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सीएए व एनपीआर का विरोध करने वाले राज्यों को धमका रहा केंद्र : सीपीएम

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Published : Feb 5, 2020, 8:05 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 7:37 AM IST

नागरिकता संशोधन अधिनियम(सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के विरोध का स्वर ठंडा पड़ने का नाम नहीं ले रहा है. कांग्रेस और लेफ्ट शासित राज्यों की सरकारों ने इस कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर अपना विरोध जता दिया है. वहीं विपक्ष ऐसे राज्यों से भी इस कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने का आग्रह कर रहा है, जहां बीजेपी की सरकारें नहीं हैं. हालांकि केंद्र सरकार ने संसद में कहा कि वह सीएए और एनपीआर का विरोध कर रहे राज्यों के सम्पर्क में है.

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हन्नान मोल्लाह,सीपीएम नेता

नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर ) का विरोध लगातार जारी है. कांग्रेस और लेफ्ट शासित राज्यों की सरकारें पहले ही इस कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर चुकी हैं. इस बीच केंद्र सरकार ने बुधवार को संसद में कहा कि वह वैसे राज्यों के संपर्क में है, जो इस कानून का विरोध कर रहे हैं. इसके बाद विपक्ष ने और आक्रामक तेवर अपनाने के संकेत दिए हैं.

दिल्ली में सीपीएम नेता हन्नान मोलाह ने इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. बातचीत के दौरान हन्नान मोल्लाह ने साफ शब्दों में केंद्र सरकार से मांग की राज्यों और लोगों की भावनाओं को समझते हुए वह इस कानून को तुरंत वापस ले ले.

मोल्लाह ने कहा कि सरकार संसद में जो कह रही है कि वह वैसे राज्यों के संपर्क में है, जो इस कानून का विरोध कर रहे है. तो इस सम्पर्क का कोई मतलब नहीं है, जब तक वह उनकी मांग को नहीं मानती और कानून को वापस नहीं लेती.

ईटीवी भारत से बात करते सीपीएम नेता हन्नान मोल्लाह.

आपको बता दें कि केरल, पश्चिम बंगाल, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों की सरकारें सीएए और एनपीआर के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पास कर चुकी हैं और इस कानून को किसी भी हालत में अपने राज्य में लागू न होने देने की बात कह रही हैं.

सीपीएम नेता कहा, '13 राज्य सरकारों ने पहले ही यह एलान कर दिया है कि वे अपने राज्यों में इस कानून को लागू नहीं करेगी.यानी ये राज्य इस कानून का खुले तौर पर विरोध कर रहे हैं. तो वहीं पूरा देश इस कानून का विरोध सड़कों पर आकर कर रहा है.और केंद्र सरकार संवेदनशीलता दिखाने की जगह लोगों के साथ छल करने की कोशिश कर रही है.'

मोल्लाह ने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला करते हुए कहा, 'यह सरकार राज्यों और लोगों की भावनाओं की कद्र करने की बजाय कुछ मुख्यमंत्रियों को धमकी दे रही है. उनपर विरोधी खेमे से बाहर आने का दबाव डाल रही है. उनके राज्यों में चल रही केंद्रीय योजनाओं को वापस लेने और रोकने की बातें कर रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.'

यह भी पढ़ें- CAA प्रोटेस्ट: आजाद मार्केट में लगाई गई आर्ट गैलरी, तस्वीरों के जरिए जताया विरोध

गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत भारत के रजिस्टार जनरल (आरजीआई) ने कुछ दिन पहले केरल, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, पंजाब जैसे राज्यों को पत्र लिखा है, जिन्होंने एनपीआर लागू करने के प्रति अनिच्छा जाहिर की है.

नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर ) का विरोध लगातार जारी है. कांग्रेस और लेफ्ट शासित राज्यों की सरकारें पहले ही इस कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर चुकी हैं. इस बीच केंद्र सरकार ने बुधवार को संसद में कहा कि वह वैसे राज्यों के संपर्क में है, जो इस कानून का विरोध कर रहे हैं. इसके बाद विपक्ष ने और आक्रामक तेवर अपनाने के संकेत दिए हैं.

दिल्ली में सीपीएम नेता हन्नान मोलाह ने इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. बातचीत के दौरान हन्नान मोल्लाह ने साफ शब्दों में केंद्र सरकार से मांग की राज्यों और लोगों की भावनाओं को समझते हुए वह इस कानून को तुरंत वापस ले ले.

मोल्लाह ने कहा कि सरकार संसद में जो कह रही है कि वह वैसे राज्यों के संपर्क में है, जो इस कानून का विरोध कर रहे है. तो इस सम्पर्क का कोई मतलब नहीं है, जब तक वह उनकी मांग को नहीं मानती और कानून को वापस नहीं लेती.

ईटीवी भारत से बात करते सीपीएम नेता हन्नान मोल्लाह.

आपको बता दें कि केरल, पश्चिम बंगाल, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों की सरकारें सीएए और एनपीआर के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पास कर चुकी हैं और इस कानून को किसी भी हालत में अपने राज्य में लागू न होने देने की बात कह रही हैं.

सीपीएम नेता कहा, '13 राज्य सरकारों ने पहले ही यह एलान कर दिया है कि वे अपने राज्यों में इस कानून को लागू नहीं करेगी.यानी ये राज्य इस कानून का खुले तौर पर विरोध कर रहे हैं. तो वहीं पूरा देश इस कानून का विरोध सड़कों पर आकर कर रहा है.और केंद्र सरकार संवेदनशीलता दिखाने की जगह लोगों के साथ छल करने की कोशिश कर रही है.'

मोल्लाह ने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला करते हुए कहा, 'यह सरकार राज्यों और लोगों की भावनाओं की कद्र करने की बजाय कुछ मुख्यमंत्रियों को धमकी दे रही है. उनपर विरोधी खेमे से बाहर आने का दबाव डाल रही है. उनके राज्यों में चल रही केंद्रीय योजनाओं को वापस लेने और रोकने की बातें कर रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.'

यह भी पढ़ें- CAA प्रोटेस्ट: आजाद मार्केट में लगाई गई आर्ट गैलरी, तस्वीरों के जरिए जताया विरोध

गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत भारत के रजिस्टार जनरल (आरजीआई) ने कुछ दिन पहले केरल, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, पंजाब जैसे राज्यों को पत्र लिखा है, जिन्होंने एनपीआर लागू करने के प्रति अनिच्छा जाहिर की है.

Intro:New Delhi: Against the backdrop of Centre's initiative of getting in touch with state governments opposing Citizenship Amendment Act (CAA) and National Population Register (NPR), the opposition parties are perusing non BJP government to bring resolution against both CAA and NPR.


Body:"We are in constant touch with the state governments so that they bring similar resolution against CAA and NPR like five orher states," said senior CPM leader and former MP Hannan Mollah to ETV Bharat.

States like Kerala, West Bengal, Punjab and Rajasthan have brought resolution against CAA and NPR.

Mollah said that there is no meaning "if centre is in touch with the state governments."

"As many as 13 states have opposed CAA and NPR...This declaration by the centre is a hoax. We will oppose it. Entire opposition is opposing it," said Mollah.

He also accused that Centre is threatening the non BJP states by the way of withdrawing some central schemes.

"This government is threatening some Chief Ministers. To put pressure, Centre is even withdrawing some central schemes," Mollah alleged.

The government has informed in the Lok Sabha on Wednesday that they are in touch with the states having concern in regard to the preparation of National Population Register (NPR) and implementation of Citizenship Amendment Act (CAA).


Conclusion:It may be mentioned here that there are 13 non BJP ruled states at present in India. In some states including Bihar, Nagaland, Sikkim etc BJP is in coalition with other parties.

Significantly, the Register General of India (RGI), under Union Home Ministry, have written to states like Kerala, West Bengal, Rajasthan, Punjab-who have expressed their unwillingness to update the biometric register of residents in India.

The RGI has dashed the letter to Chief Secretary of concerned state governments. States like Odisha, Tamil Nadu too have expressed their reservation against NPR.

end.
Last Updated : Feb 29, 2020, 7:37 AM IST
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