रांची: झारखंड के तबरेज अंसारी मौत मामले को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस मामले में पुलिस ने कोर्ट में दाखिल किए गए आरोप पत्र में धारा 302 को हटाकर 304 कर दिया है. अब पीड़ित पक्ष के वकील ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में पिटीशन दायर कर चार्ज शीट में धारा 304 को हटाकर धारा 302 करने की मांग की है.
पुलिस द्वारा दाखिल आरोपपत्र में हत्या की धारा हटाकर गैर इरादतन हत्या दाखिल किए जाने के बाद पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े होने लगे हैं. पीड़ित पक्ष और तबरेज आलम की पत्नी शाहिस्ता परवीन ने पहले धारा 302 के तहत मामला दर्ज कराया था, जिसे अब बदल दिया गया है.
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पीड़ित पक्ष के वकील अल्ताफ हुसैन ने बताया कि धारा 302 के साथ धारा 295 ए भी लगाई गई है, जो कि धार्मिक उन्माद फैलाने के उद्देश्य से है. उन्होंने कहा कि डीसी स्तर से रिपोर्ट आने के बाद इस मामले मे आगे की सुनवाई होगी. वकील अल्ताफ हुसैन ने इस संबंध में जानकारी दी कि इस धारा में जिले के उपायुक्त द्वारा संज्ञान रिपोर्ट आने के बाद ही आगे कोर्ट में सुनवाई होगी. डीसी द्वारा17 सितंबर तक इस मामले में रिपोर्ट सुपुर्द किया जाएगा.उन्होंने बताया कि मॉब लिंचिंग में हत्या की नीयत से तबरेज आलम की पिटाई की गई थी, जिसके बाद पुलिस कस्टडी में 5 दिनों बाद उसकी मौत हो गई थी.
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मॉब लिंचिंग का शिकार तबरेज अंसारी मौत मामले को लेकर पुलिस द्वारा धारा हटाए जाने के बाद एक बार फिर से राजनीति गरमा गई है. इस मुद्दे को लेकर विपक्ष एक बार फिर सक्रिय हो गया है. कांग्रेस ने इस मुद्दे पर एक बार फिर सरकार की तीखी आलोचना की है. कांग्रेस के जिलाध्यक्ष छोटे राय किस्को ने कहा कि सरकार की मंशा शुरू से ही पुलिस पदाधिकारियों और दोषियों को बचाने की रही है, नतीजतन अब धाराएं बदल दी गई है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी चुप नहीं बैठने वाली और पीड़ितों की मदद के लिए पार्टी हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जाएगी.
वहीं, इस मुद्दे को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के स्थानीय विधायक दशरथ गागराई ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा हत्याकांड मामले की जांच का समर्थन करती है, साथ ही उन्होंने कहा कि मामले में संलिप्त सभी दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.