लखनऊ : प्रदेश में 10 सीटों पर होने वाले राज्यसभा चुनाव ने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी आमने-सामने हैं. एक दिन पहले बसपा से कई विधायकों के बगावत की खबर के बाद आज बसपा सुप्रीमों मायावती ने सपा पर जमकर निशाना साधा. यही नहीं मायावती ने बगावत करने वाले सभी 7 विधायकों को पार्टी से निलंबित कर दिया.
मायावती के निशाने पर सपा
2019 में साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने वाली सपा और बसपा के बीच एक तल्खी फिर बढ़ती जा रही है. इस बार का राज्यसभा चुनाव ने सपा और बसपा के बीच की खाई को और बड़ा कर दिया है. एक दिन पहले बसपा से बगावत कर सपा के समर्थन में आए बसपा के सात विधायकों की चाल जैसे ही फेल हुई, बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सपा को निशाने पर ले लिया. मायावती ने वो सभी बातें कही जिसका अंदाजा लोकसभा चुनाव के बाद दोनों के अलग-अलग रास्ते हो जाने पर लगाया जा रहा था.
'सपा के पारिवारिक कलह से टूटा गठबंधन'
मायावती ने कहा कि सपा से गठबंधन कर लोकसभा चुनाव तो लड़ा गया, लेकिन सपा मुखिया अखिलेश के परिवार में कलह कम नहीं हुई. यही वजह रही की लोकसभा चुनाव में उन्हें बड़ी हार का सामना करना पड़ा. यही नहीं चुनाव के बाद सपा ने किसी प्रकार से बसपा से संपर्क नहीं किया. लिहाजा बसपा को सपा के साथ रिश्ते तोड़ कर अपना अलग रास्ता अख्तियार करना पड़ा.
'गेस्ट हाउस कांड में केस वापस लेना मेरी बड़ी भूल'
इसके साथ ही मायावती ने अपनी भड़ास निकालते हुए कहा कि, गेस्ट हाउस कांड में केस वापस लेना मेरी बड़ी गलती थी. मैं इस बात का खुलासा करना चाहती हूं कि, लोकसभा चुनाव के लिए जब उत्तर प्रदेश में सपा के साथ गठबंधन हुआ तो हमने कठिन परिश्रम किया. लेकिन, सपा मुखिया ने पहले दिन से ही सतीश चंद्र मिश्रा से यह कहना शुरू कर दिया कि जब सपा-बसपा हाथ मिला चुकी है तो हमें 1995 के गेस्ट हाउस कांड में सपा नेताओं के खिलाफ चल रहा केस वापस लेने लेना चाहिए. इसके बाद जब हमने लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद समाजवादी पार्टी के व्यवहार में बदलाव देखा तो मैंने महसूस किया कि केस वापस नहीं लेना चाहिए था और सपा से हाथ नहीं मिलाना चाहिए था.
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'सपा को हराने वाली पार्टी का करेंगे समर्थन'
कल की घटना से बसपा सुप्रीमो मायावती इस कदर आहत हुईं कि उन्होंने आने वाले किसी भी चुनाव में सपा को हराने के लिए प्रत्याशी उतारेंगी. उन्होंने कहा कि जहां हम सक्षम नहीं होंगे वहां उस पार्टी का समर्थन जरूर करेंगे जो सपा को हराने में समर्थ होगी.
क्या है गेस्ट हाउस कांड ?
साल 1995 में जब मायावती ने मुलायम सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया तो सपा और बसपा के बीच कड़वाहट बेहद बढ़ गई थी. इसके बाद भाजपा ने उत्तरप्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल मोतीपाल वोहरा को एक चिट्ठी सौंप जिसमे लिखा था. यूपी में बसपा सरकार बनाने का दावा पेश करती है तो भाजपा उसका समर्थन करेगी. इसके कुछ दिन बाद मायावती ने चर्चा के लिए लखनऊ के गेस्ट हाउस में अपने विधायकों की एक बैठक बुलाई थी. जब समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को इस बैठक की भनक लगी तो सपा के कई कार्यकर्ता गेस्ट हाउस में पहुंच गए. गेस्ट हाउस के बाहर जुटी सपा के कार्यकर्ताओं ने बसपा विधायकों को मारना-पीटना शुरू कर दिया. इस दौरान बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने आप को एक कमरे में बंद कर लिया. मायावती जिस कमरे में छिपी थीं सपा के लोग उसे खोलने की कोशिश कर रहे थे.