्तर राज्यों के विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, छात्र निकायों और अन्य लोगों के बीच नागरिक समाज शामिल है.
असम प्रदेश कांग्रेस समिति ( एपीसीसी) के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने ईटीवी भारत से कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र में भाजपा नागरिकता संशोधन विधेयक पेश करने के लिए मानसिक रूप से तैयार है. यह बैठक सिर्फ दिखावा है. भाजपा केवल दिखाने के लिए सभी हित धारकों से इस मामले पर चर्चा कर रही हैं.
सूत्रों के मुताबिक गृहमंत्री अमित शाह पहले ही इस मुद्दे पर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के साथ चर्चा कर चुके हैं.
माना जा रहा है कि भाजपा सरकार पहले मंत्रिमंडल की बैठक में नागरिकता संशोधन विधेयक पारित करेगी, जिसके बाद इसे संसद में पेश किया जाएगा.
उम्मीद है कि सरकार इस नागरिकता संशोधन विधेयक को अगले हफ्ते संसद में पेश करेगी.
बोरा ने कहा कि यह नागरिकता संशोधन विधेयक पूरे उत्तर पश्चिम के खिलाफ है.
बोरा ने कहा, 'बिल असम और पूरे उत्तर-पूर्व के लोगों के हित के खिलाफ है और हम बिल के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.'
इस बिल को लोगों की आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है.
इस नागरिकता संशोधन विधेयक 1995 को नागरिकता अधिनियम में संशोधन करने को लेकर भारी विरोध का समना करना पड़ रहा है.
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मांग की जा रही है कि बिल में जो प्रवासी पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धार्मिक अभियोजन के बाद भारत आए थे, उन्हें भारत की नागरिकता दे दी जानी चाहिए.
दिलचस्प बात यह है कि पूर्वोत्तर के सभी कांग्रेस सांसदों ने संंसद भवन परिषद में नागरिकता संशोधन विधेयक विरोध में धरना-प्रदर्शन किया है.
हाथ में बोर्ड लेकर सांसदों ने नारे लगाकर सरकार से नागरिकता संशोधन विधेयक में सुधार की मांग की है.
वहीं असम के छात्र संगठन ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने राज्य में नागरिकता संशोधन विधेयक विरोधी अभियान चला रखा है.
असम के ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के नेताओं ने भी नागरिकता संशोधन विधेयक खिलाफ समर्थन प्राप्त करने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात की है.