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मुजफ्फरपुर आश्रयगृह मामला : ब्रजेश ठाकुर को आजीवन कारावास की सजा

दिल्ली की एक अदालत ने ब्रजेश ठाकुर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने ठाकुर को पॉक्सो कानून और भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की संबंधित धाराओं के तहत बलात्कार तथा सामूहिक बलात्कार का दोषी ठहराया था. अदालत ने ठाकुर पर लगभग 32 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया.. पढे़ं पूरा विवरण...

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Published : Feb 11, 2020, 4:04 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 12:08 AM IST

Brajesh Thakur to life imprisonment in Mzfpur shelter home
अदालत ने ब्रजेश ठाकुर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में एक आश्रयगृह में कई लड़कियों के यौन शोषण और शारीरिक उत्पीड़न के मामले में ब्रजेश ठाकुर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

गौरतलब है कि दिल्ली के साकेत कोर्ट ने 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दी, जिसमें ब्रजेश ठाकुर और तीन महिलाएं भी शामिल हैं. अदालत ने ठाकुर पर लगभग 32 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया

ब्रजेश ठाकुर को आजीवन कारावास की सजा

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने ठाकुर को उसके शेष जीवन के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई.

बता दें कि अदालत ने ठाकुर को 20 जनवरी को पॉक्सो कानून और भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की संबंधित धाराओं के तहत बलात्कार तथा सामूहिक बलात्कार का दोषी ठहराया था.

कुल 19 आरोपी दोषी करार
पिछले 20 जनवरी को कोर्ट ने इस मामले में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत 19 आरोपियों को दोषी करार दिया था. कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर समेत दस आरोपियों को पॉक्सो और गैंगरेप का दोषी करार दिया था.

पढ़ें : निर्भया केस : दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी, 22 जन. को फांसी

कोर्ट ने 9 महिला आरोपियों को आपराधिक साजिश रचने का दोषी माना था और कहा था कि शेल्टर होम में रहने वाली नाबालिग लड़कियों के साथ कई बार रेप हुआ है. कोर्ट ने इस मामले में एक आरोपी विक्की को दोषमुक्त कर दिया था.

सीबीआई पर निष्पक्ष जांच नहीं करने का आरोप
सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कोर्ट से कहा था कि नाबालिग पीड़ितों के बयानों से साफ है कि सभी 20 आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं. अभियुक्तों की ओर से कहा गया था कि सीबीआई ने निष्पक्ष जांच नहीं की है. सभी केस भ्रमपूर्ण हैं और न कोई घटना की तिथि है और न ही समय और स्थान. आरोपियों की तरफ से कहा गया था कि सभी पीड़ितों ने पहली बार कोर्ट में ही बयान दिया. कोर्ट के पहले पीड़ितों ने पुलिस या मजिस्ट्रेट या सीबीआई को कोई बयान नहीं दिया.

25 फरवरी 2019 से सुनवाई शुरू हुई थी
इस मामले में साकेत कोर्ट ने पिछले वर्ष 25 फरवरी से सुनवाई शुरू की थी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सात फरवरी को इस केस की सुनवाई बिहार से दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर किया था. सुप्रीम कोर्ट ने निर्दश दिया था कि इस मामले की सुनवाई 6 महीने में पूरी की जाए.

रेप और पॉक्सो के तहत आरोप
30 मार्च 2019 को कोर्ट ने सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए थे. कोर्ट ने आरोपियों पर यौन उत्पीड़न, आपराधिक साजिश, पॉक्सो एक्ट की धारा 3, 5 और 6 के सहित अन्य धाराओं के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया था. इस मामले में मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर समेत 20 लोगों को आरोपी बनाया गया है.

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में एक आश्रयगृह में कई लड़कियों के यौन शोषण और शारीरिक उत्पीड़न के मामले में ब्रजेश ठाकुर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

गौरतलब है कि दिल्ली के साकेत कोर्ट ने 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दी, जिसमें ब्रजेश ठाकुर और तीन महिलाएं भी शामिल हैं. अदालत ने ठाकुर पर लगभग 32 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया

ब्रजेश ठाकुर को आजीवन कारावास की सजा

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने ठाकुर को उसके शेष जीवन के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई.

बता दें कि अदालत ने ठाकुर को 20 जनवरी को पॉक्सो कानून और भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की संबंधित धाराओं के तहत बलात्कार तथा सामूहिक बलात्कार का दोषी ठहराया था.

कुल 19 आरोपी दोषी करार
पिछले 20 जनवरी को कोर्ट ने इस मामले में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत 19 आरोपियों को दोषी करार दिया था. कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर समेत दस आरोपियों को पॉक्सो और गैंगरेप का दोषी करार दिया था.

पढ़ें : निर्भया केस : दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी, 22 जन. को फांसी

कोर्ट ने 9 महिला आरोपियों को आपराधिक साजिश रचने का दोषी माना था और कहा था कि शेल्टर होम में रहने वाली नाबालिग लड़कियों के साथ कई बार रेप हुआ है. कोर्ट ने इस मामले में एक आरोपी विक्की को दोषमुक्त कर दिया था.

सीबीआई पर निष्पक्ष जांच नहीं करने का आरोप
सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कोर्ट से कहा था कि नाबालिग पीड़ितों के बयानों से साफ है कि सभी 20 आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं. अभियुक्तों की ओर से कहा गया था कि सीबीआई ने निष्पक्ष जांच नहीं की है. सभी केस भ्रमपूर्ण हैं और न कोई घटना की तिथि है और न ही समय और स्थान. आरोपियों की तरफ से कहा गया था कि सभी पीड़ितों ने पहली बार कोर्ट में ही बयान दिया. कोर्ट के पहले पीड़ितों ने पुलिस या मजिस्ट्रेट या सीबीआई को कोई बयान नहीं दिया.

25 फरवरी 2019 से सुनवाई शुरू हुई थी
इस मामले में साकेत कोर्ट ने पिछले वर्ष 25 फरवरी से सुनवाई शुरू की थी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सात फरवरी को इस केस की सुनवाई बिहार से दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर किया था. सुप्रीम कोर्ट ने निर्दश दिया था कि इस मामले की सुनवाई 6 महीने में पूरी की जाए.

रेप और पॉक्सो के तहत आरोप
30 मार्च 2019 को कोर्ट ने सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए थे. कोर्ट ने आरोपियों पर यौन उत्पीड़न, आपराधिक साजिश, पॉक्सो एक्ट की धारा 3, 5 और 6 के सहित अन्य धाराओं के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया था. इस मामले में मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर समेत 20 लोगों को आरोपी बनाया गया है.

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DL-COURT-SHELTER HOME
Muzaffarpur shelter home: Delhi court sentences Brajesh Thakur to life imprisonment
         New Delhi, Feb 11 (PTI) A Delhi court Tuesday sentenced Brajesh Thakur to life imprisonment for sexually and physically assaulting several girls in a shelter home in Bihar's Muzaffarpur district.
         Additional Sessions Judge Saurabh Kulshreshtha sentenced Thakur to life imprisonment for remainder of his natural life.
         The court had on January 20 convicted Thakur, who once unsuccessfully contested assembly polls on Bihar People's Party (BPP) ticket, of several offences including aggravated penetrative sexual assault under section 6 of the Protection of Children from Sexual Offences (POCSO) Act, and offences of rape and gang rape under the Indian Penal code (IPC). PTI URD UK LLP
SA
02111503
NNNN
Last Updated : Mar 1, 2020, 12:08 AM IST
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