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गलवान घटना के बाद सीमा वार्ता में कोई विश्वास नहीं करेगा : रिटायर्ड ब्रिगेडियर

भारतीय सेना के ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) प्रबीर कुमार सान्याल ने कहा है कि गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद सीमा पर होने वाली बैठकों की विश्वसनीयता को धक्का पहुंचा है. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद कोई भी तनाव कम करने के लिए सीमा पर होने वाली प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में विश्वास नहीं करेगा. जानें और क्या कुछ बोले ब्रिगेडियर...

brigadier prabir kumar sanyal
ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) प्रबीर कुमार सान्याल
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Published : Jun 18, 2020, 12:41 PM IST

हैदराबाद : भारतीय सेना के ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) प्रबीर कुमार सान्याल ने कहा है कि गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद सीमा पर होने वाली बैठकों की विश्वसनीयता को धक्का पहुंचा है.

जानकारी के लिए बता दें, ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) प्रबीर कुमार सान्याल ने 2006-08 तक इंटेगरेटेड डिफेंस स्टाफ में डिप्टी असिस्टेंट कमांडर के रूप में काम किया था और स्टेशन कमांडर, कोलकाता मिलिट्री गैरीसन (2008-10) रहे हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि चीनी सैनिकों ने भले ही पत्थर, छड़ या गोली का इस्तेमाल किया लेकिन प्रभाव केवल गोली का है. जीवन की क्षति होती है.

ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) प्रबीर कुमार सान्याल

उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद कोई भी तनाव कम करने के नाम पर सीमा पर होने वाली प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में विश्वास नहीं करेगा. थोड़ा बचा विश्वास भी खत्म हो गया है.

ईटीवी भारत के एक सवाल का जवाब देते हुए ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) ने कहा, 'डोकलाम और गलवान गतिरोध संयोग से तीन साल के अंतराल पर 15/16 जून को हुआ.' ब्रिगेडियर सान्याल ने कहा कि फिलहाल इसका कारण समझना मुश्किल है.

चीन द्वारा अपने सैनिकों की मौतों के सटीक आंकड़े का खुलासा नहीं करने के सवाल पर उन्होंने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा चीन के गुप्त स्वभाव या मीडिया सेंसरशिप के कारण हो सकता है.

ब्रिगेडियर सान्याल ने इस संभावना से इनकार नहीं किया है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मुद्दों से अपने देश के लोगों का ध्यान हटाने के लिए यह रास्ता चुना होगा. इसका कारण जिनपिंग अपनी पार्टी में लोकप्रियता खो रहे हों या बीजिंग और उसके आस-पास कोरोना वायरस का दोबारा प्रसार हो सकता है.

ब्रिगेडियर सान्याल के मुताबिक, चीन के इस तरह के व्यवहार के कई कारण हो सकते हैं. जैसे एलएसी के साथ भारतीय पक्ष का आधारभूत संरचना का निर्माण, भारतीय संसद में अक्साई चिन की चर्चा, अनुच्छेद 370 हटाने से सीपीईसी (चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) पर पड़ने वाले असर आदि कारण हो सकते हैं.

हैदराबाद : भारतीय सेना के ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) प्रबीर कुमार सान्याल ने कहा है कि गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद सीमा पर होने वाली बैठकों की विश्वसनीयता को धक्का पहुंचा है.

जानकारी के लिए बता दें, ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) प्रबीर कुमार सान्याल ने 2006-08 तक इंटेगरेटेड डिफेंस स्टाफ में डिप्टी असिस्टेंट कमांडर के रूप में काम किया था और स्टेशन कमांडर, कोलकाता मिलिट्री गैरीसन (2008-10) रहे हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि चीनी सैनिकों ने भले ही पत्थर, छड़ या गोली का इस्तेमाल किया लेकिन प्रभाव केवल गोली का है. जीवन की क्षति होती है.

ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) प्रबीर कुमार सान्याल

उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद कोई भी तनाव कम करने के नाम पर सीमा पर होने वाली प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में विश्वास नहीं करेगा. थोड़ा बचा विश्वास भी खत्म हो गया है.

ईटीवी भारत के एक सवाल का जवाब देते हुए ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) ने कहा, 'डोकलाम और गलवान गतिरोध संयोग से तीन साल के अंतराल पर 15/16 जून को हुआ.' ब्रिगेडियर सान्याल ने कहा कि फिलहाल इसका कारण समझना मुश्किल है.

चीन द्वारा अपने सैनिकों की मौतों के सटीक आंकड़े का खुलासा नहीं करने के सवाल पर उन्होंने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा चीन के गुप्त स्वभाव या मीडिया सेंसरशिप के कारण हो सकता है.

ब्रिगेडियर सान्याल ने इस संभावना से इनकार नहीं किया है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मुद्दों से अपने देश के लोगों का ध्यान हटाने के लिए यह रास्ता चुना होगा. इसका कारण जिनपिंग अपनी पार्टी में लोकप्रियता खो रहे हों या बीजिंग और उसके आस-पास कोरोना वायरस का दोबारा प्रसार हो सकता है.

ब्रिगेडियर सान्याल के मुताबिक, चीन के इस तरह के व्यवहार के कई कारण हो सकते हैं. जैसे एलएसी के साथ भारतीय पक्ष का आधारभूत संरचना का निर्माण, भारतीय संसद में अक्साई चिन की चर्चा, अनुच्छेद 370 हटाने से सीपीईसी (चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) पर पड़ने वाले असर आदि कारण हो सकते हैं.

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