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लॉकडाउन : कर्नाटक में परिवार समेत सड़क पर रहने को मजबूर मां - सड़क पर रहने को मजबूर

लॉकडाउन के कारण देश में कई जगह लोग मजबूरी में रह गुजर करने के लिए विवश है. इसी तरह का मामला कर्नाटक के कलबुर्गी में सामने आया है. जहां हाल में बच्चे को जन्म देने वाली मां पूरे परिवार के साथ सड़क पर रह रही है. जानें विस्तार से...

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लॉकडाउन के कारण परिवार सड़क पर रहने को मजबूर
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Published : Apr 22, 2020, 11:47 PM IST

कलबुर्गी (कर्नाटक) : हाल में बच्चे को जन्म देने वाली महिला अपने पूरे परिवार के साथ कर्नाटक के कलबुर्गी जिले में भोजन और आश्रय नहीं मिलने के कारण गंभीर स्थिति से जूझ रही है.

दरअसल महिला का पति शंकर लॉकडाउन की घोषणा होने से पहले कलबुर्गी जिले के सुरपुरा में अपने तीन बच्चों और पत्नी के घर हैदराबाद आया था. वह अपनी पत्नी को गर्भावस्था के कारण, उसे वापस हैदराबाद ले जाने चाहता था. उसी समय सरकार द्वारा लॉकडाउन की घोषणा हो गई और दुर्भाग्य से वह कुछ समय के लिए वहां रुक गया.

जब भाग्यम्मा का गर्भावस्था का दर्द शुरु हुआ तो भाग्यम्मा के पिता ने परेशान होकर शंकर सहित परिवार को ही घर से बाहर निकाल दिया. शंकर, तीन बच्चे और उनकी नौ महीने की गर्भवती पत्नी फिर दो रात सड़क पर रहे.

दो दिनों के बाद भाग्यम्मा की गर्भावस्था की पीड़ा काफी बढ़ गई और शंकर ने उन्हें सरकारी अस्पताल के पास भर्ती कराया. इसके बाद अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया, बाद में अस्पताल के कर्मचारियों ने प्रसव के दो दिनों के बाद उन्हें छुट्टी दे दी और उन्हें वापस भेज दिया. लेकिन लॉकडाउन के कारण शंकर के पास घर जाने के लिए कोई रास्ता नहीं था.

डिलीवरी के बाद शंकर और उनकी पत्नी, बच्चे हसनपुरा पेट्रोल पंप के पास खाली जगह में रहने लगे. यह देखकर कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उन्हें गर्भावस्था के बाद के समय में वहां नहीं रहने की सलाह दी और साथ ही कुंभारपेट के क्षेत्र में वाटर फिल्टर टैंक के पास रहने में मदद की. वर्तमान में शंकर परिवार वाटर फिल्टर टैंक के नीचे रह रहा है.

इस घटना के बारे में जानने के बाद टीम राजुगौड़ा संगठन, रोजाना उनके लिए भोजन और पानी मुहैया करा रही है. साथ ही संगठन शंकर की स्थिति मंत्रियों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा है.

कलबुर्गी (कर्नाटक) : हाल में बच्चे को जन्म देने वाली महिला अपने पूरे परिवार के साथ कर्नाटक के कलबुर्गी जिले में भोजन और आश्रय नहीं मिलने के कारण गंभीर स्थिति से जूझ रही है.

दरअसल महिला का पति शंकर लॉकडाउन की घोषणा होने से पहले कलबुर्गी जिले के सुरपुरा में अपने तीन बच्चों और पत्नी के घर हैदराबाद आया था. वह अपनी पत्नी को गर्भावस्था के कारण, उसे वापस हैदराबाद ले जाने चाहता था. उसी समय सरकार द्वारा लॉकडाउन की घोषणा हो गई और दुर्भाग्य से वह कुछ समय के लिए वहां रुक गया.

जब भाग्यम्मा का गर्भावस्था का दर्द शुरु हुआ तो भाग्यम्मा के पिता ने परेशान होकर शंकर सहित परिवार को ही घर से बाहर निकाल दिया. शंकर, तीन बच्चे और उनकी नौ महीने की गर्भवती पत्नी फिर दो रात सड़क पर रहे.

दो दिनों के बाद भाग्यम्मा की गर्भावस्था की पीड़ा काफी बढ़ गई और शंकर ने उन्हें सरकारी अस्पताल के पास भर्ती कराया. इसके बाद अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया, बाद में अस्पताल के कर्मचारियों ने प्रसव के दो दिनों के बाद उन्हें छुट्टी दे दी और उन्हें वापस भेज दिया. लेकिन लॉकडाउन के कारण शंकर के पास घर जाने के लिए कोई रास्ता नहीं था.

डिलीवरी के बाद शंकर और उनकी पत्नी, बच्चे हसनपुरा पेट्रोल पंप के पास खाली जगह में रहने लगे. यह देखकर कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उन्हें गर्भावस्था के बाद के समय में वहां नहीं रहने की सलाह दी और साथ ही कुंभारपेट के क्षेत्र में वाटर फिल्टर टैंक के पास रहने में मदद की. वर्तमान में शंकर परिवार वाटर फिल्टर टैंक के नीचे रह रहा है.

इस घटना के बारे में जानने के बाद टीम राजुगौड़ा संगठन, रोजाना उनके लिए भोजन और पानी मुहैया करा रही है. साथ ही संगठन शंकर की स्थिति मंत्रियों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा है.

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