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जब 'श्री क्षेत्र' को समुद्र के प्रकोप से बचाने के लिए आए बेड़ी पका हनुमान

श्रीक्षेत्र के समुद्र के पास भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित है. यह कोई साधारण मूर्ति नहीं है, इसे स्थापित करने के पीछे भी वर्षों पुरानी कहानी छिपी हुई है. यह मूर्ति भगवान जगन्नाथ भगवान के मंदिर को समुद्र के कहर से रक्षा के लिए स्थापित किया गया था. पढ़ें पूरी खबर...

Bedi Hanumaan  to guard and not let the sea comes
श्रीक्षेत्र के भगवान हनुमान की प्रतिमा की कहानी
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Published : Jun 30, 2020, 8:15 PM IST

पुरी : पुरुषोत्तम क्षेत्र ( पवित्र पुरी शहर) की पवित्र भूमि की महिमा चमत्कारों से भरी हुई है, जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता. श्री क्षेत्र के बारे में कई तथ्य अब भी अज्ञात और रहस्यों से भरे हुए हैं. यह पवित्र भूमि संसारिक और असाधारण घटनाओं का भंडार है. नीलाचल धाम में पवित्र शहर के भगवान के आदेश पर गहरे, विशाल और बेचैन समुद्र को अधीनता में लाया गया. वह कभी भी अपने किनारों को पार नहीं करता. जंजीरों से बंधे भगवान हनुमान ने क्षितिज तक फैले विशाल समुद्र को यहां नजरबंद कर रखा है. भगवान हनुमान के बेड़ी पका हनुमान (जंजीर में बंधे हनुमान) के नाम के पीछे एक दिलचस्प पौराणिक कहानी है, जिसके कारण समुद्र अपने किनारों को कभी पार नहीं करता.

पौराणिक कहानी के अनुसार महासागर के राजा ने अपनी बेटी देवी लक्ष्मी का विवाह जगन्नाथ भगवान के साथ किया था. भगवान श्री जगन्नाथ ने महासागर के राजा की राजकुमारी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था, इसलिए महासागर के राजा अपनी बेटी और दामाद को देखने के लिए अक्सर भव्य मंदिर आते थे. इसके परिणामस्वरूप श्रीक्षेत्र की पवित्र भूमि और मुख्य मंदिर तक जाने वाले पवित्र 22 सीढ़ियों पर पानी भरा रहता था. समुद्र का पानी मंदिर में घुसने और लोगों को नुकसान होने के कारण उन्होंने भगवान के समक्ष इसकी शिकायत कर दी. भक्तों की समस्या सुनने के बाद भगवान जगन्नाथ ने भगवान हनुमान को समुद्र के किनारे पर कड़ी नजर रखने का आदेश दे डाला. इसका परिणाम यह हुआ कि विशाल हनुमान ने स्वयं को वहां एक चौकस गार्ड की तरह तैनात कर लिया. यह स्थान श्रीक्षेत्र में समुद्र की घुसपैठ को रोकने के लिए चक्रतीर्थ से दूर नहीं था. भगवान हनुमान को दरिया हनुमान ने नाम से भी जाना जाता है, जिन्होंने श्री क्षेत्र को समुद्र के प्रकोप से बचाया था.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

दरिया हनुमान के रूप में तैनात भगवान जगन्नाथ के सबसे बड़े भक्त को बेड़ी पका (जंजीरों से बंधा हुआ) हनुमान भी कहा जाता है. भगवान हनुमान के इस नामकरण के पीछे एक दिलचस्प कहानी है. सदियों पुरानी कहावत के अनुसार भगवान जगन्नाथ ने हनुमान को यहां रहने और समुद्र के क्रोध से श्री मंदिर की रक्षा करने की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन भगवान हनुमान हर समय यहां से गायब हो जाते थे, जिसके कारण समुद्र पहले की तरह पवित्र भूमि में बाढ़ का कारण बन रहा था. इस कारण भगवान जगन्नाथ ने हनुमान को एक सोने की जंजीर से बांध दिया. चेन के हर हिस्से में भगवान श्री राम का नाम लिखा गया था, जिस कारण भगवान हनुमान चेन नहीं तोड़ पाए और हमेशा के लिए यहां स्थिर हो गए.

पढ़ें- देवी बाट मंगला ने भगवान ब्रह्मा को दिखाया था पुरी का रास्ता

'श्री क्षेत्र' के इतिहास में हनुमान का यह मंदिर एक प्रतिष्ठित मंदिर है. एक छोटा सा मंदिर पुरी के पवित्र शहर को समुद्र के कहर से बचाने के लिए पेंथाकाटा में चक्रनारायण मंदिर के पश्चिमी कोने में स्थित है. इसे 'बेड़ी पका' हनुमान के मंदिर के रूप में भी जाना जाता है.

पुरी : पुरुषोत्तम क्षेत्र ( पवित्र पुरी शहर) की पवित्र भूमि की महिमा चमत्कारों से भरी हुई है, जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता. श्री क्षेत्र के बारे में कई तथ्य अब भी अज्ञात और रहस्यों से भरे हुए हैं. यह पवित्र भूमि संसारिक और असाधारण घटनाओं का भंडार है. नीलाचल धाम में पवित्र शहर के भगवान के आदेश पर गहरे, विशाल और बेचैन समुद्र को अधीनता में लाया गया. वह कभी भी अपने किनारों को पार नहीं करता. जंजीरों से बंधे भगवान हनुमान ने क्षितिज तक फैले विशाल समुद्र को यहां नजरबंद कर रखा है. भगवान हनुमान के बेड़ी पका हनुमान (जंजीर में बंधे हनुमान) के नाम के पीछे एक दिलचस्प पौराणिक कहानी है, जिसके कारण समुद्र अपने किनारों को कभी पार नहीं करता.

पौराणिक कहानी के अनुसार महासागर के राजा ने अपनी बेटी देवी लक्ष्मी का विवाह जगन्नाथ भगवान के साथ किया था. भगवान श्री जगन्नाथ ने महासागर के राजा की राजकुमारी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था, इसलिए महासागर के राजा अपनी बेटी और दामाद को देखने के लिए अक्सर भव्य मंदिर आते थे. इसके परिणामस्वरूप श्रीक्षेत्र की पवित्र भूमि और मुख्य मंदिर तक जाने वाले पवित्र 22 सीढ़ियों पर पानी भरा रहता था. समुद्र का पानी मंदिर में घुसने और लोगों को नुकसान होने के कारण उन्होंने भगवान के समक्ष इसकी शिकायत कर दी. भक्तों की समस्या सुनने के बाद भगवान जगन्नाथ ने भगवान हनुमान को समुद्र के किनारे पर कड़ी नजर रखने का आदेश दे डाला. इसका परिणाम यह हुआ कि विशाल हनुमान ने स्वयं को वहां एक चौकस गार्ड की तरह तैनात कर लिया. यह स्थान श्रीक्षेत्र में समुद्र की घुसपैठ को रोकने के लिए चक्रतीर्थ से दूर नहीं था. भगवान हनुमान को दरिया हनुमान ने नाम से भी जाना जाता है, जिन्होंने श्री क्षेत्र को समुद्र के प्रकोप से बचाया था.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

दरिया हनुमान के रूप में तैनात भगवान जगन्नाथ के सबसे बड़े भक्त को बेड़ी पका (जंजीरों से बंधा हुआ) हनुमान भी कहा जाता है. भगवान हनुमान के इस नामकरण के पीछे एक दिलचस्प कहानी है. सदियों पुरानी कहावत के अनुसार भगवान जगन्नाथ ने हनुमान को यहां रहने और समुद्र के क्रोध से श्री मंदिर की रक्षा करने की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन भगवान हनुमान हर समय यहां से गायब हो जाते थे, जिसके कारण समुद्र पहले की तरह पवित्र भूमि में बाढ़ का कारण बन रहा था. इस कारण भगवान जगन्नाथ ने हनुमान को एक सोने की जंजीर से बांध दिया. चेन के हर हिस्से में भगवान श्री राम का नाम लिखा गया था, जिस कारण भगवान हनुमान चेन नहीं तोड़ पाए और हमेशा के लिए यहां स्थिर हो गए.

पढ़ें- देवी बाट मंगला ने भगवान ब्रह्मा को दिखाया था पुरी का रास्ता

'श्री क्षेत्र' के इतिहास में हनुमान का यह मंदिर एक प्रतिष्ठित मंदिर है. एक छोटा सा मंदिर पुरी के पवित्र शहर को समुद्र के कहर से बचाने के लिए पेंथाकाटा में चक्रनारायण मंदिर के पश्चिमी कोने में स्थित है. इसे 'बेड़ी पका' हनुमान के मंदिर के रूप में भी जाना जाता है.

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