बेंगलुरुः कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि राज्य में हुए चिकित्सा संबंधी जरूरी सामानों की खरीद में भ्रष्टाचार की न्यायिक जांच से भाजपा सरकार के मंत्री बच रहे हैं. ये 'उनके घमंड की पराकाष्ठा है.'
सिद्धारमैया ने ट्वीट कर कहा कि 'सरकार चिकित्सा संबंधी आवश्यक चीजों की खरीद में भ्रष्टाचार पर न्यायिक जांच से क्यों डरती है? यदि मंत्री इतने साफ हैं, तो उन्हें जांच शुरू करने से क्यों रोक दिया गया है?
उन्होंने कहा कि जनता के सामने सच्चाई लाने के लिए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा एक न्यायिक जांच होनी चाहिए.
सिद्धारमैया ने पूछा कि हम अपने दस्तावेज जमा करेंगे और सरकार को उनके दस्तावेज जमा करने देंगे. अगर वे आश्वस्त हैं, तो वे जांच शुरू करने से क्यों हिचक रहे हैं?"
उन्होंने कहा कि पीएमओ से स्टेटमेंट में कहा गया है कि 50,000 वेंटिलेटर 4 लाख रुपये प्रति यूनिट की दर से खरीदे गए हैं. क्या यह सच नहीं है? क्या कर्नाटक बीजेपी के मंत्री कहेंगे कि पीएम केयर्स के तहत खरीदे गए वेंटिलेटर कम गुणवत्ता वाले हैं?
उन्होंने कहा कि "हर उत्पाद में एक बेस मॉडल और प्रीमियम मॉडल होता है. पीएमओ चाहते तो वे 18 लाख रुपये के वेंटिलेटर खरीद सकते थे. उन्होंने 4 लाख रुपये का वेंटिलेटर क्यों खरीदा? इस पर भाजपा के मंत्री क्या स्पष्टीकरण देंगे.
सिद्धारमैया ने पूछा कि क्या चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 815 करोड़ रुपये का प्रस्ताव नहीं भेजा था जिसपर विशेषज्ञों ने अपनी सहमति नहीं दी थी?
उन्होंने ट्वीट किया कि "यह सच है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 815 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा था. यह भी सच है कि उस प्रस्ताव पर एक टिप्पणी थी जिसमें लिखा गया था कि यह प्रस्ताव विशेषज्ञों द्वारा अनुशंसित नहीं हैं. इस नोट का क्या मतलब है?"
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर राज्य सरकार कहती है कि कांग्रेस-जेडी (एस) सरकार के कार्यकाल के दौरान वेंटिलेटर खरीदे गए हैं तो उन्हें सबूत पेश करने होंगे.
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उन्होंने कहा कि "वे गठबंधन सरकार के दौरान खरीदे गए वेंटिलेटर के लिए हम पर आरोप लगा रहे हैं. मैं तब सरकार में नहीं था. अगर उनके पास दस्तावेज हैं, तो इस बारे में भी जांच करने दें. सच्चाई का खुलासा होने दें.
कांग्रेस नेता ने कहा कि विपक्ष को कोरोना महामारी के समय राजनीति में दिलचस्पी नहीं है.