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बाल यौन शोषणः खो रही है मानवता - बाल यौन शोषण के मामले

जहां एक ओर देश प्रगति के पथ पर अग्रसर है वहीं दूसरी ओर बच्चों के साथ हो रहे यौन अपराधों के मामलों में कमी नजर नहीं आ रही. आज हम आपको कुछ ऐसी ही शर्मनाक घटनाओं से रूबरू करवाएंगे जिन्हें देखकर आपका भी दिल दहल उठेगा...

बाल यौन शोषण
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Published : Sep 4, 2019, 12:02 AM IST

Updated : Sep 29, 2019, 9:12 AM IST

नई दिल्लीः बाल यौन शोषण के मामलों की संख्या में चिंताजनक वृद्धि बनी हुई है. माता-पिता अपने नन्हें बच्चों को इन अपराधियों से बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं.

गौरतलब है कि सख्त कानून बनाए जाने पर भी इन अपराधों से बच्चों को नहीं बचाया जा पा रहा है.

कई मामलों की जांच में देरी हो जाती है. साथ ही कई बार अपराधों का पता ही नहीं चल पाता, जिस वजह से समस्या और भी ज्यादा चिंताजनक बनती जा रही है.

साढ़े तीन साल की मासूम से छेड़छाड़
तेलंगाना के संगारेड्डी में साढ़े तीन साल की मासूम से छेड़छाड़ का मामला सामने आया है.

पांच साल की बच्ची से बलात्कार
विकाराबाद जिले में पड़ोसी द्वारा पांच साल की बच्ची से बलात्कार किया गया.

तेरह वर्षीय बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार
वारंगल अर्बन में, तेरह वर्षीय एक महिला के साथ तीन लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया. इस घटना के बाद किशोरी ने आत्महत्या कर ली.

पिता ने नौ साल की बच्ची का किया रेप
असम में, एक व्यक्ति ने अपनी नौ साल की बेटी के साथ बलात्कार किया, उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

अपनी ही बेटियों का किया यौन शोषण
हरियाणा के गुरुग्राम में व्यक्ति ने अपनी ही बेटियों का यौन शोषण किया. जिसके बाद उसे भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

साथी छात्रों ने की छेड़खानी
मामला छत्तीसगढ़ का है, जहां एक लड़की के साथी छात्रों ने ही उसके साथ छेड़छाड़ की.

बता दें आरोपियों को IPC की धारा 376, 354A और POCSO एक्ट 4 के तहत जेल में डाल दिया गया है.

इस तरह के मामले आए दिन देश में होते रहते हैं लेकिन अधिकांश मामलें प्रकाश में आते ही नहीं है.

पढ़ेंः मासूम बच्चों को अगवा कर करता था यौन शोषण, अरेस्ट

क्या कहते हैं आंकड़े
आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो साल दर साल लड़कियों पर अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं.

नेशनल क्राइम ब्यूरो के अनुसार, 2015 में 94,172 मामले सामने आए हैं, जबकि बात यदि 2016 की करें तो ये मामले बढ़कर 1,06,958 हो गए हैं.

रिकॉर्ड किए गए मामलों में से 50% से अधिक उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली और पश्चिम बंगाल से हैं. बच्चों से संबंधित मामलों में यौन शोषण के मामले18% है.

द्रुतगति से बढ़ रही मामलों की संख्या
POCSO अधिनियम के तहत, 34.4% मामले दर्ज किए गए हैं.

घोंघे की गति से चल रही जांच
बाल छेड़छाड़ के मामलों की जांच बेहद ही धीमी गति से बढ़ रही है. आरोपियों की दी जाने वाली सजा की संख्या में भी कमी है.

आपको बता दें कि 2015 से 16 के दौरान तकरीबन बाल यौन शोषण के 1.06 लाख मामले दर्ज हुए थे, लेकिन इनमें से 8.87 फीसदी मामलों की ही जांच हुई है.

यह भी पढे़ंः ग्रेटर कैलाश के निजी स्कूल में बच्ची के साथ यौन-शोषण, स्वीपर ही निकला 'हैवान'

सबूतों के अभाव के कारण खारिज होते हैं मामले
अधिकांश मामलों में शिकायतकर्ता के पास कोई सबूत नहीं होता जिसकी वजह से मामलों को खारिज कर दिया जाता है.

डेढ़ महीने के अंदर सुनाई मौत की सजा
हाल ही में एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने अपराधी को नौ महीने की बच्ची के साथ क्रूरतापूर्वक बलात्कार करने और उसकी हत्या करने के लिए डेढ़ महीने के अंदर मौत की सजा सुनाई है.

युवाओं को हो समाज की बेहतर समझ
टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग हो रहा है. व्यसनों के कारण नैतिकता की अवहेलना की जा रही है.

युवा पीढ़ी को मानवीय मूल्यों के बारे में बताना अनिवार्य है.

यह शिक्षा स्कूल स्तर से ही पाठ्यक्रम में शामिल की जानी चाहिए. तभी युवाओं के समाज की बेहतर समझ मिल सकेगी.

खासतौर से गांवों और कस्बों में अलग अलग स्तरों पर कर्मचारियों को POCSO एक्ट की अच्छी समझ होनी चाहिए. माता-पिता, शिक्षक, आंगनवाड़ी और आशा स्टाफ, महिला और बाल विकास मंत्रालय और नर्सों को इस बारे में अच्छी तरह से पता होना चाहिए.

हम अपनी जिम्मेदारी निभा कर बच्चों के साथ हो रही अपराध की घटनाओं को कम कर सकते हैं.

नई दिल्लीः बाल यौन शोषण के मामलों की संख्या में चिंताजनक वृद्धि बनी हुई है. माता-पिता अपने नन्हें बच्चों को इन अपराधियों से बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं.

गौरतलब है कि सख्त कानून बनाए जाने पर भी इन अपराधों से बच्चों को नहीं बचाया जा पा रहा है.

कई मामलों की जांच में देरी हो जाती है. साथ ही कई बार अपराधों का पता ही नहीं चल पाता, जिस वजह से समस्या और भी ज्यादा चिंताजनक बनती जा रही है.

साढ़े तीन साल की मासूम से छेड़छाड़
तेलंगाना के संगारेड्डी में साढ़े तीन साल की मासूम से छेड़छाड़ का मामला सामने आया है.

पांच साल की बच्ची से बलात्कार
विकाराबाद जिले में पड़ोसी द्वारा पांच साल की बच्ची से बलात्कार किया गया.

तेरह वर्षीय बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार
वारंगल अर्बन में, तेरह वर्षीय एक महिला के साथ तीन लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया. इस घटना के बाद किशोरी ने आत्महत्या कर ली.

पिता ने नौ साल की बच्ची का किया रेप
असम में, एक व्यक्ति ने अपनी नौ साल की बेटी के साथ बलात्कार किया, उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

अपनी ही बेटियों का किया यौन शोषण
हरियाणा के गुरुग्राम में व्यक्ति ने अपनी ही बेटियों का यौन शोषण किया. जिसके बाद उसे भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

साथी छात्रों ने की छेड़खानी
मामला छत्तीसगढ़ का है, जहां एक लड़की के साथी छात्रों ने ही उसके साथ छेड़छाड़ की.

बता दें आरोपियों को IPC की धारा 376, 354A और POCSO एक्ट 4 के तहत जेल में डाल दिया गया है.

इस तरह के मामले आए दिन देश में होते रहते हैं लेकिन अधिकांश मामलें प्रकाश में आते ही नहीं है.

पढ़ेंः मासूम बच्चों को अगवा कर करता था यौन शोषण, अरेस्ट

क्या कहते हैं आंकड़े
आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो साल दर साल लड़कियों पर अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं.

नेशनल क्राइम ब्यूरो के अनुसार, 2015 में 94,172 मामले सामने आए हैं, जबकि बात यदि 2016 की करें तो ये मामले बढ़कर 1,06,958 हो गए हैं.

रिकॉर्ड किए गए मामलों में से 50% से अधिक उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली और पश्चिम बंगाल से हैं. बच्चों से संबंधित मामलों में यौन शोषण के मामले18% है.

द्रुतगति से बढ़ रही मामलों की संख्या
POCSO अधिनियम के तहत, 34.4% मामले दर्ज किए गए हैं.

घोंघे की गति से चल रही जांच
बाल छेड़छाड़ के मामलों की जांच बेहद ही धीमी गति से बढ़ रही है. आरोपियों की दी जाने वाली सजा की संख्या में भी कमी है.

आपको बता दें कि 2015 से 16 के दौरान तकरीबन बाल यौन शोषण के 1.06 लाख मामले दर्ज हुए थे, लेकिन इनमें से 8.87 फीसदी मामलों की ही जांच हुई है.

यह भी पढे़ंः ग्रेटर कैलाश के निजी स्कूल में बच्ची के साथ यौन-शोषण, स्वीपर ही निकला 'हैवान'

सबूतों के अभाव के कारण खारिज होते हैं मामले
अधिकांश मामलों में शिकायतकर्ता के पास कोई सबूत नहीं होता जिसकी वजह से मामलों को खारिज कर दिया जाता है.

डेढ़ महीने के अंदर सुनाई मौत की सजा
हाल ही में एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने अपराधी को नौ महीने की बच्ची के साथ क्रूरतापूर्वक बलात्कार करने और उसकी हत्या करने के लिए डेढ़ महीने के अंदर मौत की सजा सुनाई है.

युवाओं को हो समाज की बेहतर समझ
टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग हो रहा है. व्यसनों के कारण नैतिकता की अवहेलना की जा रही है.

युवा पीढ़ी को मानवीय मूल्यों के बारे में बताना अनिवार्य है.

यह शिक्षा स्कूल स्तर से ही पाठ्यक्रम में शामिल की जानी चाहिए. तभी युवाओं के समाज की बेहतर समझ मिल सकेगी.

खासतौर से गांवों और कस्बों में अलग अलग स्तरों पर कर्मचारियों को POCSO एक्ट की अच्छी समझ होनी चाहिए. माता-पिता, शिक्षक, आंगनवाड़ी और आशा स्टाफ, महिला और बाल विकास मंत्रालय और नर्सों को इस बारे में अच्छी तरह से पता होना चाहिए.

हम अपनी जिम्मेदारी निभा कर बच्चों के साथ हो रही अपराध की घटनाओं को कम कर सकते हैं.

Intro:Body:

CHILD RAPES – A CASE OF DISAPPEARING HUMANITY

There is a worrisome rise in number of child sexual abuses. Parents are floundering to save

their little ones from these perpetrators. Stringent laws and harsh punishments are not

coming to rescue either. Delay in investigation and failure in ascertaining crimes are adding

more distress to the problem. A three-and-half-year-old was molested in Sangareddy district

of Telangana. A five-year-old has been subject to rape by a neighbour in Vikarabad district.

In Warangal Urban, a thirteen-year-old was gang raped by three people, which led to her

suicide. In Assam, a man who raped his nine-year-old daughter was sentenced to life

imprisonment. The same punishment was meted out to another man in Gurugram, Haryana

who sexually exploited his daughters. In Chattisgarh, fellow students tried to molest a girl in

the school premises. Under IPC sections 376, 354A and POCSO section 4, the accused have

been jailed. Such incidents are taking place everyday all over India although most of them

don’t see the light of the day.

Official stats show that crimes on girls are increasing year on year. According to National

Crime Bureau; 94,172 cases have been reported in 2015 whereas they have increased to

1,06,958 in 2016. More than 50% of the recorded cases are from Uttar Pradesh, Madhya

Pradesh, Delhi and West Bengal. Sexual abuses account to 18% among the cases concerning

children. Under POCSO act, 34.4% cases have been filed. Investigations on child molestation

cases are moving at a snail pace. Punishments to accused are less in number too. During

2015-16, 1.06 lakh cases have been filed but only 8.87% of them have been thoroughly

investigated. Most of the cases are being dismissed due to lack of evidence. Settling cases

that have piled up in courts since ages is the need of the hour. In recent times, a fast track

court has sentenced a perpetrator to death within one and half months for brutally raping

and killing a nine-month-old baby girl.

Technology is being misused. Morals and ethics are disregarded due to vices and addictions.

It is mandatory to educate the younger generations about human values and relations.

Lessons must be included in the curriculum right from school level. Only then, youth will get

a better understanding of the society. Publicizing major laws and acts related to child abuse

might yield results too. Specially, the staff at various levels in villages and towns must have

good understanding of POCSO act. Parents, teachers, Anganwadi and ASHA staff, Women

and Child Development ministry and nurses must be well aware. By doing our part, we can

significantly reduce the incidence of crimes against children.


Conclusion:
Last Updated : Sep 29, 2019, 9:12 AM IST
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