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मप्र : भिंड में बनेगा डकैतों का अनोखा म्यूजियम, इतिहास से हो सकेंगे रूबरू - bandit museum to built in bhind

मध्यप्रदेश की भिंड पुलिस एक अनोखा म्यूजियम बनाने जा रही है, जो डाकुओं की घाटी के नाम से मशहूर 'चंबल' के डाकुओं के इतिहास से लोगों को रूबरू कराएगी.

डकैतों का अनोखा म्यूजियम
डकैतों का अनोखा म्यूजियम
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Published : Jan 4, 2021, 7:40 AM IST

भिंड : मध्य प्रदेश के लोग अब अपराध की दुनिया में मशहूर रहे शख्सियतों के बारे में जान पाएंगे. डैकतों के इतिहास से रूबरू हो पाएंगे क्योंकि भिंड जिले में एक ऐसा म्यूजियम बनने वाला है, जो चंबल के डकैतों का इतिहास बताएगा. ये पहल भिंड पुलिस की ओर से की गई है और इस म्यूजियम को बनाने का उद्देश्य अपराध की दुनिया में कदम रखने वालों के अंजाम को बताना है.

चंबल में बागी दस्युओं के खात्मे और उनके समाज की मुख्यधारा में लौटाने की कहानी को संग्रहालय के जरिए बताने की तैयारी की जा रही है. इस म्यूजियम के लिए जिले में थाना का भी चयन कर लिया गया है. ब्रिटिश काल में बनाया गया मेहगांव थाने में ये अनोखा म्यूजियम बनेगा. मेहगांव कुख्यात दस्यु रहे स्वर्गीय मोहर सिंह का गांव है. ऐसे में अब ब्रिटिश काल में बनाए गए थाना परिसर को हेरिटेज लुक में सजाया-संवारा जाएगा.

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80 के दशक में चंबल क्षेत्र की पहचान कुख्यात डाकुओं की घाटी से बन गई थी. आए दिन यहां अपहरण, लूट, डकैती, हत्याएं जैसी वारदातों को बागी और डाकू अंजाम देते थे, लेकिन समय के साथ-साथ हालत बदले. डकैत या तो मारे गए या आत्मसमर्पण कर समाज से जुड़ गए.

चंबल क्षेत्र में डकैतों का आतंक खत्म होने के बाद अब भिंड पुलिस डकैतों का एक संग्रहालय बनाने जा रही है, जिसका उद्देश्य अपराध की दुनिया में कदम रखने वालों को सबक सिखाना और संदेश देना है.

पढ़ें- गणतंत्र दिवस की परेड में भाग लेगा बांग्लादेश सेना का प्रतिनिधिमंडल

डकैतों की शुरू से अंत की कहानी

इस संग्रहालय में साल 1960 से 2011 तक चंबल इलाके में सक्रिय रहे दस्युओं की पूरी हिस्ट्रीशीट, फोटो, गिरोह के सदस्यों की जानकारी और उनके अंत तक की कहानी बताई जाएगी. साथ ही उनके हथियारों को भी प्रदर्शित किया जाएगा.

चंबल में 1980 से लेकर 1990 तक कई दस्युओं ने आत्मसमर्पण किया था. इनमें फूलन देवी, घंसा बाबा, मोहर सिंह, माधौ सिंह प्रमुख डकैत थे. समर्पण के बाद इन दस्युओं ने सजा भी काटी और रिहा होने के बाद समाज की मुख्यधारा में लौट गए थे. इनकी पूरी कहनी यहां जानने को मिलेगी. इसके अलावा उन बलिदानी पुलिसकर्मीयों और अधिकारियों के किस्से भी बताए जाएंगे, जिन्होंने खुद इनकी गोलियों का सामना किया था.

निर्माण के लिए जनभागीदारी से भी जुटेगा फंड

म्यूजियम निर्माण के लिए राशि जनभागीदारी और पुलिस फंड के जरिए जुटाई जाएगी. पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने बताया कि जिले में गन वॉयलेंस एक बड़ी समस्या है. अपराधी बंदूक उठाने से पहले भविष्य में उसके नतीजों के बारे में नहीं सोचते हैं. इस म्यूजियम के जरिए लोगों को भी अपराध करने और अपराधियों से जुड़ने के फैसले पर दोबारा सोचने का मौका और सबक मिलेगा.

भिंड : मध्य प्रदेश के लोग अब अपराध की दुनिया में मशहूर रहे शख्सियतों के बारे में जान पाएंगे. डैकतों के इतिहास से रूबरू हो पाएंगे क्योंकि भिंड जिले में एक ऐसा म्यूजियम बनने वाला है, जो चंबल के डकैतों का इतिहास बताएगा. ये पहल भिंड पुलिस की ओर से की गई है और इस म्यूजियम को बनाने का उद्देश्य अपराध की दुनिया में कदम रखने वालों के अंजाम को बताना है.

चंबल में बागी दस्युओं के खात्मे और उनके समाज की मुख्यधारा में लौटाने की कहानी को संग्रहालय के जरिए बताने की तैयारी की जा रही है. इस म्यूजियम के लिए जिले में थाना का भी चयन कर लिया गया है. ब्रिटिश काल में बनाया गया मेहगांव थाने में ये अनोखा म्यूजियम बनेगा. मेहगांव कुख्यात दस्यु रहे स्वर्गीय मोहर सिंह का गांव है. ऐसे में अब ब्रिटिश काल में बनाए गए थाना परिसर को हेरिटेज लुक में सजाया-संवारा जाएगा.

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80 के दशक में चंबल क्षेत्र की पहचान कुख्यात डाकुओं की घाटी से बन गई थी. आए दिन यहां अपहरण, लूट, डकैती, हत्याएं जैसी वारदातों को बागी और डाकू अंजाम देते थे, लेकिन समय के साथ-साथ हालत बदले. डकैत या तो मारे गए या आत्मसमर्पण कर समाज से जुड़ गए.

चंबल क्षेत्र में डकैतों का आतंक खत्म होने के बाद अब भिंड पुलिस डकैतों का एक संग्रहालय बनाने जा रही है, जिसका उद्देश्य अपराध की दुनिया में कदम रखने वालों को सबक सिखाना और संदेश देना है.

पढ़ें- गणतंत्र दिवस की परेड में भाग लेगा बांग्लादेश सेना का प्रतिनिधिमंडल

डकैतों की शुरू से अंत की कहानी

इस संग्रहालय में साल 1960 से 2011 तक चंबल इलाके में सक्रिय रहे दस्युओं की पूरी हिस्ट्रीशीट, फोटो, गिरोह के सदस्यों की जानकारी और उनके अंत तक की कहानी बताई जाएगी. साथ ही उनके हथियारों को भी प्रदर्शित किया जाएगा.

चंबल में 1980 से लेकर 1990 तक कई दस्युओं ने आत्मसमर्पण किया था. इनमें फूलन देवी, घंसा बाबा, मोहर सिंह, माधौ सिंह प्रमुख डकैत थे. समर्पण के बाद इन दस्युओं ने सजा भी काटी और रिहा होने के बाद समाज की मुख्यधारा में लौट गए थे. इनकी पूरी कहनी यहां जानने को मिलेगी. इसके अलावा उन बलिदानी पुलिसकर्मीयों और अधिकारियों के किस्से भी बताए जाएंगे, जिन्होंने खुद इनकी गोलियों का सामना किया था.

निर्माण के लिए जनभागीदारी से भी जुटेगा फंड

म्यूजियम निर्माण के लिए राशि जनभागीदारी और पुलिस फंड के जरिए जुटाई जाएगी. पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने बताया कि जिले में गन वॉयलेंस एक बड़ी समस्या है. अपराधी बंदूक उठाने से पहले भविष्य में उसके नतीजों के बारे में नहीं सोचते हैं. इस म्यूजियम के जरिए लोगों को भी अपराध करने और अपराधियों से जुड़ने के फैसले पर दोबारा सोचने का मौका और सबक मिलेगा.

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