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कांग्रेस की अंदरूनी कलह से हमें कुछ लेना-देना नहीं : टॉम वडक्कन

कांग्रेस पार्टी के भीतर जंग का माहौल बनता जा रहा है. भाजपा इस मौके को पूरी तरह से गंवाना भी नहीं चाहती है. कांग्रेस में चल रहे इस घमासान पर कांग्रेस सहित गांधी परिवार को नसीहत भी दे रही है. पूर्व कांग्रेस नेता टॉम वडक्कन ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को इस विषय पर कुछ भी नहीं कहना है. हमारा इस बात से कोई लेना-देना नहीं है कि विपक्ष की पार्टी का नेता कौन होगा, कौन नहीं और यह उनकी अंदरूनी लड़ाई है.

Former Congressman Tom Vadakkan
टॉम वडक्कन का बयान
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Published : Aug 25, 2020, 5:57 PM IST

नई दिल्ली : पिछले दो दिनों से जिस तरह से कांग्रेस में गृह युद्ध छिड़ा हुआ है उस पर वैसे तो भाजपा के आला नेताओं ने अपने प्रवक्ताओं को आधिकारिक तौर पर ज्यादा टिप्पणी करने मना कर रखा है, मगर भाजपा इस मौके को पूरी तरह से गंवाना भी नहीं चाहती है.

टॉम वडक्कन का बयान

अगर पिछले दो साल में देखा जाए तो एक-एक करके कांग्रेस के कई नेता पार्टी से असंतुष्ट होकर भाजपा का दामन थाम चुके हैं और उन्हीं में से एक हैं टॉम वडक्कन, जो किसी समय में गांधी परिवार के काफी करीबी माने जाते थे. मगर आज वही टॉम वडक्कन गांधी परिवार का नाम न लेते हुए कांग्रेस और गांधी परिवार पर प्रहार कर रहे हैं.

भाजपा नेताओं के कांग्रेस कार्य समिति के दौरान सामने आई उठापटक पर जो बयान आए हैं, उसमें उनका यही कहना है कि भाजपा और कांग्रेस में बुनियादी फर्क सिर्फ इतना है कि भाजपा में पार्टी ही परिवार है, जबकि कांग्रेस में परिवार ही पार्टी है.

सूत्रों की मानें तो भाजपा ने कांग्रेस की अंदरूनी कलह पर अधिकारिक तौर पर कोई भी प्रेस वार्ता नहीं करने और अधिकारिक बयान जारी नहीं करने का निर्णय लिया है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए भाजपा प्रवक्ता और पूर्व कांग्रेस नेता टॉम वडक्कन ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को इस विषय पर कुछ भी नहीं कहना है. हमें कोई लेना-देना नहीं कि विपक्ष की पार्टी का नेता कौन होगा, कौन नहीं और यह उनकी अंदरूनी लड़ाई है. मगर जो भी हो, हमारी पार्टी यह चाहती है कि एक मजबूत विपक्ष हो लेकिन हालात सभी जानते हैं कि कांग्रेस में किस तरह का लड़ाई झगड़ा होता है.

उन्होंने कहा कि इस विषय पर हम कुछ बोलना नहीं चाहते लेकिन इतना जरूर कहना चाहते हैं कि विपक्ष के नाते उनकी भी एक जिम्मेदारी है. कांग्रेस प्रमुख विपक्षी पार्टी है और उस जिम्मेदारी को कांग्रेस पूरी नहीं कर पा रही है.

वडक्कन ने कहा कि कांग्रेस एक मजबूत विपक्ष की भूमिका नहीं निभा पा रही है, इसलिए जनता जनार्दन उनसे इस पर सवाल तो करेगी ही. आने वाले चुनावों में खास तौर पर बिहार के चुनाव में उनके जो हालात होने वाले हैं वह सभी देखेंगे, आप भी और हम भी. जाहिर तौर पर, कहीं न कहीं भाजपा ने जो वेट एंड वॉच की नीति अपना रखी है मगर कांग्रेस के अंदरूनी हालात ऐसे समय में उभरे हैं जब ऐन मौके पर बिहार में चुनाव है और कांग्रेस बिहार में आरजेडी और अन्य दलों के साथ गठबंधन में पहले भी रही है. ऐसे में अगर कांग्रेस के हालात इसी तरह के रहे तो कांग्रेस के सहयोगी दलों के साथ भी मुश्किल हालात पैदा हो सकते हैं.

पढ़ें : कांग्रेस में नेतृत्व संकट : एक नजर पार्टी के अध्यक्षों के इतिहास पर

हालांकि, नाम न लिखने की शर्त पर भाजपा के एक वरिष्ठ राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि कांग्रेस में जिस तरह की तानाशाही है उसी वजह से कांग्रेस के कई बड़े नेता भाजपा में आ चुके हैं. यही नहीं, भाजपा के इस नेता ने यहां तक कहा कि कांग्रेस में अध्यक्ष भले कोई भी हो लेकिन गांधी परिवार का कोई भी सदस्य अध्यक्ष पद पर रहता है तो इससे भारतीय जनता पार्टी को कोई नुकसान नहीं होता. उल्टे जब गांधी परिवार के सदस्य भाजपा पर टीका टिप्पणी करते हैं तो उससे पार्टी को फायदा ही होता है, इसीलिए हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि कांग्रेस में अध्यक्ष पद पर कौन बैठता है यह उनका अंदरूनी मामला है.

भाजपा भले ही इसे कांग्रेस का अंदरूनी मामला बता रही है लेकिन कांग्रेस की अंदरूनी कलह पर भाजपा भी नजर गड़ाए बैठी है, क्योंकि सत्ता पक्ष की सफलता भी बहुत हद तक मजबूत विपक्ष और कमजोर विपक्ष दोनों पर टिकी होती है.

नई दिल्ली : पिछले दो दिनों से जिस तरह से कांग्रेस में गृह युद्ध छिड़ा हुआ है उस पर वैसे तो भाजपा के आला नेताओं ने अपने प्रवक्ताओं को आधिकारिक तौर पर ज्यादा टिप्पणी करने मना कर रखा है, मगर भाजपा इस मौके को पूरी तरह से गंवाना भी नहीं चाहती है.

टॉम वडक्कन का बयान

अगर पिछले दो साल में देखा जाए तो एक-एक करके कांग्रेस के कई नेता पार्टी से असंतुष्ट होकर भाजपा का दामन थाम चुके हैं और उन्हीं में से एक हैं टॉम वडक्कन, जो किसी समय में गांधी परिवार के काफी करीबी माने जाते थे. मगर आज वही टॉम वडक्कन गांधी परिवार का नाम न लेते हुए कांग्रेस और गांधी परिवार पर प्रहार कर रहे हैं.

भाजपा नेताओं के कांग्रेस कार्य समिति के दौरान सामने आई उठापटक पर जो बयान आए हैं, उसमें उनका यही कहना है कि भाजपा और कांग्रेस में बुनियादी फर्क सिर्फ इतना है कि भाजपा में पार्टी ही परिवार है, जबकि कांग्रेस में परिवार ही पार्टी है.

सूत्रों की मानें तो भाजपा ने कांग्रेस की अंदरूनी कलह पर अधिकारिक तौर पर कोई भी प्रेस वार्ता नहीं करने और अधिकारिक बयान जारी नहीं करने का निर्णय लिया है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए भाजपा प्रवक्ता और पूर्व कांग्रेस नेता टॉम वडक्कन ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को इस विषय पर कुछ भी नहीं कहना है. हमें कोई लेना-देना नहीं कि विपक्ष की पार्टी का नेता कौन होगा, कौन नहीं और यह उनकी अंदरूनी लड़ाई है. मगर जो भी हो, हमारी पार्टी यह चाहती है कि एक मजबूत विपक्ष हो लेकिन हालात सभी जानते हैं कि कांग्रेस में किस तरह का लड़ाई झगड़ा होता है.

उन्होंने कहा कि इस विषय पर हम कुछ बोलना नहीं चाहते लेकिन इतना जरूर कहना चाहते हैं कि विपक्ष के नाते उनकी भी एक जिम्मेदारी है. कांग्रेस प्रमुख विपक्षी पार्टी है और उस जिम्मेदारी को कांग्रेस पूरी नहीं कर पा रही है.

वडक्कन ने कहा कि कांग्रेस एक मजबूत विपक्ष की भूमिका नहीं निभा पा रही है, इसलिए जनता जनार्दन उनसे इस पर सवाल तो करेगी ही. आने वाले चुनावों में खास तौर पर बिहार के चुनाव में उनके जो हालात होने वाले हैं वह सभी देखेंगे, आप भी और हम भी. जाहिर तौर पर, कहीं न कहीं भाजपा ने जो वेट एंड वॉच की नीति अपना रखी है मगर कांग्रेस के अंदरूनी हालात ऐसे समय में उभरे हैं जब ऐन मौके पर बिहार में चुनाव है और कांग्रेस बिहार में आरजेडी और अन्य दलों के साथ गठबंधन में पहले भी रही है. ऐसे में अगर कांग्रेस के हालात इसी तरह के रहे तो कांग्रेस के सहयोगी दलों के साथ भी मुश्किल हालात पैदा हो सकते हैं.

पढ़ें : कांग्रेस में नेतृत्व संकट : एक नजर पार्टी के अध्यक्षों के इतिहास पर

हालांकि, नाम न लिखने की शर्त पर भाजपा के एक वरिष्ठ राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि कांग्रेस में जिस तरह की तानाशाही है उसी वजह से कांग्रेस के कई बड़े नेता भाजपा में आ चुके हैं. यही नहीं, भाजपा के इस नेता ने यहां तक कहा कि कांग्रेस में अध्यक्ष भले कोई भी हो लेकिन गांधी परिवार का कोई भी सदस्य अध्यक्ष पद पर रहता है तो इससे भारतीय जनता पार्टी को कोई नुकसान नहीं होता. उल्टे जब गांधी परिवार के सदस्य भाजपा पर टीका टिप्पणी करते हैं तो उससे पार्टी को फायदा ही होता है, इसीलिए हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि कांग्रेस में अध्यक्ष पद पर कौन बैठता है यह उनका अंदरूनी मामला है.

भाजपा भले ही इसे कांग्रेस का अंदरूनी मामला बता रही है लेकिन कांग्रेस की अंदरूनी कलह पर भाजपा भी नजर गड़ाए बैठी है, क्योंकि सत्ता पक्ष की सफलता भी बहुत हद तक मजबूत विपक्ष और कमजोर विपक्ष दोनों पर टिकी होती है.

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