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नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : केरल की पंचायत को कचरा मुक्त बना रही हैं महिलाएं

सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के लिए देश में अभियान चल रहा है. ईटीवी भारत भी इस मुहिम का एक अहम हिस्सा बना है. इसकी थीम नो प्लास्टिक लाइफ फैंटास्टिक रखी गई है. देखें इस मुहिम की 19वीं कड़ी पर विशेष रिपोर्ट...

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हरित कर्म सेना की महिलाएं
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Published : Dec 30, 2019, 7:02 AM IST

कोल्लम : केरल के कोल्लम में पेरिनाड गांव की 40 महिलाओं ने अपने गांव को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए एक ऐसी मुहिम शुरू की है, जो न सिर्फ हैरान करने वाली है बल्कि काफी सराहनीय भी है.

इस पहल के तहत महिलाएं पहले तो घर-घर जाकर प्लास्टिक इकट्ठा करती हैं, और फिर उसका पाउडर बनाती हैं. इस पाउडर का उपयोग सड़क बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले डामर में किया जाता है.

पेरीनाड ने देश के बाकी हिस्सों को प्लास्टिक के संकट से निबटने के लिए एक नई राह दिखाई है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पेरिनाड को कचरा प्रबंधन कानूनों के उचित कार्यान्वयन और पर्यावरण संरक्षण उपायों की मिसाल के रूप में चुना है.

हरित कर्म सेना नाम का एक समूह घर-घर जाकर कचरा इकट्ठा कर, कचरे की सफाई और धुलाई करता है. इसके बाद पाउडर बनाया जाता है.

कचरे से बनाए गए पाउडर को हरित कर्म सेना 'क्लीन केरल कंपनी' की प्रोसेसिंग यूनिट में भेजती है. क्लीन केरल कम्पनी पाउडर का इस्तेमाल सड़क बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले डामर में किया जाता है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए हरित कर्म सेना की सदस्य शीर्ले ने बताया कि जब वे घरों से प्लास्टिक कचरा जमा करने जाती हैं तो लोग प्लास्टिक को साफ करके रखते हैं.

पेरीनाड पंचायत में प्लास्टिक के खिलाफ मुहिम पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट

शीर्ले ने बताया कि हरित कर्म सेना कचरे को अपने साथ ले जाती है और लोगों को हस्ताक्षर कर के एक कार्ड देती है. उन्होंने कहा कि इस काम में स्थानीय लोगों का भी पूरा सहयोग मिलता है. विजयलक्ष्मी, अंबिली और शीर्ले नाम की तीन महिलाएं हरित कर्म सेना की प्रमुख हैं. इस संस्था की प्रोसेसिंग यूनिट 24 घंटे काम करती है.

हरित कर्म सेना की इस पहल को केरल में काफी सराहना मिल रही है. इस मुहिम से प्रभावित होकर पेरेनाड की पड़ोसी पंचायत भी आगे आई है, और पंचायत को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करने के लिए मदद मांगी है.

पंचायत के अध्यक्ष एल अनिल ने बताया, 'हरित कर्म सेना नियमित आधार पर हर महीने प्लास्टिक कचरा जमा करती है. प्लास्टिक कचरे को एक प्रोसेसिंग यूनिट को दिया जाता है, जहां इसे पाउडर में बदला जाता है.' उन्होंने बताया कि इस पाउडर का उपयोग बाद में सड़कों की मरम्मत करने वाले डामर में किया जाता है.

बढ़ती मांग और इनोवेटिव विचार को देखते हुए, हरित कर्म सेना अब पेरीनाड में एक इलेक्ट्रॉनिक कचरा प्रबंधन प्रणाली स्थापित करने की योजना बना रही है.

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इस पहल के तहत महिलाएं पहले तो घर-घर जाकर प्लास्टिक इकट्ठा करती हैं, और फिर उसका पाउडर बनाती हैं. इस पाउडर का उपयोग सड़क बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले डामर में किया जाता है.

पेरीनाड ने देश के बाकी हिस्सों को प्लास्टिक के संकट से निबटने के लिए एक नई राह दिखाई है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पेरिनाड को कचरा प्रबंधन कानूनों के उचित कार्यान्वयन और पर्यावरण संरक्षण उपायों की मिसाल के रूप में चुना है.

हरित कर्म सेना नाम का एक समूह घर-घर जाकर कचरा इकट्ठा कर, कचरे की सफाई और धुलाई करता है. इसके बाद पाउडर बनाया जाता है.

कचरे से बनाए गए पाउडर को हरित कर्म सेना 'क्लीन केरल कंपनी' की प्रोसेसिंग यूनिट में भेजती है. क्लीन केरल कम्पनी पाउडर का इस्तेमाल सड़क बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले डामर में किया जाता है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए हरित कर्म सेना की सदस्य शीर्ले ने बताया कि जब वे घरों से प्लास्टिक कचरा जमा करने जाती हैं तो लोग प्लास्टिक को साफ करके रखते हैं.

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शीर्ले ने बताया कि हरित कर्म सेना कचरे को अपने साथ ले जाती है और लोगों को हस्ताक्षर कर के एक कार्ड देती है. उन्होंने कहा कि इस काम में स्थानीय लोगों का भी पूरा सहयोग मिलता है. विजयलक्ष्मी, अंबिली और शीर्ले नाम की तीन महिलाएं हरित कर्म सेना की प्रमुख हैं. इस संस्था की प्रोसेसिंग यूनिट 24 घंटे काम करती है.

हरित कर्म सेना की इस पहल को केरल में काफी सराहना मिल रही है. इस मुहिम से प्रभावित होकर पेरेनाड की पड़ोसी पंचायत भी आगे आई है, और पंचायत को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करने के लिए मदद मांगी है.

पंचायत के अध्यक्ष एल अनिल ने बताया, 'हरित कर्म सेना नियमित आधार पर हर महीने प्लास्टिक कचरा जमा करती है. प्लास्टिक कचरे को एक प्रोसेसिंग यूनिट को दिया जाता है, जहां इसे पाउडर में बदला जाता है.' उन्होंने बताया कि इस पाउडर का उपयोग बाद में सड़कों की मरम्मत करने वाले डामर में किया जाता है.

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