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महामारी खतरे के बीच कितना सुरक्षित है बच्चों व युवाओं का भविष्य - corona in world

यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक हेनरीटा फोर ने कहा कि दुनिया के 99 प्रतिशत बच्चे किसी न किसी रूप में कोरोना महामारी से प्रभावित हैं. उनका मानना है कि महामारी के कारण विश्व का अधिकांश हिस्सा लॉकडाउन मोड पर चला गया है. कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए लोग अपने-अपने घरों में बंद हैं. इन सबके बीच कहीं बच्चों का भविष्य कहीं पीस के ना रह जाए इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है. महामारी से बचने के लिए बच्चों के भविष्य के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए.

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Published : Apr 13, 2020, 12:50 PM IST

Updated : Apr 13, 2020, 1:21 PM IST

न्यूयार्क : संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने कोविड-19 के बढ़ते खतरे के बीच बच्चों के भविष्य को लेकर गहरी चिंता जाहिर की है. यूनिसेफ का कहना है कि बच्चे कोरोना के कारण सबसे गंभीर रूप से प्रभावित पीड़ितों में से एक हैं. यूनिसेफ का कहना है कि इस महत्वपूर्ण निवेश को किसी भी परिस्थिति में नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.

यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक हेनरिकेटा फोर ने आगे अपने एक बयान में कहा कि बच्चों पर होने वाले महामारी के प्रभावों पर ध्यान देने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो कोरोना के कारण हमारा साझा भविष्य (बच्चों का भविष्य) को काफी नुकसान पहुंचेगा. उन्होंने कहा कि इस महामारी से युवा भी काफी प्रभावित हैं.

यूनिसेफ ने बच्चों के साथ-साथ युवाओं के भविष्य को लेकर भी चिंता जताई. यूनिसेफ के एक विश्लेषण के अनुसार, दुनियाभर के 186 देशों में 18 से कम आयु के 99 प्रतिश्त युवा कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न परिस्थितियों के शिकार हुए हैं.

मसलन, युवा कोविड-19 के कारण घरों में कैद होकर रह गए हैं. कोरोना के खिलाफ जारी इस मुहिम के कारण विश्व के 82 देशों के 60 प्रतिशत बच्चों में से 7 फीसदी पूर्ण लॉकडाउन में और 53 प्रतिशत बच्चें आंशिक लॉकडाउन में रह रहे हैं.

हम जानते और मानते भी हैं कि जब भी कोई संकट उत्पन्न होता है तो इससे सबसे अधिक युवा और सबसे कमजोर लोग असामयिक रूप से पीड़ित होते हैं.

यूनिसेफ का कहना है कि महामारी खत्म करना और बच्चों की स्वास्थ्य की रक्षा करना उनकी जिम्मेदारी है.यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक हेनरिकेटा फोर का कहना है कि इस महामारी से निपटने और उस पर नियंत्रण करने के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध साक्ष्यों को अपनाया गया है.

कोरोना के कारण बढ़ते वैश्विक मंदी पर चर्चा करते हुए फोर ने कहा कि एक संभावित वैश्विक मंदी के समय में हमे निवेश को लेकर काफी सावधान रहना होगा.

अच्छा तो यह होगा कि वर्तमान में हम भविष्य से जुड़े किसी भी निवेश से बचें. उन्होंने कहा कि शिक्षा, बाल संरक्षण, स्वास्थ्य, पोषण, पानी और स्वच्छता पर बढ़ रहे निवेश से दुनिया को इस संकट से होने वाले नुकसान को कम किया जाएगा और भविष्य में होने वाले संकटों से बचने में हमें मदद मिलेगी.

कोरोना : यूनीसेफ की अनूठी पहल, बच्चों पर प्रभाव के बारे में जागरूकता पर जोर

हालांकि उन्होंने यह भी चेताया कि जब तक कोरोना का कोई वैक्सीन हम तैयार नहीं कर लेते हैं तब तक दुनियाभर के लोगों के लिए महामारी का खतरा बना रहेगा. उन्होंने संकट की इस घड़ी में सभी देशों और समुदाय से एकजुट होकर काम करने का आग्रह किया.

न्यूयार्क : संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने कोविड-19 के बढ़ते खतरे के बीच बच्चों के भविष्य को लेकर गहरी चिंता जाहिर की है. यूनिसेफ का कहना है कि बच्चे कोरोना के कारण सबसे गंभीर रूप से प्रभावित पीड़ितों में से एक हैं. यूनिसेफ का कहना है कि इस महत्वपूर्ण निवेश को किसी भी परिस्थिति में नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.

यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक हेनरिकेटा फोर ने आगे अपने एक बयान में कहा कि बच्चों पर होने वाले महामारी के प्रभावों पर ध्यान देने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो कोरोना के कारण हमारा साझा भविष्य (बच्चों का भविष्य) को काफी नुकसान पहुंचेगा. उन्होंने कहा कि इस महामारी से युवा भी काफी प्रभावित हैं.

यूनिसेफ ने बच्चों के साथ-साथ युवाओं के भविष्य को लेकर भी चिंता जताई. यूनिसेफ के एक विश्लेषण के अनुसार, दुनियाभर के 186 देशों में 18 से कम आयु के 99 प्रतिश्त युवा कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न परिस्थितियों के शिकार हुए हैं.

मसलन, युवा कोविड-19 के कारण घरों में कैद होकर रह गए हैं. कोरोना के खिलाफ जारी इस मुहिम के कारण विश्व के 82 देशों के 60 प्रतिशत बच्चों में से 7 फीसदी पूर्ण लॉकडाउन में और 53 प्रतिशत बच्चें आंशिक लॉकडाउन में रह रहे हैं.

हम जानते और मानते भी हैं कि जब भी कोई संकट उत्पन्न होता है तो इससे सबसे अधिक युवा और सबसे कमजोर लोग असामयिक रूप से पीड़ित होते हैं.

यूनिसेफ का कहना है कि महामारी खत्म करना और बच्चों की स्वास्थ्य की रक्षा करना उनकी जिम्मेदारी है.यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक हेनरिकेटा फोर का कहना है कि इस महामारी से निपटने और उस पर नियंत्रण करने के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध साक्ष्यों को अपनाया गया है.

कोरोना के कारण बढ़ते वैश्विक मंदी पर चर्चा करते हुए फोर ने कहा कि एक संभावित वैश्विक मंदी के समय में हमे निवेश को लेकर काफी सावधान रहना होगा.

अच्छा तो यह होगा कि वर्तमान में हम भविष्य से जुड़े किसी भी निवेश से बचें. उन्होंने कहा कि शिक्षा, बाल संरक्षण, स्वास्थ्य, पोषण, पानी और स्वच्छता पर बढ़ रहे निवेश से दुनिया को इस संकट से होने वाले नुकसान को कम किया जाएगा और भविष्य में होने वाले संकटों से बचने में हमें मदद मिलेगी.

कोरोना : यूनीसेफ की अनूठी पहल, बच्चों पर प्रभाव के बारे में जागरूकता पर जोर

हालांकि उन्होंने यह भी चेताया कि जब तक कोरोना का कोई वैक्सीन हम तैयार नहीं कर लेते हैं तब तक दुनियाभर के लोगों के लिए महामारी का खतरा बना रहेगा. उन्होंने संकट की इस घड़ी में सभी देशों और समुदाय से एकजुट होकर काम करने का आग्रह किया.

Last Updated : Apr 13, 2020, 1:21 PM IST
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