काठमांडू : नेपाल-भारत के बीच जारी तल्खी के बीच नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने कहा है कि सीमा विवाद से भारत-नेपाल के द्विपक्षीय संबंधों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. सोमवार को नेशनल एसेंबली में ग्यावली ने कहा कि सरकार भारत के साथ बहुआयामी रिश्तों को लेकर चिंतित है और सीमा से जुड़ा केवल एक विवाद हमारे रिश्ते को खराब नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि किसी को भी भारत के साथ आपसी रिश्ते में कड़वाहट नहीं घोलनी चाहिए. मैं सभी से अपील करता हूं कि वह दोनों देशों में रिश्ते सुधारने के लिए सकारात्मक योगदान दें.
उल्लेखनीय है कि ग्यवाली का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब ठीक एकदिन पहले ही प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत पर आरोप लगाते हुए कहा थी कि कालापानी, लिपुलेख व लिंपियाधुरा को नेपाल के नए नक्शे में शामिल किए जाने की वजह से भारत उनको सत्ता से हटाने की कोशिश कर रहा है.
नेपाल के समाचार पत्र 'काठमांडु पोस्ट' के अनुसार बैठक में ग्यावली ने कहा कि भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मकता लाने के लिए सभी हितधारकों को अपना-अपना योगदान देना चाहिए.
विदेश मंत्री ने कहा कि हम भारत के साथ संपर्क में हैं. हम सभी मुद्दों को बातचीत के साथ सुलझाना चाहते हैं और हमें आशा है कि हम कामयाब होंगे.
ग्यावली ने कहा कि भारत के साथ सीमा विवाद इतिहास की देन है और हम इससे संघर्ष कर रहे हैं. मुझे उम्मीद है कि हम इस मुद्दों को सुलझाने में सफल होंगे, वह भी भावनाओं को बिना और भड़काए हुए.
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बता दें कि मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि भारत के साथ सीमा विवाद को लेकर नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली लगातार घिरते नजर आ रहे हैं. इससे पहले नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने ओली के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा था कि दोनों देशों के बीच संबंध निम्नस्तर पर पहुंच गए हैं.
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यही नहीं प्रचंड सहित कम्युनिस्ट पार्टी की स्थायी समिति के सदस्य पीएम के इस्तीफे की मांग पर अड़े हुए हैं. पीएम ओली पर लगातार बढ़ रहे इस्तीफे के दबाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शुक्रवार को अपने ही आवास पर हुई बैठक से नदारद रहे.
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वहीं रविवार को ओली ने एक नया शगूफा छोड़ते हुए भारत पर आरोप लगाया और कहा कि उनकी सरकार को गिराने के लिए भारत में बैठकें हो रही हैं. अपने निवास पर एक सभा के दौरान ओली ने कहा कि उनकी सरकार को संसद में पूर्ण बहुमत हासिल है और वह बाहरी शक्तियों की योजना को सफल नहीं होने देंगे.
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उल्लेखनीय है कि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद उस समय शुरू हुआ जब बीते मई में भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कैलाश मानसरोवर के लिए लिपुलेख होते हुए एक लिंक रोड का उद्घाटन किया, जिसके बाद नेपाल ने इसका विरोध किया और एक नया नक्शा जारी कर भारत के इलाकों को अपनी सीमा में शामिल कर लिया.