नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा पर स्थित 2000 मेगावाट मेगा लोअर सुबनसिरी हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिलने के बाद असम के संगठन ने प्रोजेक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करने का फैसला किया है.
इस मामलें पर याचिकाकर्ता प्रदीप कुमार भुइयां ने कहा, 'हम बांध के खिलाफ नहीं हैं. हम मौजूदा प्रोजेक्ट में कुछ बदलाव चाहते हैं.'
भुइयां ने कहा कि अगर बांध का निर्माण वर्तमान प्रारूप में किया जाता है, तो पूरी निचली धारा खतरे में पड़ जाएगी.
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भुइयां ने कहा, 'केवल लोग ही नहीं, सुबनसिरी नदी में विभिन्न लुप्तप्राय प्रजातियां खतरे में आ जाएंगी.'
एनजीटी ने हाल ही में पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति को अपनी मंजूरी दी थी. उसी के खिलाफ व्यापक विरोध के बाद मेगा प्रोजेक्ट पर शिकायतों के लिए समिति का गठन किया गया था.
राज्य स्थित संगठन असम लोक निर्माण (APW) ने बांध के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई करते हुए आरोप लगाया है कि डॉ. प्रभास पांडे, डॉ. आईडी गुप्ता और पीएम स्कॉट सहित सदस्यों ने परियोजना पर पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट दी थी.
प्रदीप कुमार भुइयां ने बताया, 'पनबिजली परियोजना का कोई प्रभावी बाढ़ नियंत्रण घटक नहीं है. लोगों के पास प्राकृतिक रूप से बहने वाली जैव विविधता वाली नदी लंबे समय से है, लेकिन अगर सुबानसिरी परियोजना को योजनाबद्ध तरीके से पूरा हो जाता है, तो नदी से स्थानीय लोग विस्थापित हो जाएंगे, जो उनका जीवन है.'
हालांकि APW ने पहले भी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. लेकिन NGT द्वारा परियोजना के पक्ष में आदेश देने के बाद फिर से शीर्ष अदालत का रुख करने का फैसला किया है.