बीजिंग : भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी तनाव को लेकर शनिवार को सैन्य वार्ता हुई. वार्ता में दोनों देशों ने शांतिपर्ण तरीके से समाधान निकालने पर सहमति जताई है. लेकिन दूसरी तरफ चीन सेना का युद्धाभ्यास भी करा रहा है. इससे ड्रैगन का दोहरा चरित्र सामने आया है.
ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने मध्य चीन के हुबेई प्रांत की सीमा के बीच ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हजारों पैराट्रूपर्स और बख्तरबंद वाहनों के साथ बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास का आयोजन किया.
सैनिकों और साजो सामान को देश के उत्तर पश्चिम भाग में स्थित हुबेई प्रांत से मूव किया गया. इससे चीन संदेश देना चाहता है कि वह लद्दाख जैसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र के लिए तैयारी कर रहा है.
चीन की सरकारी मीडिया इस युद्धाभ्यास की तस्वीरें और वीडियो जारी करके प्रोपेगेंडा फैला रही है और सेना की शक्ति का प्रदर्शन कर रही है.
ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, पूरी प्रक्रिया को कुछ ही घंटों में पूरी कर ली गई. यह चीन की क्षमता को दिखाता है कि किस तरह जरूरत पड़ने पर सैन्य साजो सामान को ऊंचे स्थल पर तेजी से पहुंचाया जा सकता है.
चाइना सेंट्रल टेलीविज़न के मुताबिक पीएलए वायुसेना के एयरबोर्न ब्रिगेड ने हाल ही में हजारों किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिमी चीन के पठारों में एक अज्ञात स्थान पर युद्धाभ्यास किया.
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए रक्षा विश्लेषक नितिन गोखले कहा कि चीन यह धारणा बनाने की कोशिश कर रहा है कि सैनिक अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लड़ाई करने के लिए तैयार हैं.
सैन्य बैठकों में हल नहीं होगा भारत-चीन विवाद : पूर्व सेना अधिकारी
भारत के चीन विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने कहा कि भारत ने चीन से दोस्ती का हाथ बढ़ाया, लेकिन उस देश की साम्यवादी तानाशाही ने लद्दाख में आक्रामकता के साथ भारत के 1962 के सैन्य आक्रमण को फिर से जीवित कर दिया.