नई दिल्ली : केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि वह पिछले साल महामारी के कारण संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित परीक्षा में शामिल नहीं होने से अपना आखिरी मौका गंवा देने वाले अभ्यर्थियों को एक और अवसर देने के पक्ष में नहीं है.
केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया कि यूपीएससी के लिए कोई अतिरिक्त प्रयास उन उम्मीदवारों को नहीं दिया जाएगा जिनका अक्टूबर में परीक्षा देने का अंतिम प्रयास था और जो कोविड-19 के कारण परीक्षा में उपस्थित नहीं हो पाए थे.
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर के नेतृत्व वाली पीठ ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू के निवेदन का संज्ञान लिया कि सरकार कोविड-19 महामारी के कारण 2020 में सिविल सेवा अभ्यर्थियों को एक और अवसर देने को तैयार नहीं है.
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने पीठ से कहा, हम एक और अवसर देने को तैयार नहीं है। मुझे हलफनामा दाखिल करने का समय दीजिए, कल (बृहस्पतिवार) रात मुझे निर्देश मिला है कि हम इस पर तैयार नहीं हैं.
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पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी भी थे.
पीठ ने सिविल सेवा की अभ्यर्थी रचना की याचिका को 25 जनवरी के लिए सूचीबद्ध किया है और केंद्र से एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है.
इससे पहले, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया था कि सिविल सर्विसेज के ऐसे उम्मीदवारों को सरकार एक और मौका देने पर विचार कर रही है.