नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर ) का विरोध लगातार जारी है. कांग्रेस और लेफ्ट शासित राज्यों की सरकारें पहले ही इस कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर चुकी हैं. इस बीच केंद्र सरकार ने बुधवार को संसद में कहा कि वह वैसे राज्यों के संपर्क में है, जो इस कानून का विरोध कर रहे हैं. इसके बाद विपक्ष ने और आक्रामक तेवर अपनाने के संकेत दिए हैं.
दिल्ली में सीपीएम नेता हन्नान मोलाह ने इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. बातचीत के दौरान हन्नान मोल्लाह ने साफ शब्दों में केंद्र सरकार से मांग की राज्यों और लोगों की भावनाओं को समझते हुए वह इस कानून को तुरंत वापस ले ले.
मोल्लाह ने कहा कि सरकार संसद में जो कह रही है कि वह वैसे राज्यों के संपर्क में है, जो इस कानून का विरोध कर रहे है. तो इस सम्पर्क का कोई मतलब नहीं है, जब तक वह उनकी मांग को नहीं मानती और कानून को वापस नहीं लेती.
आपको बता दें कि केरल, पश्चिम बंगाल, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों की सरकारें सीएए और एनपीआर के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पास कर चुकी हैं और इस कानून को किसी भी हालत में अपने राज्य में लागू न होने देने की बात कह रही हैं.
सीपीएम नेता कहा, '13 राज्य सरकारों ने पहले ही यह एलान कर दिया है कि वे अपने राज्यों में इस कानून को लागू नहीं करेगी.यानी ये राज्य इस कानून का खुले तौर पर विरोध कर रहे हैं. तो वहीं पूरा देश इस कानून का विरोध सड़कों पर आकर कर रहा है.और केंद्र सरकार संवेदनशीलता दिखाने की जगह लोगों के साथ छल करने की कोशिश कर रही है.'
मोल्लाह ने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला करते हुए कहा, 'यह सरकार राज्यों और लोगों की भावनाओं की कद्र करने की बजाय कुछ मुख्यमंत्रियों को धमकी दे रही है. उनपर विरोधी खेमे से बाहर आने का दबाव डाल रही है. उनके राज्यों में चल रही केंद्रीय योजनाओं को वापस लेने और रोकने की बातें कर रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.'
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गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत भारत के रजिस्टार जनरल (आरजीआई) ने कुछ दिन पहले केरल, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, पंजाब जैसे राज्यों को पत्र लिखा है, जिन्होंने एनपीआर लागू करने के प्रति अनिच्छा जाहिर की है.