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केरल में मिला दुर्लभ प्रजाति का पौधा, आंतों की बीमारी के इलाज में होगा इस्तेमाल

वैज्ञानिकों ने केरल के कासरगोड जिले के चीमेनी एरियिट्प्पारा में इस सप्ताह एक दुर्लभ प्रजाति के पौधे की खोज की है. चिकित्सकों के मुताबिक, मलयालम भाषा में पौधे का नाम कल्लादी कोम्बन है और इसका वैज्ञानिक नाम केरोपीगिया एरियिट्टापरेनसिस (Ceropegia Ariyittaparensis) दिया गया है.

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Published : Jul 27, 2020, 11:09 PM IST

Updated : Jul 27, 2020, 11:14 PM IST

कासरगोड : वैज्ञानिकों ने केरल के कासरगोड जिले के चीमेनी एरियिट्प्पारा में इस सप्ताह एक दुर्लभ प्रजाति के पौधे की खोज की है. चिकित्सकों के मुताबिक, मलयालम भाषा में पौधे का नाम कल्लादी कोम्बन है और इसका वैज्ञानिक नाम केरोपीगिया एरियिट्टापरेनसिस (Ceropegia Ariyittaparensis) दिया गया है.

वनस्पतिविद श्रीधरन जब अन्य औषधीय पौधों को खोज रहे थे तब उन्होंने इस पौधे को देखा.

देखें वीडियो

वनस्पतिविदों के शोध दल में डॉ जॉमी ऑगस्टाइन, पाल सेंट थॉमस कॉलेज में वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रमुख, बीजू, कासरगोड सरकारी कॉलेज में वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर, डॉ जोस कुट्टी ईजे, तलस्सेरी स्थित ब्रेनन कॉलेज में प्रोफेसर, शरथ कांबले, कोल्हापुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और पीटर ब्रायन, बोलस विश्वविद्यालय, दक्षिण अफ्रीका शामिल थे.

दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजाती जो विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रही है, के केवल दस से कम पौधे हैं जो इस एरियिट्प्पारा क्षेत्र में पाया जा सकते हैं.

शोधकर्ताओं ने कहा, 'इसी तरह के पौधे पृथ्वी पर बहुत कम पाए जाते हैं. कल्लादी कोम्बन एक खाद्य पौधा है जिसमें कई औषधीय गुण भी हैं.

दवा विशेषज्ञों के मुताबिक इस पौधे की जड़ का इस्तेमाल आंतो के छाले के इलाज में किया जाता है. महाराष्ट्र के कोल्हापुर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 2014 में इसी प्रजाती के दो पौधे कासरगोड के पेरिया में खोजे थे.

कासरगोड : वैज्ञानिकों ने केरल के कासरगोड जिले के चीमेनी एरियिट्प्पारा में इस सप्ताह एक दुर्लभ प्रजाति के पौधे की खोज की है. चिकित्सकों के मुताबिक, मलयालम भाषा में पौधे का नाम कल्लादी कोम्बन है और इसका वैज्ञानिक नाम केरोपीगिया एरियिट्टापरेनसिस (Ceropegia Ariyittaparensis) दिया गया है.

वनस्पतिविद श्रीधरन जब अन्य औषधीय पौधों को खोज रहे थे तब उन्होंने इस पौधे को देखा.

देखें वीडियो

वनस्पतिविदों के शोध दल में डॉ जॉमी ऑगस्टाइन, पाल सेंट थॉमस कॉलेज में वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रमुख, बीजू, कासरगोड सरकारी कॉलेज में वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर, डॉ जोस कुट्टी ईजे, तलस्सेरी स्थित ब्रेनन कॉलेज में प्रोफेसर, शरथ कांबले, कोल्हापुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और पीटर ब्रायन, बोलस विश्वविद्यालय, दक्षिण अफ्रीका शामिल थे.

दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजाती जो विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रही है, के केवल दस से कम पौधे हैं जो इस एरियिट्प्पारा क्षेत्र में पाया जा सकते हैं.

शोधकर्ताओं ने कहा, 'इसी तरह के पौधे पृथ्वी पर बहुत कम पाए जाते हैं. कल्लादी कोम्बन एक खाद्य पौधा है जिसमें कई औषधीय गुण भी हैं.

दवा विशेषज्ञों के मुताबिक इस पौधे की जड़ का इस्तेमाल आंतो के छाले के इलाज में किया जाता है. महाराष्ट्र के कोल्हापुर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 2014 में इसी प्रजाती के दो पौधे कासरगोड के पेरिया में खोजे थे.

Last Updated : Jul 27, 2020, 11:14 PM IST
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