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येदियुरप्पा का बड़ा फैसला, कर्नाटक सरकार नहीं मनाएगी टीपू जयंती

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Published : Jul 30, 2019, 5:45 PM IST

Updated : Jul 30, 2019, 11:59 PM IST

सत्ता वापसी के बाद बीएस येदुरप्पा की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने टीपू जयंती समारोह निरस्त कर दिया. भाजपा ने भारी विरोध-प्रदर्शन विपक्ष में रहते हुए इस समारोह के खिलाफ किया था. पढ़ें पूरी खबर...

टीपू जयंती समारोह (प्रतिकात्मक चित्र)

बेंगलुरु: कर्नाटक में सत्ता वापसी के बाद भाजपा सरकार ने टीपू जयंती समारोह निरस्त कर दिया. सत्ता संभालने के अगले ही दिन येदियुरप्पा नीत नई भाजपा सरकार ने आदेश जारी कर दिया.

ध्यातव्य हो, सोमवार को ही बीएस येदियुरप्पा की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने सदन में बहुमत सिद्ध किया था. 18वीं सदीं में मैसूर राज्य के शासक टीपू सुल्तान की विवादित जयंती 2015 से कांग्रेस सरकार ने मनाना शुरू किया था.

सिद्धारमैय्या की नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने टीपू जयंती को राजकीय समारोह का दर्जा दिया था. भाजपा के मुखर विरोध के बावजूद इसे 10 नवंबर 2015 से लगातार मनाया जा रहा था. भाजपा के भारी विरोध-प्रदर्शन के बाद भी निवर्तमान कांग्रेस- जद(एस) गठबंधन के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने भी जारी रखा था.

टीपू जयंती समारोह निरस्त करने पर अरूण कुमार सिंह (भाजपा राष्ट्रीय महासचिव) का बयान

बताया जा रहा है की विराजपेट विधायक के जी बोपैया ने मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा को इस समारोह को बंद करने के लिए पत्र लिखा था. इसके बाद बीएस येदियुरप्पा ने आदेश जारी कर दिया.

गौरतलब हो कि राज्य कन्नड़ सांस्कृतिक विभाग की तरफ से हर वर्ष राजकीय कोष से टीपू जयंती समारोह आयोजित किया जा रहा था.

पढ़ें- कर्नाटक: येदियुरप्पा ने हासिल किया विश्वासमत, स्पीकर का इस्तीफा

बता दें पहली बार 2015 में घोषणा के बाद कोडागु जिले में जयंती के विरोध में उग्र और हिंसक प्रदर्शन हुआ था. इसमें विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता कुटप्पा की मृत्यु हो गई थी.

भाजपा और दक्षिणपंथी समूह टीपू सुल्तान को हिन्दुओं पर अत्याचार करने वाला और क्रुर शासक के तौर पर देखते हैं.

बेंगलुरु: कर्नाटक में सत्ता वापसी के बाद भाजपा सरकार ने टीपू जयंती समारोह निरस्त कर दिया. सत्ता संभालने के अगले ही दिन येदियुरप्पा नीत नई भाजपा सरकार ने आदेश जारी कर दिया.

ध्यातव्य हो, सोमवार को ही बीएस येदियुरप्पा की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने सदन में बहुमत सिद्ध किया था. 18वीं सदीं में मैसूर राज्य के शासक टीपू सुल्तान की विवादित जयंती 2015 से कांग्रेस सरकार ने मनाना शुरू किया था.

सिद्धारमैय्या की नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने टीपू जयंती को राजकीय समारोह का दर्जा दिया था. भाजपा के मुखर विरोध के बावजूद इसे 10 नवंबर 2015 से लगातार मनाया जा रहा था. भाजपा के भारी विरोध-प्रदर्शन के बाद भी निवर्तमान कांग्रेस- जद(एस) गठबंधन के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने भी जारी रखा था.

टीपू जयंती समारोह निरस्त करने पर अरूण कुमार सिंह (भाजपा राष्ट्रीय महासचिव) का बयान

बताया जा रहा है की विराजपेट विधायक के जी बोपैया ने मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा को इस समारोह को बंद करने के लिए पत्र लिखा था. इसके बाद बीएस येदियुरप्पा ने आदेश जारी कर दिया.

गौरतलब हो कि राज्य कन्नड़ सांस्कृतिक विभाग की तरफ से हर वर्ष राजकीय कोष से टीपू जयंती समारोह आयोजित किया जा रहा था.

पढ़ें- कर्नाटक: येदियुरप्पा ने हासिल किया विश्वासमत, स्पीकर का इस्तीफा

बता दें पहली बार 2015 में घोषणा के बाद कोडागु जिले में जयंती के विरोध में उग्र और हिंसक प्रदर्शन हुआ था. इसमें विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता कुटप्पा की मृत्यु हो गई थी.

भाजपा और दक्षिणपंथी समूह टीपू सुल्तान को हिन्दुओं पर अत्याचार करने वाला और क्रुर शासक के तौर पर देखते हैं.

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KA-TIPU
BJP govt in Karnataka scraps 'Tipu Jayanti" celebrations
Bengaluru, July 30 (PTI) The BJP government in Karnataka
on Tuesday cancelled the annual birth anniversary celebrations
of the controversial 18th century ruler of the erstwhile
Mysore Kingdom, Tipu Sultan, being organised since 2015.
The new Yediyurappa government's move through an order
comes within three days after it came to power and a day after
it won the confidence motion in the state assembly.
The Siddaramaiah led Congress government had started the
celebration of Tipu Jayanti as an annual affair on November 10
since 2015 and it was continued by the Congress-JD(S)
coalition government headed by H D Kumaraswamy last year
despite opposition from BJP and others.
According to the order, the decision was taken after
Virajpet MLA K G Bopaiah wrote to Yediyurappa requesting him
to cancel Tipu Jayanti celebrations organised annually by the
state Kannada and Culture Department, highlighting opposition
to such celebrations, particularly in Kodagu district.
Kodagu district was marred by widespread protests and
violence during the first official celebration in 2015, during
which Vishwa Hindu Parishad (VHP) worker Kuttappa had died.
BJP and right wing organisations had stiffly opposed,
Tipu Jayanti celebrations, calling the ruler a "religious
bigot". PTI KSU RA
VS
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07301524
NNNN
Last Updated : Jul 30, 2019, 11:59 PM IST
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