नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को साल 2002 में हुए गुजरात दंगों के दौरान बलात्कार की शिकार हुई बिलकिस बानो को लेकर अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि पीड़िता को 50 लाख रुपये मुआवजा, नौकरी और रहने के लिये मकान दिया जाए.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ को गुजरात सरकार ने सूचित किया कि इस मामले में संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है.
बता दें कि 3 मार्च 2002 को गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस के साथ दाहोद के पास देवगढ़-बरिया गांव में दंगाइयों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था. इसके बाद बिलकिस और उनके परिवार के सदस्यों पर उग्र भीड़ ने हमला कर दिया था, जिससे उनके परिवार के कई सदस्यों की मौत हो गई थी.
2002 के गुजरात दंगे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज गुजरात सरकार को बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को बिलकिस बानो को सरकारी नौकरी और नियमानुसार आवास प्रदान करने का भी निर्देश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों गुजरात सरकार निर्देश दिया था कि 2002 के बिलकिस बानो मामले में दोषी ठहराए गए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दो सप्ताह के भीतर अनुशासनात्मक कार्रवाई पूरी की जाए.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने उच्चतम न्यायालय ने गुजरात सरकार को यह तय करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है कि 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले की जांच में छेड़छाड़ के लिए हाईकोर्ट द्वारा दोषी ठहराए गए छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ क्या अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए. उच्च न्यायालय ने चार मई 2017 को भारतीय दंड संहिता की धारा 218 (अपनी ड्यूटी का निर्वहन ना करने) और धारा 201 (सबूतों से छेड़छाड़ करने) के तहत पांच पुलिसकर्मियों और दो डॉक्टरों को दोषी ठहराया था.