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अदालत ने RBI से पूछा - पीएमसी बैंक के जमाकर्ताओं की मदद के लिए क्या कदम उठाए

बंबई उच्च न्यायालय ने RBI से जानने की कोशिश की है कि उसने घोटाले की मार झेल रहे पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक के जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए क्या कदम उठाए हैं. RBI ने पीएमसी बैंक में कथित वित्तीय अनियमितता सामने आने के बाद नकद निकासी समेत अन्य प्रतिबंध लगा दिये थे. पढ़ें पूरा विवरण....

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Published : Nov 4, 2019, 5:59 PM IST

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से यह जानने की कोशिश कि उसने घोटाले की मार झेल रहे पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक के जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए क्या कदम उठाए हैं.

न्यायमूर्ति एस.सी. धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति आर.आई. छागला की खंडपीठ बैंक के जमाकर्ताओं की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इन याचिकाओं में RBI की निकासी सीमा को चुनौती दी गई है.

RBI ने पीएमसी बैंक में कथित वित्तीय अनियमितता सामने आने के बाद नकद निकासी समेत अन्य प्रतिबंध लगा दिये थे.

सबसे पहले RBI ने निकासी की सीमा छह महीने के लिए केवल 1000 रुपये तय की थी , जिसे बाद में बढ़ाकर 10,000 रुपये और फिर बढ़ाकर 40,000 रुपये कर दिया गया था. पीठ ने सोमवार को कहा कि वह सिर्फ यह जानना चाहती है कि RBI ने इस मामले में क्या किया है.

पढे़ं : SC में प्रदूषण पर सुनवाई, 'अब तो घर भी नहीं सुरक्षित'

अदालत ने कहा , 'RBI को इस बैंक के सभी कामों की जानकारी है. RBI बैंकों का बैंक है और इस तरह के मुद्दों के लिए विशेषज्ञ निकाय है. हम आरबीआई के काम में बाधा नहीं डालना चाहते और न ही उसके अधिकारों को कम करना चाहते हैं.'

न्यायालय ने कहा कि इस तरह के वित्तीय मामलों में RBI ही न्यायाधीश होगा , न कि अदालत. अदालत ने RBI को हफलनामा जमा करने का निर्देश दिया है और मामले में अगली सुनवाई के लिए 19 नवम्बर की तारीख तय की है.

न्यायालय ने इस मामले में किसी भी तरह की अंतरिम राहत देने से इनकार किया है. एक याचिकाकर्ता ने न्यायालय से ग्राहकों को अपने लॉकरों का उपयोग करने की अनुमति देने का आरबीआई को निर्देश देने मांग की थी.

पढ़ें : 'नरसिम्हा राव ने खारिज कर दी थी अयोध्या पर गृह मंत्रालय की रिपोर्ट'

हालांकि पीठ ने किसी तरह का आदेश देने से इनकार करते हुए कहा ,'हम लॉकर तक पहुंच की अनुमति नहीं दे सकते. हम या फिर कोई भी आरबीआई को कार्रवाई करने से कैसे रोक सकते हैं? ' अगर आरबीआई कहता है कि ' बैंक से दूर रहें ', तो ऐसा करें.' अदालत ने कहा कि जमाकर्ता अगर चाहें तो बैंक पर मुकदमा कर सकते हैं.

पीठ ने कहा कि वकीलों को जमाकर्ताओं को झूठी उम्मीद नहीं देनी चाहिए कि अदालत उनकी मदद करेगी. न्यायमूर्ति धर्माधिकारी ने कहा , 'अदालतें जादूगर नहीं है. जमाकर्ताओं को झूठी उम्मीद न दें.'

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से यह जानने की कोशिश कि उसने घोटाले की मार झेल रहे पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक के जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए क्या कदम उठाए हैं.

न्यायमूर्ति एस.सी. धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति आर.आई. छागला की खंडपीठ बैंक के जमाकर्ताओं की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इन याचिकाओं में RBI की निकासी सीमा को चुनौती दी गई है.

RBI ने पीएमसी बैंक में कथित वित्तीय अनियमितता सामने आने के बाद नकद निकासी समेत अन्य प्रतिबंध लगा दिये थे.

सबसे पहले RBI ने निकासी की सीमा छह महीने के लिए केवल 1000 रुपये तय की थी , जिसे बाद में बढ़ाकर 10,000 रुपये और फिर बढ़ाकर 40,000 रुपये कर दिया गया था. पीठ ने सोमवार को कहा कि वह सिर्फ यह जानना चाहती है कि RBI ने इस मामले में क्या किया है.

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अदालत ने कहा , 'RBI को इस बैंक के सभी कामों की जानकारी है. RBI बैंकों का बैंक है और इस तरह के मुद्दों के लिए विशेषज्ञ निकाय है. हम आरबीआई के काम में बाधा नहीं डालना चाहते और न ही उसके अधिकारों को कम करना चाहते हैं.'

न्यायालय ने कहा कि इस तरह के वित्तीय मामलों में RBI ही न्यायाधीश होगा , न कि अदालत. अदालत ने RBI को हफलनामा जमा करने का निर्देश दिया है और मामले में अगली सुनवाई के लिए 19 नवम्बर की तारीख तय की है.

न्यायालय ने इस मामले में किसी भी तरह की अंतरिम राहत देने से इनकार किया है. एक याचिकाकर्ता ने न्यायालय से ग्राहकों को अपने लॉकरों का उपयोग करने की अनुमति देने का आरबीआई को निर्देश देने मांग की थी.

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हालांकि पीठ ने किसी तरह का आदेश देने से इनकार करते हुए कहा ,'हम लॉकर तक पहुंच की अनुमति नहीं दे सकते. हम या फिर कोई भी आरबीआई को कार्रवाई करने से कैसे रोक सकते हैं? ' अगर आरबीआई कहता है कि ' बैंक से दूर रहें ', तो ऐसा करें.' अदालत ने कहा कि जमाकर्ता अगर चाहें तो बैंक पर मुकदमा कर सकते हैं.

पीठ ने कहा कि वकीलों को जमाकर्ताओं को झूठी उम्मीद नहीं देनी चाहिए कि अदालत उनकी मदद करेगी. न्यायमूर्ति धर्माधिकारी ने कहा , 'अदालतें जादूगर नहीं है. जमाकर्ताओं को झूठी उम्मीद न दें.'

Intro:अडीच हजार कोटी रुपयांच्या पीएमसी बँक घोटाळा प्रकरणी सध्या मुंबई पोलिसांच्या आर्थिक गुन्हे शाखेकडून तपास सुरू आहे. ईडी कडूनही यासंदर्भात गुन्हा नोंदविण्यात आलेला आहे .एचडीआयल कंपनीचे सारंग वाधवा व राकेश वाधवा या पिता-पुत्रांना सध्या ईडी कस्टडी देण्यात आलेली आहे . तर दुसरीकडे हवालदिल झालेले पीएमसी बँक खातेदार हे वेगवेगळ्या माध्यमातून यासंदर्भात सरकारच आणि आरबीआयचे लक्ष वेधण्यासाठी आंदोलनाच्या माध्यमातून प्रयत्न करत आहेत.Body:मुंबई उच्च न्यायालयात सोमवारी यासंदर्भात याचिका दाखल करण्यात आली होती . ज्यामध्ये पीएमसी बँकेवर लादण्यात आलेले आर्थिक निर्बंध यासंदर्भात मुंबई उच्च न्यायालयाने हस्तक्षेप करावा म्हणून याचिका दाखल करण्यात आलेली होती. यावर सुनावणी घेत मुंबई उच्च न्यायालयाने आरबीआयकडून पीएमसी बँकेवर लादण्यात आलेल्या आर्थिक निर्बंधांबद्दल प्रतिज्ञापत्र येत्या 16 नोव्हेंबर पर्यंत दाखल करण्याचे आदेश उच्च न्यायालयाने दिले आहेत. सोमवारी झालेल्या सुनावणीमध्ये मुंबई उच्च न्यायालयाने आरबीआयला काही प्रश्न विचारलेले आहेत. पीएमसी बँक घोटाळा आरबीआयच्या केव्हा लक्षात आला ? पीएमसी बँकेवर घालण्यात आलेल्या आर्थिक निर्बंध केव्हा उठवण्यात येतील ? यासंदर्भात आरबीआयला मुंबई उच्च न्यायालयामध्ये प्रतिज्ञापत्र सादर करावे लागणार आहे पीएमसी बँक घोटाळा प्रकरणी आतापर्यंत चार जनहित याचिका दाखल करण्यात आले असून यांवर सुनावणी येत्या 19 नोव्हेंबर रोजी होणार आहे.

(एड - प्रज्ञा तळेकर , याचिकर्त्यांचे वकील ) Conclusion:
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